Mangoes : आम की ऐसी तमाम नई किस्में देश में बीते 2 दशकों में ईजाद की गई हैं, जो अपने खूबसूरत रंग और बनावट के साथ स्वाद के मामले में भी नायाब रही हैं. साथ ही, ये किस्में पारंपरिक किस्मों की अपेक्षा देर से पकने के कारण बाजार में किसान को अच्छा मुनाफा देने वाली मानी जाती हैं.

देश में विकसित की गई ज्यादातर रंगीन किस्में आम की रंगीन विदेशी किस्मों के क्रौस से तैयार की गई हैं, जबकि आम की ऐसी तमाम विदेशी किस्में हैं, जिन को भारत की आबोहवा में बागबानी के लिए माकूल पाया गया है.

आम की हैडेन प्रजाति

अगर हैडेन आम की बात करें, तो इसे फ्लोरिडा में मुल्गोबा और टरपेंटाइन के बीजू पौधों के क्रौस से विकसित किया गया है. आम के हैडेन प्रजाति के फल देखने में खूबसूरत और शानदार स्वाद वाले होते हैं, लेकिन आम की इस किस्म में फंगस की समस्या ज्यादा पाई जाती है, इसलिए बागबान इसे लगाना कम पसंद करते हैं.

टौमी एटकिंस

भारत में टौमी एटकिंस प्रजाति के आम की खेती व्यावसायिक स्तर पर खूब की जाने लगी है. इस का खास रंग और स्वाद बागबानों और आम खाने वाले दोनों को पसंद आता है. इस किस्म का बाजार रेट भी बहुत अच्छा है.

अगर टौमी एटकिंस के विकसित किए जाने की बात करें, तो इसे हैडेन और एक अज्ञात बीजू पौधे के क्रौस से फ्लोरिडा में ही ईजाद किया गया. जहां टौमी एटकिंस अपने रंग, रूप और स्वाद के लिए जाना जाता है.

सेंसेशन

आम की इस किस्म को अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में आम की हैडेन और ब्रूक्स नाम की प्रजातियों के क्रौस से विकसित किया है.

सेंसेशन किस्म के आम का रंग गहरे लाल रंग का होता है, जो देखने वाले को मुग्ध कर देता है. इस का गूदा बेहद महीन और रेशे के साथ हलका पीला रंग लिए होता है. यह खाने में हलका मीठा और भीनी सुगंध वाला होता है. इस किस्म के पौधे अधिक फल देने के लिए जाने जाते हैं. साथ ही, फलों के देर से पकने के कारण इस का बाजार भाव भी अच्छा मिलता है.

एडवर्ड

विदेशी किस्मों में एडवर्ड किस्म की बागबानी भी व्यावसयिक नजरिए से की जा सकती है. आम की इस किस्म को यूएसए के फ्लोरिडा में हैडेन व कैराबाओ आम की किस्मों के क्रौस से तैयार किया गया है.

इस के फलों का छिलका चमकीले पीले रंग का होता है, जिस में गुलाबी से लाल रंग का मिश्रण होता है. यह खाने में बेहद उत्कृष्ट माना जाता है, क्योंकि इस का गूदा कोमल, रेशारहित, रसदार और गहरे पीले से नारंगी रंग का होता है. फल मीठे व हलकी सुगंध वाले होते हैं.

एल्डन

आम की एल्डन किस्म को कोवसाजी पटेल और एक अज्ञात प्रजाति के साथ क्रौस कर के फ्लोरिडा में विकसित किया गया है. इस किस्म के फल बड़े आकार के होते हैं. पकने की स्थिति में फल का रंग हरे, पीले, नारंगी और लाल का मिश्रण हो जाता है. इस का गूदा पीला, सुखद सुगंध व मीठा होता है.

इरविन

इस किस्म को आम के लिपेंस और हैडेन के क्रौस से फ्लोरिडा में ही विकसित किया गया है. इस का उत्पादन अन्य किस्मों से ज्यादा होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता और आकर्षक रंग के कारण इस की व्यावसायिक खेती होती है. छिलके में परिपक्वता पर एक आकर्षक गहरे लाल रंग की चमक आ जाती है. गूदा पीला, रेशारहित होता है, लेकिन स्वाद मीठा और सुखद सुगंध वाला होता है.

कीट

इस किस्म को भी आम के ब्रूक्स और एक अज्ञात के क्रौस से फ्लोरिडा में विकसित किया गया है. कीट किस्म के आम के फल बड़े आकार के होते हैं और छिलके का रंग आमतौर पर हलके लाल रंग के साथ हरा होता है. गूदा रेशेदार और मीठा होता है. फल आमतौर पर अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता और देर से पकने वाले होते हैं.

केंट

केंट किस्म का आम फ्लोरिडा में काफी लोकप्रिय भी है. इस के फल अधिक मीठापन और सुगंध के साथ उत्कृष्ट स्वाद और रेशा वाला होता है. पक जाने पर यह आमतौर पर कुछ लाल रंग के साथ हरेपीले रंग में बदल जाता है.

ओस्टीन

ओस्टीन किस्म के फलों का आकार अन्य रंगीन किस्मों के फलों की अपेक्षा बड़े आकार का होता है. इस का छिलका चिकना और पीले रंग की चमक लिए हुए होता है. लेकिन आमतौर पर यह गहरे बैगनी रंग का हो जाता है.

यह अपने रंग, उत्पादन विशेषताओं और स्वाद के कारण व्यावसायिक पैमाने पर उगाया जाता है. गूदे में कम से कम रेशा होता है. इस में हलका, लेकिन मीठा स्वाद होता है.

पामर

यह किस्म भी हैडेन और एक अज्ञात आम की किस्म के क्रौस से फ्लोरिडा में विकसित की गई. पामर आम के फल बड़े आकार के होते हैं. यह व्यावसायिक रूप से देर से पकने वाली किस्म है. पक जाने पर फलों का छिलका लाल रंग के साथ पीला होता है. गूदा नारंगीपीला होता है और इस में हलका सुगंधित स्वाद व कम रेशा होता है.

केंसिंग्टन प्राइड

आम की केंसिंग्टन किस्म आस्ट्रेलिया की मूल किस्म है. इसे आस्ट्रेलिया के सब से लोकप्रिय आम की किस्मों में गिना जाता है. आम की इस किस्म की आस्ट्रेलिया के कुल आम बाजार में 80 फीसदी की हिस्सेदारी है. यह एक विशिष्ट स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है.

इस किस्म के फलों के छिलके का रंग पीला होता है, जिस में लाल रंग की चमक होती है. इस का गूदा पीला, मध्यम रेशे के साथ खाने में मीठा और तीखा होता है.

माया

आम की माया किस्म को एक इजराइली बाग में प्राकृतिक क्लोन के रूप में खोजा गया था. माया एक उच्च गुणवत्ता वाला आम है, जिस में बेहद खास स्वाद, चिकना और रेशारहित गूदा होता है. कई आमों की तुलना में इस का आकार काफी गोल है. छिलके का रंग गहरा पीला होता है, रंग नारंगीलाल होता है. छिलका पतला और बीज काफी छोटा होता है.

अगर कुछ किस्मों को छोड़ दिया जाए, तो विदेशी किस्मों की खेती तो भारत में अधिक पैर नहीं पसार पाई, लेकिन इन्हीं विदेशी किस्मों के साथ क्रौस कर के भारतीय कृषि और बागबानी के शोध संस्थानों ने विदेशी किस्मों से भी अच्छी किस्में देश में विकसित करने में कामयाबी पाई है, जो आज भारत के रंगीन आम की किस्मों में सब से ज्यादा पसंद की जाने वाली लिस्ट में शुमार है.

Colorful Mango Varieties

पूसा अरुणिमा

आम की पूसा अरुणिमा प्रजाति को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा साल 2002 में रिलीज किया गया, जो भारतीय किस्म आम्रपाली और विदेशी किस्म सेंसेशन के क्रौस से विकसित की गई.

आम की यह प्रजाति बेहद रंगीन होती है और नियमित फल देने के साथ सघन बागबानी के लिए उपयुक्त यानी 6 मीटर 3 6 मीटर पर रोपने के लिए मुफीद होती है. इस के फल जुलाई के पहले  सप्ताह से अंतिम सप्ताह तक पक जाते हैं. फल मध्यम से बड़े (230 से 250 ग्राम)  वजन वाले होते हैं. यह पकने के बाद कमरे के तापमान पर लंबी संग्रहण अवधि (10 से 12 दिन) के साथ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए उपयुक्त है.

पूसा सूर्या

पूसा सूर्या को आम के एल्डन प्रजाति से चयन विधि द्वारा साल 2002 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया. इस किस्म के पेड़ बौने होने के कारण 6 मीटर 3 6 मीटर पर रोपे जाने योग्य माना जाता है. इस के फल जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के पहले सप्ताह तक पक जाते हैं.

इस के फलों का वजन मध्यम से बड़े (260 से 290 ग्राम) और रंग आकर्षक पीले, गुलाबी, लाल रंग वाला होता है. इसे पकने के बाद कमरे के तापमान पर 10-12 दिन तक आसानी से रखा जा सकता है. यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए उपयुक्त है.

पूसा प्रतिभा

आम की पूसा प्रतिभा किस्म आम्रपाली और सेंसेशन के क्रौस से साल 2011 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई. इस किस्म की खूबी की बात करें, तो यह आकर्षक आकार, चमकीले लाल छिलके वाले और संतरे के रंग के गूदे के साथ नियमित फलने वाली किस्म है. इसे पकने के बाद कमरे के तापमान पर 7 से 8 दिन की भंडारण अवधि में रखा जा सकता है.

पेड़ के बौने होने की वजह से लगभग 6 मीटर 3 6 मीटर या 3 मीटर 3 3 मीटर में लगाया जा सकता है. यह दशहरी आम की तुलना में लगभग 3 गुना अधिक उपज देता है.

पूसा श्रेष्ठ

आम की इस किस्म को आम्रपाली और सेंसेशन के क्रौस से साल 2011 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया. इस के पौधे बौने कद के होने के चलते सघन बागबानी में लगभग 6 मीटर 3 6 मीटर या 3 मीटर 3 3 मीटर की दूरी पर रोपने के लिए उपयुक्त होते हैं.

इस किस्म के फल लंबे और आकर्षक लाल छिलके वाले होते हैं. इसे नियमित फलन वाली किस्मों में गिना जाता है. गूदा नारंगी रंग का, रेशारहित और पकने पर ठोस होता है. यह मध्यम मिठास वाला होता है. इस के फलों का साइज औसतन 228 ग्राम तक पाया गया है. इसे कमरे के तापमान पर 7-8 दिन तक आसानी से रखा जा सकता है. यह घरेलू बाजार के साथसाथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए भी उपयुक्त माना जाता है.

पूसा लालिमा

आम की इस रंगीन किस्म को दशहरी और सेंसेशन के क्रौस से साल 2011 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा रिलीज किया गया. इस के फल आकर्षक चमकीले लाल छिलके के साथ पीले हरे रंग की पृष्ठभूमि लिए होते हैं.

यह किस्म नियमित फलन देने वाली है. इस के पेड़ बौने होते हैं, इसलिए इसे भी सघन बागबानी के तहत लगभग 6 मीटर 3 6 मीटर या 3 मीटर 3 3 मीटर पर रोपा जा सकता है. इस का गूदा नारंगी रंग का होता है. इस को कमरे के तापमान पर 5-6 दिन तक रखा जा सकता है. यह घरेलू बाजार के साथसाथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए भी उपयुक्त माना जाता है.

पूसा दीपशिखा

आम की इस रंगीन किस्म को आम्रपाली व सेंसेशन के क्रौस से साल 2020 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया. इस के फल का छिलका चमकदार लाल रंग का होता है और गूदा नारंगी व पीला रंग लिए हुए होता है. इस किस्म को तुड़ाई के बाद लगभग 7-8 दिनों तक आसानी से भंडारित किया जा सकता है.

इस अवधि में तुड़ाई के बाद फल खराब नहीं होते हैं. इस के पेड़ बौने होते हैं, इसलिए इसे भी सघन बागबानी के तहत 6 मीटर 3 6 मीटर या 3 मीटर 3 3 मीटर पर रोपा जा सकता है.

कोंकण सम्राट

यह किस्म अल्फांसो और टौमी एटकिंस के क्रौस से साल 2014 में क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र वेंगुर्ले, दापोली, महाराष्ट्र द्वारा विकसित किया गया. इस के फलों के साइज की बात करें, तो एकसमान आकार के होते हैं.

इस किस्म के फल का छिलका चमकदार लाल, गूदा नारंगी व पीला होता है. इस किस्म को तुड़ाई के बाद लगभग 7-8 दिनों तक आसानी से भंडारित किया जा सकता है. इस अवधि में तुड़ाई के बाद फल खराब नहीं होते हैं. इस के पेड़ बौने होते हैं, इसलिए इसे भी सघन बागबानी के तहत 6 मीटर  3 6 मीटर या 3 मीटर 3 3 मीटर पर रोपा जा सकता है.

अगर अल्फांसो और टौमी एटकिंस की बात करें, तो उस की तुलना में इस किस्म में पौधों की वृद्धि बेहतर होती है. अल्फांसो 250 ग्राम और टौमी एटकिंस 484 ग्राम की तुलना में मध्यम आकार के फल 284.50 ग्राम के होते हैं. व्यावसायिक नजरिए  से उपरोक्त सभी किस्मों की रोपाई कर के किसान अच्छी आमदनी ले सकते हैं.

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