Good Seeds : एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आजादी के समय हमारे देश की स्थिति ठीक नहीं थी. लाल गेहूं आयात कर बमुश्किल अपना पेट भर पाते थे, लेकिन आज स्थिति उलट है. गेहूं और चावल की भरपूर पैदावार है और उस का भंडारण करने के लिए सुविधाओं की भी कमी है. फल और दूध उत्पादन में भी भारत अग्रणी है. अब समय आ गया है कि किसान समृद्धि की ओर बढ़ें.

डा. कर्नाटक पंचायत समिति भींडर के हींता गांव में विकसित कृषि संकल्प अभियान ( प्री खरीफ अभियान ) के तहत कृषक संवाद एवं गोष्ठी में जुटे किसानों को संबोधित कर रहे थे. गोष्ठी में लगभग 300 किसानों ने भागीदारी की. उन्होंने किसानों को नसीहत दी कि कृषि का मूल आधार अच्छा बीज का होना है. अच्छा बीज, अच्छी फसल से ही किसान समृद्ध हो सकता है. इस के लिए खेत में हर तीसरे वर्ष बीज बदलना जरूरी है. अब समय है कि रासायनिक उर्वरकों से दूरी बनाएं तथा गोबर की खाद और वर्मीकंपोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर खेती की सेहत और खेत की मिट्टी को सुधारें. जल, जंगल, जमीन, जंतु का संरक्षण के साथ ही किसानों के लिए ऐसा माहौल तैयार करें कि धरती पुत्र भी कह उठे- ’मैं किसान हूं, इस देश की जान हूं’.

निदेशक अनुसंधान डा. अरविंद वर्मा ने कहा कि वर्तमान में जल संचयन और जल उपयोग की दक्षता अत्यंत जरूरी है. कृषि संकल्प अभियान का प्रमुख ध्येय है कि कृषि प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध को किसानों तक पहुंचाया जाए. पोषण सुरक्षा के साथ जल संसाधन, हवापानी, जीवजंतु की रक्षा के लिए प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा. मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता बताते हुए डा. वर्मा ने कहा कि सिफारिश के अनुसार ही उर्वरक का प्रयोग करें. खेतों में अधिकाधिक कार्बनिक पदार्थ का इस्तेमाल करें. इस से जमीन की सेहत भी सुधरेगी और किसानों को भी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान मिल सकेगा.

उन्होंने एमपीयूएटी द्वारा विकसित प्रताप संकर मक्का-6 को खेतों में बोने को कहा. इस की उपज 60-65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. बीजोपचार व खरीफ में किसानों को अधिक उपज लेने के गुर बताए.

कृषि अधिकारी सत्यनारायण मेनारिया ने कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही कृषि की लाभकारी योजनाएं , तारबंदी, खेत तलाई, स्प्रिंकलर, प्रदर्शन आदि की जानकारी भी दी. सीटीएई के डा. मनजीत सिंह व डा. मालव ने भी मृदा परीक्षण एवं खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, उड़द की उन्नत किस्मों, बोआई के समय बरती जाने वाली सावधानियां, कीटबीमारी व नियंत्रण के बारे में जानकारी दी.

केवीके वल्लभनगर के प्रभारी डा. मनीराम ने केवीके पर किसानों के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी दी.

प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरएल सोनी ने कहा कि कृषि के साथसाथ पशुपालन भी जरूरी है. कृषि व पशुपालन एकदूसरे के पूरक हैं. उन्होंने देशी गिर, कांकरेज साहीवाल नस्लों के गौपालन करने को कहा. कार्यक्रम का संचालन प्रोफैसर डा. लतिका व्यास ने किया.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...