इन दिनों खरीफ की खेती का समय है. खरीफ के समय बरसाती मौसम के चलते सब्जियों के दाम भी बढ़ जाते हैं, क्योंकि बरसात के दिनों में सब्जियों के खेत में सड़ने का अंदेशा अधिक रहता है. किसानों को बेल वाली सब्जियों की खेती मचान विधि से करनी चाहिए. इस के अलावा सब्जियों के खेतों में जलभराव न हो.

अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इन दिनों सब्जी उपज से अच्छा फायदा मिलना तय है.

यहां कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब कृषि विशेषज्ञ प्रो. रवि प्रकाश मौर्य दे रहे हैं, जो खरीफ मौसम में सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए लाभकारी साबित होंगे.

सवाल : खरीफ अर्थात बरसात के समय में कौनकौन सी सब्जियों की खेती की जा सकतीं है?

जवाब : बरसात में जहां जलभराव न हो, जल निकाल की अच्छी सुविधा हो, वहां भिंडी, टिंडा, तोरई, कद्दू, करेला, खीरा, लौकी, ग्वार फली और घीया की बोआई कर सकते हैं.

सवाल : इन सब्जियों के बोआई का उचित समय क्या है?

जवाब : बरसाती सब्जियों की बोआई के लिए जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई तक का समय ठीक होता है. इस से पहले या तय समय के बाद भी सब्जियों की बोआई की जा सकती है, जो कि अगेती और पछेती के अनुसार उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा कर सकती है और अच्छी कीमत भी दिला सकती है.

सवाल : बरसात वाली सब्जियों की उन्नत किस्में क्या हैं?

जवाब : सब्जियों के लिए उन्नत किस्मों के बीज का ही प्रयोग करें.

सब्जियों से अच्छे लाभ की कामना करने वाले किसानों को फसल के बीज भी अच्छा ही इस्तेमाल करना चाहिए. इस से फसल में बीमारी कम होगी और लोगों के लिए लाभदायक रहेगी. विभिन्न सब्जियों के लिए अच्छी किस्मों का विवरण इस प्रकार है :

भिंडी : काशी प्रगति, काशी विभूति, परभनी क्रांति, काशी सातधारी, काशी लीला.

टिंडा : बीकानेरी ग्रीन, दिल पसंद, टिंडा लुधियाना (एस- 48), हिसार सलेक्शन-1, अर्का, टिंडा.

तोरई : पूसा नसदार, पूसा चिकनी.

कद्दू : काशी हरित, पूसा विकास, पंजाब सम्राट, अर्का चंदन, अर्का सूर्यमुखी, नरेंद्र अमृत, नरेंद्र आभूषण, नरेंद्र उपकार.

करेला : काशी उर्वशी, पूसा विशेष, प्रिया कल्यानपुर सोना, पूसा- 2 मौसमी, अर्का हरित, विवेक एवं नरेंद्र बारहमासी-1.

खीरा : पूसा संयोग, पूसा बरखा, पूसा उदय, हिमांगी.

लौकी : काशी गंगा, काशी बहार, पूसा संदेश, पूसा नवीन, अर्का बहार, नरेंद्र रश्मि एवं नरेंद्र शिवानी.

ग्वार फली : एम- 83, पूसा नवबहार.

चौलाई : पूसा किरण, पूसा कीर्ति, पूसा लाल चौलाई, अर्का समरक्षा, अर्का वरुणा.

घीया तोरई : काशी दिव्या, पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, कल्यानपुर चिकनी.

सवाल : खेत की तैयारी कैसे करें?

जवाब : मिट्टी की गहरी जुताई कर उस में से खरपतवार निकाल कर खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए. उर्वरकता बढ़ाने के लिए सड़ी खाद डालें और फसल की पोषण संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए जैविक खाद का प्रयोग करें. बारिश के मौसम में उठी हुई क्यारियां बनानी चाहिए. इस में सतही सिंचाई करनी चाहिए. फसल की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार नियंत्रण अतिआवश्यक है.

सवाल : कद्दूवर्गीय बीजों की कैसे बोआई करें?

जवाब : कद्दूवर्गीय सब्जियों को सीधे खेत में बोने के लिए बीजों को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोएं. बाद में टाट या बोरी में बांध कर 24 घंटे रखें. उपयुक्त तापक्रम पर रखने से बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इस के बाद बीजों को खेत में बो सकते हैं, इस से अंकुरण का फीसद बढ़ जाता है.

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