उत्पादन के सकल मूल्य के मामले में चावल, गेहूं और मक्का के बाद केला विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है. लाखों लोगों के लिए यह एक प्रमुख प्रधान खाद्य फसल है. साथ ही, स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से आय प्रदान करता है.

केले के पाउडर का इस्तेमाल बच्चे के भोजन के रूप में किया जाता है. नियमित रूप से उपयोग किए जाने पर यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है और उच्च रक्तचाप, गठिया, अल्सर, आंत्रशोथ और गुरदे की बीमारियों से पीडि़त मरीजों के लिए अनुशंसित है.

केले से चिप्स, केला प्यूरी, जैम, जैली, जूस और हलवा जैसे प्रोसैस्ड प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं. कोमल तना, जो पुष्पक्रम को सहन करता है, कटी हुई स्यूडोस्टैम की पत्ती को हटा कर सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है.

भारत दुनिया में सब से बड़ा केला उत्पादक है. 2017-18 के दौरान भारत ने 8.6 लाख हेक्टेयर जमीन से लगभग 304.7 लाख टन केले का उत्पादन किया था.

एक साल से भी कम समय में केले की फसल तैयार की जा सकती है. केला बारहमासी फसल है, जो जल्दी उगता है और पूरे साल इसे काटा जा सकता है. उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से उगाई जाने वाली केले की किस्म ग्रैंड नाइन (जी 9) है.

उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों में जहां केले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, वे हैं सिद्धार्थ नगर, बस्ती, संत कबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, फैजाबाद, बाराबंकी, सुलतानपुर, लखनऊ, सीतापुर, कौशांबी, इलाहाबाद वगैरह. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान भी केले की खेती के प्रति गहरी रुचि ले रहे हैं.

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