Seafood : समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा

Seafood : मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग ने पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित अंबेडकर भवन में समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यातक सम्मेलन 2025 का आयोजन किया.

इस बैठक में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचएंडडी) और पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) मंत्री राजीव रंजन सिंह, एमओएफएएचएंडडी और एमओपीआर राज्य मंत्री प्रोफैसर एसपी सिंह बघेल और राज्य मंत्री एमओएफएएचएंडडी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय जौर्ज कुरियन भी उपस्थित थे.

इस बैठक में वाणिज्य विभाग, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण, निर्यात निरीक्षण परिषद, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारियों, उद्योग भागीदारों और किसानों ने भाग लिया. इस में भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और गुजरात के मत्स्यपालन विभागों के अधिकारियों ने भी भाग लिया.

इस बैठक के दौरान, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने भारतीय समुद्री खाद्य (Seafood) की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए इस में मूल्य संवर्धन के महत्त्व पर जोर दिया. उन्होंने मत्स्यपालन क्षेत्र में चल रही सरकारी गतिविधियों पर का जिक्र किया, जिस में सभी भागीदारों के लिए बेहतर बाजार संपर्क हेतु सिंगल विंडो सिस्टम का विकास, उच्च स्तर के सागरीय और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में मत्स्यपालन को मजबूत करना और बुनियादी ढांचे को उन्नत करना शामिल है. इस का उद्देश्य मत्स्यपालन क्षेत्र को और अधिक मजबूत करना है.

उन्होंने आगे उद्योग के सामने आने वाली टैरिफ चुनौतियों से निपटने में समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और राज्य सरकारों के साथ समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण से राज्यवार प्रजाति विशिष्ट निर्यातों के सटीक मानचित्रण और नए निर्यात अवसरों की पहचान के लिए सभी हितधारक के साथ सलाह आयोजित करने का आग्रह किया. उन्होंने वहां मौजूद सभी भागीदारों को भारतीय समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात को और मजबूत बनाने के लिए सरकार की तरफ से आश्वासन भी दिया.

प्रोफैसर एसपी सिंह बघेल ने देश के बड़े मत्स्य संसाधनों का जिक्र किया और सभी भागीदारों से भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन का लाभ उठाने का आग्रह किया. उन्होंने वैश्विक बाजार जोखिमों को कम करने के लिए नए बाजारों की पहचान करने व उन का उपयोग करने के महत्त्व पर जोर दिया और सभी भागीदारों से समुद्री खाद्य (Seafood) मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने और उस का विस्तार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिल कर काम करने का आह्वान किया.

राज्य मंत्री मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय जौर्ज कुरियन ने “वोकल फौर लोकल” दृष्टिकोण को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि घरेलू बाजारों को मजबूत करने से विशेष रूप से वैश्विक टैरिफ चुनौतियों के मद्देनजर मछुआरों एवं किसानों के लिए नए अवसर पैदा होंगे.

एमओएफएएचएंडडी सचिव (मत्स्यपालन) डा. अभिलक्ष लिखी ने इस बात पर जोर दिया कि धनराशि के हिसाब से भारत के समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात का केवल 10 फीसदी ही वर्तमान में मूल्यवर्धित उत्पाद हैं, उन्होंने बढ़े हुए घरेलू उत्पादन या आयात और पुनर्निर्यात रणनीतियों के माध्यम से वैश्विक मानदंडों के अनुरूप इस हिस्से को 30-60 फीसदी तक बढ़ाने की जोर दिया.

उन्होंने एक ही प्रजाति, व्हाइटलेग श्रिम्प पर भारी निर्भरता पर चिंता जताई, जिस का निर्यात मूल्य 62 फीसदी है, लेकिन मात्रा केवल 38 फीसदी है. डा. अभिलक्ष लिखी ने फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की तुरंत आवश्यकता पर जोर दिया और आश्वासन दिया कि टैरिफ और गैरटैरिफ बाधाओं से संबंधित मुद्दों को वाणिज्य विभाग, विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय कर के हल किया जाएगा.

उन्होंने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए उन की पहचान और वित्तपोषण के लिए लक्षित इनपुट का भी आह्वान किया, जिस से समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात मूल्य श्रृंखला में मूल्यवर्धन को विशेष रूप से बढ़ावा मिलेगा.

इस बैठक में भागीदारों ने समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात को बढ़ावा देने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में बताया, जिन में चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों द्वारा कड़े प्रोत्साहनों की पेशकश के बावजूद अधिक मूल्य संवर्धन की आवश्यकता, अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में टैरिफ बाधाएं और यूरोपीय संघ जैसे उच्चमूल्य वाले क्षेत्रों तक पहुंचने में प्रमाणन और अनुपालन संबंधी बाधाएं शामिल हैं.

डा. अभिलक्ष लिखी ने निजी परीक्षण, थर्डपार्टी मंजूरी और कृषि प्रमाणन जैसी गैरटैरिफ बाधाओं के साथसाथ रेनबो ट्राउट जैसे विशिष्ट उत्पादों के लिए कोल्ड चेन और प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे में कमियों की ओर भी इशारा किया. इन सुझावों में बड़े निर्यातकों को योजना के लाभ प्रदान करना, मूल्य संवर्धन के लिए प्रोत्साहन देना, सरकार समर्थित प्रमाणन सहायता को मजबूत करना, बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, वैश्विक खरीदारों के साथ बी2बी संपर्क को आसान बनाना और बैंकों व एनबीएफसी के माध्यम से वित्त तक पहुंच में सुधार करना शामिल था.

समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात के विस्तार के लिए पहचाने गए वैकल्पिक बाजारों में ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, रूस और चीन शामिल थे, जिन में दक्षिण कोरिया की क्षमता और मध्य पूर्व की बढ़ती मांग पर विशेष जोर दिया गया.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने भारत के समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात के भविष्य से संबंधित विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर मीडिया प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की. उन्होंने हाल के अमरीकी टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियों के बारे में विस्तार से बात की और निर्यातकों के हितों की रक्षा और वैश्विक बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखने के लिए सरकार के द्वारा चलाए जा रहे उपायों का भी जिक्र किया.

उन्होंने बीते सालों में मत्स्यपालन क्षेत्र की उपलब्धियों का भी जिक्र किया और उत्पादन में हुई खास बढ़ोतरी, बुनियादी ढांचे के विकास और बाजार विविधीकरण के बारे में बताया. इस के अलावा, उन्होंने भारत में समुद्री खाद्य (Seafood) मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए चलाई जा रही विभिन्न प्रमुख योजनाओं और गतिविधियों पर भी जानकारी साझा की.

Insurance : समुद्री मछुआरों के लिए बीमा

Insurance: मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत में मात्स्यिकी क्षेत्र के स्थाई  और विकास और मछुआरों के कल्याण के माध्यम से नीली क्रांति लाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20,050 करोड़ रुपए के निवेश से प्रमुख योजना ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ का कार्यान्वयन कर रहा है.

यह योजना अन्य बातों के साथसाथ, अंतर्देशीय मछुआरों और मत्स्य श्रमिकों सहित मछुआरों को समूह दुर्घटना बीमा कवरेज के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा उपाय प्रदान करती है, जिस में समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरों और संबंधित मत्स्य श्रमिकों दोनों को शामिल किया जाता है, जिस में संपूर्ण बीमा प्रीमियम राशि केंद्र और राज्य के बीच सामान्य राज्यों के लिए 60:40 के अनुपात में, हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में साझा की जाती है.

जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में, सारी प्रीमियम राशि केंद्र द्वारा भुगतान की जाती है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली बीमा कवरेज में मृत्यु या स्थायी पूर्ण शारीरिक अक्षमता के लिए 5 लाख रुपए, स्थायी आंशिक शारीरिक अक्षमता के लिए ढाई लाख रुपए और दुर्घटना की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने पर 25 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के कार्यान्वयन के बीते 3 सालों में (2022-23 से 2024-25) के दौरान, केंद्र सरकार ने 103.73 लाख मछुआरों के बीमा कवरेज के लिए 54.03 करोड़ रुपए की राशि जारी की है, जिस में सालाना औसतन 34.57 लाख मछुआरे शामिल हैं.

Pulasa Fish: गोदावरी नदी की शान ‘पुलासा’ को है खतरा

Pulasa Fish : गोदावरी की शान कही जाने वाली पुलासा मछली अब गंभीर संकट से जूझ रही है. पुलासा मछली एक पौष्टिक मछली है जिस में अच्छे फैटी एसिड्स, मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं, जो सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं. लेकिन अब गंभीर संकट का सामना कर रही पुलासा मछली बहुत कम होती जा रही है.

पुलासा मछली की संख्या में भारी कमी के बारे में मत्स्य विभाग ने बताया कि ‘पुलासा’ की भारी मांग के कारण, अत्यधिक मछली पकड़ने से यह प्रजाति अब खतरे में है. मत्स्य विभाग ने कहा कि अगर समय रहते सख्त नियम नहीं बनाए गए तो यह प्रजाति खत्म हो जाएगी. जबकि यह प्रजाति 90 के दशक में काफी संख्या में मिलती थी.

पुलासा मछली के बारे में 145 साल पुरानी डच वैज्ञानिक पत्रिका एल्सेवियर के मुताबिक बताया गया है कि ऊपरी नदियों से पानी का कम बहाव, नदियों में भारी गाद जमाव, नदी के मार्गों में बाधा, भोजन और नर्सरी के मैदानों का नुकसान सहित अत्यधिक मछली पकड़ने के कारण नदियों में पुलासा मछली की संख्या में कमी आई है.

Cattle Breeders : लैंगिक वीर्य के मूल्यों में कमी से पशुपालकों को मुनाफा

Cattle Breeders : मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग  (डीएएचडी) ने पिछले दिनों सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालकों के लिए वर्चुअल माध्यम से एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय के  राज्य मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल ने की. पशुपालन व डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी इस  कार्यक्रम में उपस्थित थीं.

राज्य मंत्री, प्रो एसपी सिंह बघेल ने इस कार्यक्रम को पशुपालकों के साथ सीधे संपर्क का एक बहुमूल्य अवसर बताया. उन्होंने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में विभाग के प्रयासों की प्रशंसा की और लैंगिक-वर्गीकृत वीर्य (एसएसएस) जैसी पहलों के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि लैंगिकवर्गीकृत वीर्य के मूल्यों में भारी कमी आई है, जिस से यह देश भर के किसानों के लिए काफी सुलभ और सस्ता हो गया है.

प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किसानों से इस सत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया क्योंकि इस से उन्हें पशुपालन में व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिए ज्ञान को “प्रयोगशाला से खेत तक” पहुंचाने में सहायता मिलेगी. उन्होंने विभिन्न राज्यों के किसानों से बातचीत भी की और उन के पशुधन, पशु चिकित्सा सेवाओं तक उन की पहुंच और विभागीय योजनाओं के बारे में उन की  जागरूकता के बारे में जानकारी प्राप्त की.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने पशुधन स्वास्थ्य की सुरक्षा और बीमारियों केप्रसार को रोकने के लिए समय पर टीकाकरण के महत्व पर बल दिया. उन्होंने जूनोटिक रोगों की  अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की, जो पशुओं से मनुष्य में फैल सकते हैं. उन्होंने रोग नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.

इस के साथ ही, उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने में उन्नत नस्ल सुधार तकनीकों की भूमिका पर भी  बल दिया. उन्होंने किसानों को कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान को अपनी प्रथाओं में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिस से पशुपालन क्षेत्र के विकास में योगदान मिल सके.

देश के पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 2,000 क्षेत्रों से पशुपालकों ने इस जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया. गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दमण और दीव, दादरा और नगर हवेली, गोआ, महाराष्ट्र, पुद्दुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से किसान इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

इस सत्र में 1 लाख से अधिक पशुपालकों ने भाग लिया. इस कार्यक्रम का  उद्देश्य नस्ल सुधार, टीकाकर, जूनोटिक रोग नियंत्रण और स्वच्छता प्रथाओं सहित पशुपालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर किसानों को  जागरूक करना था. इस कार्यक्रम में एसएसएस और टीकाकरण पर विशेषज्ञ सत्र और शैक्षिक  वीडियो का प्रदर्शन भी शामिल था.

क्या होता है लैंगिक वर्गीकृत वीर्य

लैंगिक वर्गीकृत वीर्य एक ऐसा वीर्य है जिस में शुक्राणुओं को लिंग के आधार पर अलग किया जाता है, ताकि वांछित लिंग के बच्चे पैदा करने की संभावना बढ़ाई जा सके. इस का प्रमुख फायदा यह है कि पशुधन (जैसे गाय, भेड़) में, किसान अपनी जरूरत के अनुसार नर या मादा संतान ले सकता है. यदि किसान को अपना दूध उत्पादन बढ़ाना है तो वह पशु की मादा संतान अधिक ले सकता है.

Fisheries : 17 नए मत्स्यपालन समूहों का शुभारंभ

Fisheries : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग ने देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास में मछुआरों,  मछली किसानों और उन के समुदायों की उपलब्धियों व योगदान को मान्यता देने के लिए 10 जुलाई, 2025 को आईसीएआर केंद्रीय मीठा जल कृषि संस्थान (सीआईएफए), भुवनेश्वर, ओडिशा में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 मनाया गया.

इस मौके पर  केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्यपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने और उन्नत बनाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 17 नए मत्स्यपालन समूहों का शुभारंभ किया. शुभारंभ किए गए ये नवीन समूह, वर्तमान 17 समूहों के अतिरिक्त हैं, जिस से देश भर में मत्स्यपालन समूहों की कुल संख्या बढ़कर 34 हो गई है. इस के अलावा, केंद्रीय मंत्री ने 11 राज्यों में 105 करोड़ रुपए की लागत वाली 70 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया.

इस कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने मत्स्यपालन क्षेत्र में गुणवत्ता, मानकीकरण और क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आईसीएआर प्रशिक्षण कैलेंडर जारी करने और बीज प्रमाणीकरण व हैचरी संचालन संबंधी दिशानिर्देशों का उद्घाटन करने सहित कई प्रमुख मत्स्यपालन पहलों की शुरुआत की.

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह और पंचायती राज मंत्रालय ने भारत के मछुआरों और मत्स्य किसानों की सराहना करते हुए उन्हें भारत को विश्‍व का दूसरा सब से बड़ा मछली उत्पादक देश बनाने की उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय दिया, जिस में अंतर्देशीय मत्स्यपालन कुल उत्पादन का लगभग 75 फीसदी योगदान देता है. मत्स्यपालन क्षेत्र आज 3 करोड़ से अधिक मछुआरों और मत्स्य किसानों के लिए पोषण और आजीविका सुनिश्चित करता है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से 38,572 करोड़ रुपए का ऐतिहासिक निवेश किया है, जिस से पूरे क्षेत्र में आय और आजीविका सुरक्षा में काफी बढ़ोत्तरी हुई है.

मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी और पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने नीली क्रांति के दृष्टिकोण के अंतर्गत किसानों की आय दोगुनी करने में मत्स्यपालन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया और आईसीएआर मत्स्य अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित नवाचारों और उन्नत तकनीकों पर जोर दिया, जिन्होंने देश भर में मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साथ ही, उन्होंने मछुआरों और मत्स्यपालकों को अपनी आय बढ़ाने और अपनी आजीविका को मजबूत करने के लिए बीमा योजनाओं, गुणवत्तापूर्ण बीजों तक पहुंच, आधुनिक तकनीकों और नवीन प्रथाओं सहित विभिन्न सरकारी सहायता प्रणालियों का लाभ उठाने के लिए भी प्रोत्साहित किया.

मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री जौर्ज कुरियन ने 195 लाख टन के रिकौर्ड मत्स्य उत्पादन तक पहुंचने पर सभी हितधारकों को बधाई दी, जो पिछले एक दशक में 105 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है और यह भारत के मछुआरों और मत्स्यपालकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है. साथ ही, उन्होंने मत्स्यपालन समुदाय के अमूल्य योगदान की सराहना करते हुए उन्हें और भी अधिक सफलता के लिए प्रयास करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया.

हर राज्य में मत्स्यपालन

भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग ने प्रमुख क्षेत्रों में समूह विकास पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने की परिकल्पना की है, जिस में हजारीबाग में पर्ल समूह, लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल, मदुरै में सजावटी मत्स्यपालन, मध्य प्रदेश में जलाशय मत्स्यपालन, गुजरात में मछली पकड़ने के बंदरगाह, सिरसा में खारे पानी में मत्स्यपालन, जम्मू और कश्मीर में ठंडे पानी में मत्स्यपालन, कर्नाटक में समुद्री पिंजरा पालन, आंध्र प्रदेश में खारे पानी में मत्स्यपालन, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में टूना, छत्तीसगढ़ में तिलापिया, सिक्किम में जैविक मत्स्यपालन, बिहार में आर्द्रभूमि मत्स्यपालन, तेलंगाना में मुर्रेल, केरल में पर्ल स्पौट, ओडिशा में स्कैम्पी, उत्तर प्रदेश में पंगेशियस शामिल हैं.

इस के अलावा, पंजाब और राजस्थान में खारे पानी में जलीय कृषि, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में ठंडे पानी में मत्स्यपालन, पश्चिम बंगाल में शुष्क मछली समूह, पुडुचेरी में मछली पकड़ने का बंदरगाह, नागालैंड में एकीकृत मछलीपालन समूह, मणिपुर में पेंगबा मछली क्लस्टर, असम में नदी मछली समूह, मिजोरम में धान सह मछली समूह, अरुणाचल प्रदेश में एक्वा पर्यटन समूह, गोवा में मुहाना पिंजरा समूह, त्रिपुरा में पाबड़ा मत्स्य समूह, महाराष्ट्र में मत्स्य सहकारी समूह और मेघालय में जैविक मत्स्य समूह पर ध्यान केंद्रित करते हुए 17 नए समूह की पहचान की गई है.

इस समूह आधारित दृष्टिकोण, उत्पादन से ले कर निर्यात तक, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में, सभी आकारों सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े भौगोलिक रूप से जुड़े उद्यमों को एकजुट कर के प्रतिस्पर्धा और दक्षता को बढ़ाता है. यह सहयोगात्मक मौडल मजबूत संबंधों के माध्यम से योजना में आर्थिक रूप से सुधार करता है, मूल्य श्रृंखला की कमियों को दूर करता है और नए व्यावसायिक अवसरों और आजीविकाओं का निर्माण करता है. साथ ही, साझेदारी और संसाधन को बढ़ावा दे कर, इस का उद्देश्य लागत कम करना, नवाचार को बढ़ावा देना और स्थायी प्रथाओं का समर्थन करना है.

ये समूह मछुआरों, उद्यमों, व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त देयता समूहों, एफएफपीओ,                मत्स्य किसानों,    प्रसंस्करणकर्ताओं,  ट्रांसपोर्टरों,  विक्रेताओं, सहकारी समितियों, मत्स्यपालन स्टार्टअप्स और अन्य संस्थाओं सहित अन्य हितधारकों को शामिल करेंगे, जिस से मत्स्यपालन और जलीय कृषि मूल्य श्रृंखला का समग्र विकास और सही तरीके से प्रबंधन सुनिश्चित होगा. इन चिन्हित समूहों को मजबूत करने के लिए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नाबार्ड, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार के साथ सहयोग किया जाएगा. यह साझेदारी मत्स्यपालन क्षेत्र में उद्यमशीलता और मूल्यवर्धन को बढ़ावा देते हुए बुनियादी ढांचे, वित्तीय सहायता और बाजार संबंधों को बढ़ाने पर जोर देगी.

दुग्ध संग्रहण और मत्स्य उत्पादन दो गुना करें

ग्वालियर : कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने पशुपालन ,डेयरी व मत्स्य उत्पादन को आय की प्रमुख आर्थिक गतिविधि बनाने पर जोर देते हुए निर्देश दिए कि दुग्ध संग्रहण व मत्स्य उत्पादन को दो गुना करें. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 10 लाख लिटर दूध का प्रति दिन संग्रहण हो रहा है. इसे 20 लाख लिटर प्रति दिन किया जाए. उन्होंने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु नस्ल में सुधार व दुग्ध संग्रहण के लिए प्रभावी कार्य योजना बना कर उस पर अमल करने के निर्देश दिए.

इसी तरह उन्होंने केज कल्चर जैसी विधियां अपना कर मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कहा. उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि मत्स्य व्यवसाइयों के लिए ‘मछुआ समृद्धि योजना’ के तहत स्मार्ट फिश पार्लर बनाने के काम को अधिक महत्त्व दिया जाए. अशोक वर्णवाल ने यह भी कहा कि सांची पार्लर में सांची दूध की बिक्री अवश्य हो, ऐसा न करने वाले पार्लर निरस्त किए जाएं.

दुग्ध संग्रहण बढ़ाने के लिए पशुपालकों को बनाएं कलेक्शन एजेंट

अतिरिक्त मुख्य सचिव पशुपालन उमाकांत उमराव ने सभी जिला कलेक्टरों से कहा कि दुग्ध संग्रहण बढ़ाने के लिए पशुपालकों को कलेक्शन एजेंट बनाएं. इस के लिए उन्हें कमीशन भी दिया जाए. 5 साल तक हर साल 1,000 कलेक्शन एजेंट बनाएं. उन्होंने आगे कहा कि दूध की इकौनोमिक वैल्यू गेहूं व धान से ज्यादा है. दूध उत्पादन को बढ़ावा दे कर हम किसानों की आय में बड़ा इजाफा कर सकते हैं.

सचिव पशुपालन एवं डेयरी सत्येंद्र सिंह ने कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना और  आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना सहित अन्य योजनाओं की लक्ष्य पूर्ति कर गौ वंश का प्रबंधन और किसानों की आय बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

अधिक आय वाली फसलें उगाएं और डेयरी व मत्स्य को बनाए कमाई का जरीया

ग्वालियर : मध्य प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा है कि किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए परंपरागत कृषि को हाई वेल्यू क्रौप (अधिक आय वाली फसल) में शिफ्ट किया जाए. उन्होंने कहा कि किसानों को इस प्रकार की फसलें अपनाने के लिए प्रेरित करें. उन्होंने कहा कि पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन को आय का अतिरिक्त जरीया न समझे, बल्कि उसे पूर्ण आर्थिक गतिविधि के रूप में लें, जिस से किसानों की आय में अधिक इजाफा हो.

कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने सभी जिला कलेक्टरों से कहा कि वे अपनेअपने जिले में किसानों को परंपरागत खेती के स्थान पर ऐसी फसलें लेने के लिए प्रेरित करें जिस का बाजार में अधिक मूल्य मिल रहा है. इस से किसानों कि आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और किसानों को बेहतर बाजार भी उपलब्ध होगा. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को आधुनिक तकनीक के साथसाथ कृषि के क्षेत्र में उपयोग में लाई जा रही मशीनरी के लाभों से भी अवगत कराया जाए.

कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा कि वर्तमान समय सूचना का समय है. सोशल मीडिया के माध्यम से भी किसानों के हित में केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी किसानों तक पहुंचाई जाए. आधुनिक तरीके से कृषि कर रहे सफल किसानों की जानकारी अन्य किसानों को मिले इस के लिए भी सोशल मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए.

अपर मुख्य सचिव हौर्टिकल्चर अनुपम राजन ने कहा कि उद्यानिकी के क्षेत्र में किसानों को प्रेरित किया जाना चाहिए. इस क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं हैं. हमारा प्रयास होना चाहिए कि उद्यानिकी का क्षेत्र और बढ़े. किसान उद्यानिकी के क्षेत्र में भी ऐसी फसलों को चुने जिस के बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हों. उन्होंने आगे कहा कि उद्यानिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे किसानों का भी शतप्रतिशत पंजीकरण हो यह पक्का किया जाए. सैंटर फौर एक्सीलैंस के प्रस्ताव जिला कलेक्टर शासन को भेजे, ताकि शासन स्तर पर स्वीकृति प्रदान की जा सके.

कृषि संचालक अजय गुप्ता ने बैठक में उर्वरक के उपयोग व उस की उपलब्धता के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में डीएपी के वैकल्पिक उर्वरकों के बारे में किसानों को विस्तार से बताया जाए. सोशल मीडिया के माध्यम से भी किसानों को यह जानकारी दी जाए. उन्होंने कहा कि डबल लौक सैंटर पर जहां किसान खादबीज लेने आते हैं वहां पर एक बेहतर सैंटर स्थापित किया जाए. केंद्र पर किसानों के बैठने, छाया, प्रकाश व पेयजल की व्यवस्था हो, ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो.

आयुक्त सहकारिता मनोज पुष्प ने भी सहकारिता के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने जिला कलेक्टरों से अपेक्षा की वे सहकारिता के क्षेत्र में भी निरंतर मोनिटरिंग कर विभागीय कार्यों का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराएं.

संभागीय आयुक्त मनोज खत्री ने शुरुआत में ग्वालियर चंबल संभाग के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. सभी जिला कलेक्टरों व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा अपने अपने जिले के संबंध में इन सभी विभागों से संबंधित लक्ष्य की पूर्ति और गौशालाओं की स्थापना के बारे में जानकारी दी गई.

Milk Plant : जम्मू में बना 50 हजार टन क्षमता वाला दूध संयंत्र

Milk Plant : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने पिछले दिनों कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शालीमार कन्वेंशन सैंटर में आयोजित एक समारोह में कहा कि नीली क्रांति, मत्स्यपालन व जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना जैसी प्रमुख योजनाओं ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मूकश्मीर में मत्स्यपालन प्रणाली को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो बड़ी उपलब्धि है.

इस अवसर पर जम्मूकश्मीर के कृषि उत्पादन और पंचायती राज मंत्री जाविद अहमद डार, पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय व केंद्र और जम्‍मूकश्‍मीर प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ कश्मीर घाटी के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसान भी मौजूद थे.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने ग्रामीण आय और पोषण सुरक्षा के इंजन के रूप में जम्मूकश्मीर के पशुधन और मत्स्यपालन क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि देश भर में 10 करोड़ से अधिक किसान अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं, जिन में से 90 फीसदी से अधिक डेयरी पशु छोटे और सीमांत किसानों के पास है और यह क्षेत्र ग्रामीण घरेलू आय में 12-26 फीसदी का योगदान देता है, जिस में डेयरी क्षेत्र की भागीदारी में 70 फीसदी से अधिक है. उन्‍होंने बताया कि डेयरी सहकारी सदस्यता में 32 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है, जो समावेशी विकास में डेयरी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि जम्मूकश्मीर में दूध उत्पादन में 47 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है, जहां 2014-15 में दूध उत्पादन 19.50 लाख टन था वह 2023-24 में बढ़ कर 28.74 लाख टन हो गया है. जबकि केंद्र शासित प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 413 ग्राम प्रतिदिन है.

मछलियों के गुणवत्तापूर्ण बीज सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने जम्मूकश्मीर सरकार के लिए डेनमार्क से रेनबो और ब्राउन ट्राउट म‍छलियों के 13.40 लाख आनुवंशिक रूप से उन्नत अंडे (ओवा) के आयात की सुविधा प्रदान की है. इस से ट्राउट मछलीपालकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मछली बीज की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है. इस का उत्पादन 2020-21 में 650 मीट्रिक टन से बढ़ कर 2023-24 में 2,380 मीट्रिक टन हो गया है, जो की 266 फीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है.

Milk Plant

इस से पहले श्रीनगर में सिविल सचिवालय में एक बैठक में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह और जम्मूकश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संयुक्त रूप से जम्मूकश्मीर के पशुपालन और मत्स्यपालन क्षेत्रों की एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. उन्‍होंने सतवारी जम्मू में 50 हजार टन प्रतिदिन क्षमता वाले अल्ट्रा हाई टैंमपरेचर (यूएचटी) दूध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन किया.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि हम आज यहां आप की चुनौतियों को सुनने, समझने और साथ मिल कर काम करने के लिए आए हैं. जहां गुंजाइश है, वहां काम होना चाहिए. उन्होंने केंद्र और जम्मूकश्मीर सरकार के बीच संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया, ताकि संभावनाओं को परिणामों में बदला जा सके. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास तभी हासिल किया जा सकता है जब आर्थिक विकास टिकाऊ आजीविका के माध्यम से जमीनी स्तर तक पहुंचे.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंग ने आगे कहा कि आज युवाओं को सूक्ष्म और लघु स्तर के पशुधन व मत्स्यपालन उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने से रोजगार निर्माण व समावेशी विकास किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण और किसानों को बाजारों से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड जैसे प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों को शामिल करते हुए एक विस्तृत योजना तैयार की जा रही है.

उन्होंने लोगों को यह भी बताया कि भारत सरकार ने हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 852 करोड़ रुपए देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिस में विशेष रूप से जम्मूकश्मीर के लिए 300 करोड़ रुपए शामिल हैं. इस से उत्पादन, उत्पादकता, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सकेगा.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि जम्मूकश्मीर का सालाना मछली उत्पादन 2013-14 में 20,000 मीट्रिक टन से बढ़ कर 2024-25 में 29,000 मीट्रिक टन हो गया है, जबकि ट्राउट मछली उत्पादन 262 मीट्रिक टन से बढ़ कर 2,380 मीट्रिक टन हो गया है, जो 800 फीसदी से भी अधिक की बढ़ोतरी है. उन्होंने कहा कि ट्राउट मछली बीज का उत्पादन 9 मिलियन से बढ़ कर 15.2 मिलियन हो गया है, जबकि कार्प मछली बीज उत्पादन 40 मिलियन से बढ़ कर 63.5 मिलियन हो गया है.

केन्‍द्रीय मंत्री ने बताया कि मत्स्यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि के माध्यम से शीत जल मत्स्यपालन में 120 करोड़ रुपए से अधिक के निजी निवेश का समर्थन किया गया है. साथ ही, जम्मूकश्मीर की शीत जल मत्स्यपालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए मंत्रालय ने अनंतनाग को शीत जल मत्स्यपालन क्लस्टर के रूप में औपचारिक रूप से नामित किया है, जिस में कुलगाम और शोपियां साझेदार जिले हैं, जो स्थायी आजीविका उत्पन्न करने के लिए एकीकृत मूल्यश्रृंखला विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चरण-II के तहत जम्मूकश्मीर में एक एकीकृत एक्वा पार्क के लिए 100 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो समग्र शीत जलीय कृषि विकास के लिए एक मौडल के रूप में काम करेगा.

Fish Transportation: मछलियों की आवाजाही के लिए होगा ड्रोन का इस्तेमाल

Fish Transportation : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्यपालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्यपालन और जलीय कृषि की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 23 मई, 2025 को नई दिल्ली में “मत्स्य पालन सचिव सम्मेलन 2025” और जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सहयोजना  के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई, जिस में योजनाओं की उपलब्धियों और प्रमुख उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

यह बैठक मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्यपालन विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में राज्य मत्स्य विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, ओपन नेटवर्क फौर डिजिटल कौमर्स, लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने राज्यों से नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्यपालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया.

मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया, जिस में संसाधन मानचित्रण, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलू शामिल हैं. हरित और नीले स्थिरता सिद्धांतों के साथ संरेखित स्मार्ट, एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने जीवित मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक पर पायलट परियोजना की जानकारी दी. इस का लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड वाला ड्रोन विकसित करना है, जो कठिन इलाकों में एग्रीगेटर से वितरण बिंदु तक जीवित मछली ले जा सके. उन्होंने मानक संचालन प्रक्रियाओं और सहायक सब्सिडी संरचना के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने पर भी जोर दिया.

आईसीएआर संस्थानों के समर्थन से उन्नत मत्स्यपालन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथसाथ प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर विकास और एक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विशेष ध्यान देने को प्रोत्साहित किया गया. मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर का लाभ उठाने पर जोर दिया गया और राज्यों से सहयोग मांगा गया. मत्स्यपालन सचिव ने सजावटी मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास का आह्वान किया और इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्देशीय मत्स्यपालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों की जानकारी दी. उन्होंने राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आवेदन जुटाने में तेजी लाने और विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभों तक पहुंच बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया ताकि, विभिन्न मत्स्यपालन पहलों के कार्यान्वयन को मजबूत किया जा सके.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत बुनियादी ढांचे, स्मार्ट बंदरगाहों और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर जोर दिया. तटीय राज्यों से समुद्री कृषि क्षेत्रीकरण को आगे बढ़ा कर, अत्याधुनिक तकनीक को अपना कर, जहाज की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और एफएओ की ब्लू पोर्ट पहल और राष्ट्रीय स्थिरता उद्देश्यों के साथ स्मार्ट बंदरगाह परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर स्मार्ट और टिकाऊ मत्स्यपालन की ओर आगे बढ़ने का आग्रह किया गया.

इस कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान, यह नोट किया गया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और संबद्ध पहलों के तहत मत्स्य विकास को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिन पर केंद्रित ध्यान और समर्थन की आवश्यकता है. साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत मछली किसानों के लिए संस्थागत लोन तक पहुंच अभी भी एक चिंता का विषय बनी हुई है. इसलिए इस बात पर जोर दिया गया कि समावेशी और प्रभावी लोन देने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिक मत्स्यपालन प्रथाओं और प्रौद्योगिकी संचालित मौडल पर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

इस के साथ ही, बढ़ते मछली उत्पादन के साथ, कई राज्यों ने मूल्य श्रृंखला दक्षता बढ़ाने के लिए स्वच्छ मछली कियोस्क और आधुनिक मछली बाजारों सहित कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. इस के अलावा, बाजार संपर्कों में सुधार भौतिक और डिजिटल दोनों, मछुआरों और किसानों के लिए उचित मूल्य और स्थिर आय देने में मदद करेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड जैसी योजनाओं के लिए समर्पित पंजीकरण अभियान और राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड पोर्टल पर नामांकन के माध्यम से आउटरीच में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई.

इस कार्यशाला के अंत में इस बैठक ने सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण पहलों को बढ़ाने और हितधारकों के बीच संचार अंतराल को पाटने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया.

Agriculture News : हमारे कृषि संस्थानों का लोहा पूरी दुनिया मानेगी

Agriculture News :   केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में है. 29 मई, 2025 को ओडिशा से इस व्यापक अभियान का शुभारंभ होगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का सारे अधिकारी राज्यों के सहयोग से इस की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में शिवराज सिंह चौहान ने पूसा कैंपस स्थित सुब्रहमण्यम हौल में देशभर के कृषि वैज्ञानिकों से संवाद किया. इस अवसर पर कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी 113 संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ ही देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों व केंद्रराज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और प्राध्यापकों ने बड़ी संख्या में सभागार में उपस्थित रह कर और वर्चुअल जुड़ कर इस संवाद कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.

यहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं सत्ता के सुख के लिए कृषि मंत्री नहीं बना हूं, बल्कि किसानों की सेवा के लिए, उत्पादन बढ़ाने, उत्पादन की लागत घटाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, देश में अन्न के भंडार भरने और भावी पीढ़ी के कृषि संबंधित हितों की रक्षा के लिए ही मेरा जीवन समर्पित है. उन्होंने कहा कि उर्वरक का संतुलित प्रयोग, स्थानीय परिस्थिति, सही शोध जानकारी होने और अच्छे बीजों से किसान को उत्पादकता बढ़ाने में निश्चित तौर पर मदद मिल सकती है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों, विभाग के अधिकारीयों और किसान को जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि इस अभियान के जरिए इसे पूरा करते हुए किसानों से जुड़ने की एक बड़ी कोशिश होने जा रही है.

उन्होंने कहा कि खेती हृदय और लगाव का विषय है. खेती को जिया जाता है. मेरी हर सांस में खेती और रोमरोम में किसान बसे हैं. फसल के अच्छे व खराब होने पर भावनाएं जुड़ जाती हैं.

इसलिए सरकार की पूरी कोशिश कृषि अनुसंधान को आगे बढ़ाने की है. शोध और अनुसंधान के लिए हमारी सरकार फंड की कमी नहीं होने देगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि यह अभियान परिणाम उन्मूलक कार्यक्रम है, जिस का परिणाम इसी खरीफ सीजन में उत्पादन वृद्धि और उत्पादन लागत में कमी के रूप में जल्द ही हमारे सामने होगा. इस के साथ ही, उन्होंने देश के वैज्ञानिकों से अपनी शोध क्षमता को वैश्विक स्तर पर सिद्ध करने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि हमारे कृषि संस्थानों में वो ताकत है, जिस का लोहा पूरी दुनिया मानेगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि इस अभियान के पूरा होने के बाद देश, वैज्ञानिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेगा. यह अभियान 29 मई से 12 जून तक देशव्यापी स्तर पर आयोजित किया जा रहा है, जिस में वैज्ञानिकों की टीमें गांवगांव जा कर किसानों से सीधा संवाद करेगी.

इस अभियान में 731 कृषि विज्ञान केंद्रों और आईसीएआर के 113 संस्थानों के वैज्ञानिक विशेषज्ञ और राज्यों व अन्य कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल रहेंगे. यह अभियान 700 से ज्यादा जिलों में आयोजित किया जाएगा. साथ ही, इस में कृषि, बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन आदि विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी किसान भी शामिल रहेंगे. इस अभियान का लक्ष्य 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद करना है.