नर्सरी में युवा पौधों में साइट्रस कैंकर बीमारी गंभीर नुकसान की वजह बनती है. इस बीमारी से ग्रसित पत्तियां नीचे गिर जाती हैं और गंभीर प्रकोप में पूरा पौधा मर जाता है. पत्तियों पर बीमारी सब से पहले एक छाटे, पानीदार, पारभासी पीले रंग के धब्बे के रूप में प्रकट होती है. जैसेजैसे धब्बे बड़े होते हैं, सतह सफेद या भूरे रंग की हो जाती है और आखिर में केंद्र में टूट कर खुरदुरी, सख्त, कार्क जैसी और गड्ढा जैसी दिखती है. संक्रमण उन फलों में ज्यादा फैलता है, जिन पर धब्बे बन जाते हैं.
कैंकर से संक्रमित फल खाने के लिए सुरक्षित हैं, लेकिन ताजा फल के रूप में इस की बिक्री में भारी कमी आती है. बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिलती है.
साइट्रस कैंकर बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया रंध्रों के माध्यम से या मौसम के चलते या कीड़ों के चलते हुए घावों के माध्यम से पत्तियों में प्रवेश करते हैं, जैसे कि साइट्रस लीफ माइनर (फिलोकोनिस्टिस साइट्रेला) युवा पत्ते सब से ज्यादा संवेदनशील होते हैं. लक्षण आमतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 14 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं. जीवाणु पुराने घावों और पौधों की सतहों पर कई महीनों तक रहते हैं. घावों से जीवाणु कोशिकाएं निकलती हैं, जो हवा और बारिश से फैल सकती हैं. भारी बारिश, तूफान और तेज हवा के चलने से संक्रमण और ज्यादा तेजी से फैल सकता है.
लोग दूषित उपकरण, रोगग्रस्त पेड़ की कटिंग, अनुपचारित संक्रमित फल और संक्रमित पौधों को स्थानांतरित कर के बीमारी को फैलाने में मददगार होते हैं.
यह बीमारी उच्च वर्षा और उच्च तापमान वाले इलाकों में ज्यादा पनपती है. वैसे तो नीबू की सभी प्रजातियां साइट्रस कैंकर के लिए अतिसंवेदनशील हैं, लेकिन यह बीमारी सब से ज्यादा कागजी नीबू में पाई जाती है.