Colorful Vegetables : अगर आप छत पर खेती करने जा रहे हैं, तो कुछ चीजों का खास खयाल रखना होगा, नहीं तो फसल को नुकसान पहुंच सकता है. पहले तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप छत पर उगाई जाने वाली सब्जियों में किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशक, फफूंदीनाशक या खाद उर्वरक का उपयोग नहीं करेंगे. पौधों को पोषण देने के लिए आप कोकोपीट, जैविक खाद थोड़ी मात्रा में यदि चाहें तो मिट्टी, वर्मी कंपोस्ट, घरेलू कचरा जैसे सब्जियों का अवशेष, फलों के छिलके, पेड़ों की पत्तियां और गाय के गोबर से बनी जैविक खाद का ही इस्तेमाल करें.
अगर छत पर उगाई गई सब्जियों में किसी तरह के कीटबीमारी का प्रकोप दिखाई पड़ता है तो आप फैरोमैन ट्रैप, नीम की खली, नीम का तेल, ब्युवेरिया बैसियाना, ट्राइकोडर्मा आदि का ही प्रयोग करें.
ऐसे करें सिंचाई प्रबंधन
गमलों की सिंचाई प्रबंधन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बैग में पानी इतना ही डालें कि छिद्र से बहार न निकले. अत्यधिक पानी अथवा कम पानी दोनों ही स्थिति में पौधे की पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
अधिक पानी वजह से पानी के साथ पोषक तत्त्व भी बह कर निकलने की संभावना रहती है, जिस का प्रभाव पौधे की बढ़वार पर पड़ता है, इसलिए छोटे ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करें जो खास कर छत पर की जाने वाली खेती को ही ध्यान में रख कर बनाया जाता है.
अगर गमलों में लगाई गई सब्जियों की फसल के अलावा किसी प्रकार का खरपतवार दिखाई पड़े तो उसे हाथों से निकाल दें.
विदेशी या रंगीन सब्जियों से बढ़ाएं घर की सुंदरता
इन दिनों कुछ ऐसी सब्जियों की किस्में आ गई है, जो देखने में रंगबिरंगी तो होती ही हैं, इन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्त्व भी मौजूद होते हैं. इसी में एक है कद्दूवर्गीय सब्जी समर स्क्वैश या जुकीनी जिसे ‘चप्पन कद्दू’ के नाम से भी जाना जाता है. इसे आप अपने टैरेस, छत या गार्डन में आसानी से रोप सकते हैं, क्योंकि इस में कद्दू और लौकी की तरह लताएं नहीं निकलती हैं, बल्कि यह एक पौध के रूप में गमले में खूबसूरत फल देता है. यह कई रंगों और आकर की वैराइटी में उपलब्ध है. जहां इस की सब्जी जायकेदार होती है, वहीं इस का सलाद भी आसानी से बनाया जा सकता है. इस के अलावा रंगीन गोभी, रंगीन शिमला मिर्च, कई तरह की विदेशी सब्जियां भी आप रोप सकते हैं.
अगर आप इतनी चीजें कर लेते हैं तो कुछ ही दिनों में आप के छत पर हरीभरी सब्जियां लहलहाने लगेंगी. बस आप को इतना करना है कि पौधों में कोई बीमारी न आए और सब्जियों के पौधों को उचित मात्रा में पानी मिलता रहे.