Gooseberry : आंवला बेकार व किसी भी प्रकार की जमीन व जलवायु में उगाया जाने वाला पोषक तत्त्वों से भरपूर एक औषधीय फल है. 30 से 50 साल पुराने आंवले (Gooseberry) के पेड़ों की पैदावार काफी कम होने लगती है और इन की ऊंचाई ज्यादा होती है. ये कारोबारी लिहाज से फायदेमंद नहीं होते हैं. ऐसे पुराने आंवले (Gooseberry) के पेड़ों से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए उन का जीर्णोद्धार यानी सुधार करने की जरूरत होती है. आंवले (Gooseberry) के पुराने पेड़ों का सुधार निम्नलिखित तरीके से करना चाहिए:

* ऐसे पेड़ों को दिसंबर या जनवरी में जमीन से 2.5 से 3.0 मीटर ऊंचाई से काट देना चाहिए. कटे हुए हिस्से को गाय के गोबर, मिट्टी व पानी या सिर्फ गाय के गोबर से लेप देते हैं, जिस से फफूंदीयुक्त रोग के संक्रमण का डर नहीं रहता.

* इस के बाद नए शूट्स यानी कल्ले निकलते हैं, जिन में से 4 से 6 स्वस्थ कल्लों या शाखाओं को सही जगह पर बचा कर रखते हैं. बाकी शाखाओं को काट देते हैं. यह ध्यान रखना चाहिए कि बची शाखाएं चारों तरफ  वाली हों.

* जून या जुलाई में किसी अच्छी प्रजाति से बची शाखाओं (कल्लों) पर बडिंग कर देना चाहिए. इस समय रोग व कीटों से बचाव जरूर करना चाहिए.

* बडिंग के 3 साल बाद पौधा एक पेड़ के रूप में जम जाएगा और फूल व फल देने लगेगा.

* बडिंग के पहले व दूसरे साल करीब 9 किलोग्राम फल प्रति पेड़ की दर से आएंगे, लेकिन तीसरे साल से करीब 110 किलोग्राम फल प्रति पेड़ की दर से हासिल होंगे.

* आंवले (Gooseberry) की छंटाई के बाद 7 से 10 दिनों के अंतराल पर थाले बना कर सिंचाई करनी चाहिए, जिस से नए कल्ले जल्दी निकलते हैं. टपका विधि से सिंचाई करना भी फायदेमंद हैं.

* भिंडी, गोभी, धनिया, हलदी, जमीकंद वगैरह सब्जियां और गेंदा, ग्लेडियोलस वगैरह फूल वाले पौधों को अंत: फसल के रूप में लगा सकते हैं. खारी जमीन में ढेंचा की खेती कर के मिट्टी को सुधारा जा सकता है.

* धान का पुआल, गन्ने की पेराई के बाद बचे भाग वगैरह को बगीचे में बिछा दें, जिस से नमी संरक्षण भी होगा और कार्बनिक पदार्थ भी बढ़ेगा. काली प्लास्टिक शीट भी फायदेमंद है.

* जीर्णोद्धार के समय 50 किलोग्राम प्रति पेड़ सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए. पेड़ों की कटाई के 1 महीने बाद 500 ग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम फास्फोरस और 1 किलोग्राम पोटाश प्रति पेड़ के हिसाब से डालनी चाहिए.

उर्वरकों को मिट्टी में मिला देना चाहिए. खारी जमीन में 100 ग्राम बोरैक्स, 100 ग्राम जिंक सल्फेट व 100 ग्राम कापर सल्फेट प्रति पेड़ की दर से डालना चाहिए.

* अगस्त सितंबर में बोरान, जिंक व कापर (0.4 फीसदी) को हाइड्रेड चूने के साथ मिला कर छिड़काव करना चाहिए. इस से फलों का झड़ना रुकता है व फलों की क्वालिटी बेहतर होती है.

मुख्य कीट : आंवले (Gooseberry) में ज्यादातर शूट गाल मेकर, छाल खाने वाला कैटरपिलर, मिलीबग, उखटा, स्टोन भेदक वगैरह कीड़ों का प्रकोप होता है. इन कीड़ों से बचाव के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए.

नियंत्रण

* शूट गाल मेकर के असर वाली टहनियों को काट देना चाहिए. 0.5 फीसदी मोनोक्रोटोफास अक्तूबर में छिड़कना चाहिए.

* छाल खाने वाले कैटरपिलर से बचाव के लिए 0.25 फीसदी डाइक्लोरोबोस से भीगी रुई कैटरपिलर द्वारा बनाए छेदों पर लगाएं और मिट्टी से लेप दें.

* मिलीबग से बचाव करने के लिए 0.05 फीसदी मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करें. स्टोन भेदक कीट को मारने के लिए 0.2 फीसदी कार्बेरिल या 0.04 फीसदी मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करें.

* छाल खाने वाली इल्ली द्वारा बनाए छेदों में 0.05 फीसदी इंडोसल्फान या 0.03 फीसदी मोनोक्रोटोफास डाल कर छेदों को मिट्टी से बंद करें. इस से पेड़ों को छाल खाने वाली इल्ली से नजात मिल जाएगी.

मुख्य रोग : आंवले (Gooseberry) में अकसर रतुआ (रावेनेलिया एंबलीसी) रोग  प्रकोप हो जाता है, जो काफी घातक होता है.

नियंत्रण

* सितंबर के शुरू में इंडोफिल एम 45, 0.3 फीसदी का छिड़काव करें और  15 दिनों बाद दोबारा छिड़काव करें. इस से रतुआ रोग को फैलने से रोका जा सकता है.

आंवले की खासीयत

* आयुर्वेद में आंवला एक खास फसल है.

* यह फल विटामिन सी का अच्छा स्रोत है.

* आंवला स्कर्वी रोधी (एंटी स्कार्बेटिक), मूत्रवर्धक, शिथिलता रोधी व जैविक रोधी (एंटीबायोटिक) होता है.

आंवले (Gooseberry) से फाइलेंबीन प्राप्त किया जाता है, जो केंद्रीय तंत्र के लिए अच्छा होता है.

* आंवला जिगर को मजबूत बनाने का एक अच्छा टानिक है.

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