Technology : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने राजधानी स्थित एनएएससी परिसर में पिछले दिनों आईसीएआर सोसाइटी की 96वीं सालाना आम बैठक को संबोधित किया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय कार्यक्रम में बोलते हुए डा. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दुनियाभर में उपलब्ध हर तकनीक अब भारत में भी उपलब्ध है. उन्होंने कहा “अब यह बात माने नहीं रखती कि तकनीक उपलब्ध है या नहीं. अब यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे कितनी तेजी से अपनाते हैं और इसे अपनी अर्थव्यवस्था में जोड़ने के लिए कैसे इस का इस्तेमाल करते हैं.”
डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानसिक और संस्थागत बाधाओं को दूर करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कृषि मूल्य श्रृंखला में कई लोग न केवल नई तकनीकों से अनजान हैं, बल्कि उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि वे इस के बारे में कुछ नहीं जानते.
इस अवसर पर डा. जितेंद्र सिंह ने जम्मूकश्मीर में लैवेंडर क्रांति जैसी सफलता की कहानियों का जिक्र किया, जहां लैवेंडर की खेती के इर्दगिर्द 3,500 से ज्यादा स्टार्टअप उभरे हैं. डा. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे नए जमाने की खेती सैटेलाइट इमेजिंग, रिमोटकंट्रोल ट्रैक्टर और और्डर आधारित फसल उत्पादन का इस्तेमाल कर के कृषि कहानी को नया आकार दे रही हैं. उन्होंने कहा, “भद्रवाह में लैवेंडर से ले कर मंदिर में चढ़ावे के लिए उगाए जाने वाले औफ सीजन ट्यूलिप (फूल) जैसे अनेक उदाहरण हमारे पास हैं, जहां विज्ञान और रणनीति ने मिल कर आय और नवाचार दोनों पैदा किए हैं.”
उन्होंने आगे इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग की पहलों के माध्यम से विकसित कीट प्रतिरोधी कपास और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा विकिरण आधारित खाद्य संरक्षण तकनीक जैसे जैव प्रौद्योगिकी संचालित प्रगति, उत्पादन को बढ़ाने, भंडारण और निर्यात के तरीके को फिर से और बेहतर कर रही हैं. उन्होंने कहा, “इन तकनीकों की बदौलत अब हमारे आम आज अमेरिका तक पहुंच रहें हैं लेकिन अभी भी कई राज्यों को इन उपकरणों का उपयोग करने के लिए आगे आना बाकी है.”
डा. जितेंद्र सिंह ने राज्य कृषि मंत्रियों और संस्थागत हितधारकों से एक गंभीर अपील में नवाचारों के आदानप्रदान को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक अनौपचारिक अंतर मंत्रालयी बातचीत का प्रस्ताव रखा. उन्होंने आग्रह किया, “हमें केवल सालाना बैठकों का इंतजार नहीं करना चाहिए. आइए, एक कार्य समूह बनाएं और जिस का समाधान साझा करें.”
केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने तटीय राज्यों में समुद्री कृषि पहल और मणिपुर में आम या आंध्र प्रदेश में सेब की खेती का उल्लेख करते हुए इसे गैरपारंपरिक लेकिन अत्यधिक व्यवहार्य उद्यम बताया, जो दर्शाते हैं कि कैसे भारत के कृषि मानचित्र को विज्ञान के माध्यम से फिर से तैयार किया जा रहा है.
इस बैठक में केंद्रीय और राज्य मंत्रियों, वैज्ञानिकों, आईसीएआर और संबद्ध मंत्रालयों के अधिकारियों ने भाग लिया और वहां आईसीएआर के प्रमुख प्रकाशनों का विमोचन और सालाना रिपोर्ट और वित्तीय विवरण पर प्रस्तुतियां भी दी गईं.
इस बैठक के अंत में डा. जितेंद्र सिंह ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि हमारी सब से बड़ी चुनौती तकनीक की कमी नहीं है. हमारी सब से बड़ी कमी संपर्क की है, उन के बीच जो इसे विकसित करते हैं और जिन्हें इस की जरूरत है. यही वह पुल है, जिसे हमें अब बनाने की जरूरत है.