नई दिल्ली: 5 दिसंबर 2023 को मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग, भाकृअप -भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली ने इंडियन सोसाइटी औफ सौयल साइंस के दिल्ली चैप्टर के सहयोग से विश्व मृदा दिवस 2023 को पूरे उत्साह के साथ आयोजित किया.

इस वर्ष एफएओ द्वारा विश्व मृदा दिवस की थीम ‘मृदा और जल, जीवन का स्रोत’ दी गई. थीम के आधार पर संभाग में दिल्ली के विभिन्न स्कूलों से आए छात्रों और संभागीय छात्रों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए.

विश्व मृदा दिवस पर कार्यक्रम की शुरुआत डा. टीजे पुरकायस्थ, प्रोफैसर मृदा विज्ञान संभाग, की प्रस्तुति से हुई, जिन्होंने मिट्टी के महत्व और समाज के विकास में मिट्टी की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही, पर्यावरण को साफसुथरा बनाए जाने के लिए कहा गया.

उन्होंने छात्रों को कृषि के साथसाथ पृथ्वी पर जीवन की स्थिरता के लिए प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर मिट्टी और पानी के रखरखाव के बारे में भी जानकारी दी. थीम के आधार पर, छात्रों को मिट्टी और पानी के महत्व और इन संसाधनों को बचाने के तरीकों को समझाने के लिए वीडियो की स्क्रीनिंग भी की गई. इस के बाद उन्हें मिट्टी की उत्पत्ति और विकास दिखाने के लिए संभाग के मृदा संग्रहालय का दौरा भी करवाया गया. छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व से परिचित कराने और उन के ज्ञान का आकलन करने के लिए

Soilछात्रों के लिए विश्व मृदा दिवस थीम पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
कार्यक्रमों के सफल आयोजन के बाद मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग में समापन समारोह का आयोजन किया गया, जिस में मुख्य अतिथि के रूप में भाकृअप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) और डा. विश्वनाथन चिन्नुसामी उपस्थित रहे.

मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग के अध्यक्ष डा. देबाशीष मंडल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और विश्व मृदा दिवस 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित की गई संभाग की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी, जिस का उद्देश्य सतत और लचीली कृषि खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने में मिट्टी और पानी के बीच महत्व और संबंध के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.

इस के बाद मुख्य अतिथि डा. विश्वनाथन चिन्नुसामी द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधि को ध्यान में रखते हुए लगातार घटते प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग और सतत प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है.

उन्होंने युवाओं से जलवायु परिवर्तन के मद्देेनजर बढ़ती आबादी की खाद्य मांग को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता बनाए रखने के साथसाथ सतत कृषि उत्पादन और उत्पादकता के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए नवीन तकनीकों का विकास करने और उन का उपयोग बढ़ाने के लिए आगे आने का आह्वान किया.

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