उत्तर प्रदेश में कृषि कुंभ- 2.0 की तैयारियां शुरू

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में कृषि कुंभ का आयोजन किया गया था, जिस की देशभर में सराहना हुई. इसी प्रकार प्रदेश में कृषि कुंभ 2.0 को वैश्विक समारोह बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. यह आयोजन बीज बाजार तक और दुनियाभर में कृषि क्षेत्र में अपनाई जा रही तकनीक से ले कर नवाचार तक की जानकारी देने वाला होगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह विचार अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.0 की तैयारियों की समीक्षा बैठक के दौरान व्यक्त किया.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.0 में प्रदेश के प्रत्येक जनपद के साथसाथ देश के हर राज्य की भागीदारी कराई जानी चाहिए. हर राज्य में कृषि क्षेत्र में हो रहे बेस्ट प्रैक्टिस को यहां प्रदर्शित किया जाए. इस से हमारे किसान तकनीकी दृष्टि से और अधिक संपन्न हो सकेंगे.

उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.0 का आयोजन इस वर्ष दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में सम्भावित है, जिस का मुख्य कार्यक्रम भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में होगा. इस से पहले नई दिल्ली में कर्टेन रेजर इवेंट भी आयोजित किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.0 में 2 लाख से अधिक किसानों की प्रतिभागिता कराई जाए. भारत सरकार के मंत्री, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कृषि व उस से जुड़े सैक्टरों की ख्यातिप्राप्त कंपनियों/ संस्थाओं, सभी कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, प्रगतिशील किसानों को आमंत्रित किया जाए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन के वैश्विक स्वरूप पर चर्चा करते हुए कहा कि जापान, इजरायल, क्रोएशिया, पोलैंड, पेरु, जर्मनी, यूएसए, फिलीपींस, साउथ कोरिया, इंडोनेशिया जैसे देशों में खेतीकिसानी को ले कर अनेक अभिनव कार्य हो रहे हैं. यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 की तर्ज पर संबंधित देशों में भारतीय दूतावासों / उच्चायोग से संपर्क कर इन देशों को उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.0 में कंट्री पार्टनर के रूप में सहभागी बनाने के प्रयास किए जाएं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश कृषि कुंभ 2.,0 के विभिन्न आयामों के बारे में विमर्श करते हुए कहा कि सम्मेलन के दौरान गौ आधारित प्राकृतिक खेती, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने की तैयारियों, श्री अन्न के प्रोत्साहन, एफपीओ आधारित व्यवसाय, खेती की लागत को कम करने, पराली प्रबंधन के साथसाथ 01 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने वाले राज्य में कृषि सैक्टर के योगदान को बढ़ाने के प्रयासों पर चर्चा कराई जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों/संस्थाओं द्वारा कृषि प्रदर्शनी, इंटीग्रेटेड फार्मिंग, ड्रोन के उपयोग, औद्यानिक क्षेत्र की उपलब्धियों, गोवंश संरक्षण, रेशम उद्योग की प्रगति, एग्रो फौरेस्ट्री, फूलों की खेती कृषि उद्यमिता कृषि विविधीकरण एबी स्टार्टअप, डिजिटल एग्रीकल्चर जैसे विषयों पर विचारविमर्श विशेषज्ञों के व्याख्यान, प्रदर्शनियां आदि आयोजित की जाएं.

बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया गया कि बाजरा, ज्वार, महुआ, सांवा, कोदो, काकुन, कुटकी, चैना, कुट्टू और रामदाना जैसे स्वाद और पोषणयुक्त श्री अन्न (मिलेट्स) की विशिष्टताओं से परिचय कराने के लिए आगामी अक्तूबर माह में राज्य स्तरीय कार्यशाला लखनऊ में आयोजित की जाएगी.

उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला में मिलेट्स के विभिन्न उत्पादों/पकवानों का प्रदर्शन किया जाएगा.

जनप्रतिनिधियों के साथसाथ होटल एसोसिएशन/शेफ, स्कूली बच्चों, एफपीओ इत्यादि को आमंत्रित किया जाएगा. मिलेट्स पर काम करने वाले एफपीओ, उद्यमियों, किसानों को सम्मानित भी किया जाएगा.

यूट्यूब चैनल पर किसान “सवालजवाब” और सीड पोर्टल लौंच

भागलपुर : कृषि विश्वविद्यालय में 25वीं प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक कुलपति डा. डीआर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिस में बैठक में स्वागत भाषण देते हुए प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने ने सभा को विश्वविद्यालय के प्रसार गतिविधियों से अवगत कराया. साथ ही, सफरनामा फिल्म के माध्यम से विश्वविद्यालय की गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया.

मुख्य अतिथि के तौर पर एआरआई, पूसा, नई दिल्ली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. डीके सिंह ने शिरकत किया, साथ ही, चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के पूर्व निदेश प्रसार शिक्षा डा. धूम सिंह ने भी बैठक में भाग लिया.

आईसीएआर, अटारी, पटना के निदेशक डा. अंजनी कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से हुए प्रसार कार्यों की समीक्षा की.

इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “हमारे वैज्ञानिक बदलते मौसम, बाजार और किसानों के हालात को देखते हुए प्रस्ताव ले कर आए,” उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के साथसाथ सभी महाविद्यालयों और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों पर एटिक सेंटर खुलेगा, जिस में विश्वविद्यालय द्वारा तैयार बीज, प्रकाशन एवं अन्य उत्पाद भी उपलब्ध होंगे.

Youtube

बैठक में प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के प्रसार कार्यक्रम पूरे बिहार के किसानों के हित में ध्यान रख कर चलाए जा रहे हैं.

विश्वविद्यालय से उतीर्ण एक पूर्व छात्रा मीनाक्षी ने अपने द्वारा शुरू किए गए मखाना स्टार्टअप से सभा को अवगत कराया एवं अन्य कृषि छात्रछात्राओं से नौकरी मानसिकता से निकल कर अपार संभनाओं से भरा कृषि स्टार्टअप की ओर ध्यान देने को कहा.

प्रगतिशील किसानों में विनीता देवी, सुधांशु कुमार और आनंद ठाकुर ने बैठक में हिस्सा लिया.

पुस्तकों का हुआ विमोचन

प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक के दौरान मोटे अनाज पर कृषि विज्ञान केंद्र, शेखपुरा और बाढ़ द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया गया. इस के अतिरिक्त केवीके, शेखपुरा द्वारा प्रकाशित बकरी के शिशु की देखभाल और केवीके, मुंगेर से प्रकाशित श्री अन्न पुस्तक का भी विमोचन हुआ.

डिजिटल मृदा उर्वरता मैप का हुआ विमोचन

इसी अवसर पर कुलपति द्वारा एक पोर्टल लौंच किया गया, जिस में विभिन्न जिलों के सॉइल फर्टीलिटी को दर्शाने वाले मैप उपलब्ध हैं. इस से किसान अपने जिले की मिट्टी के प्रकार को समझ सकते हैं और उस के अनुरूप अनुशंसित खेती के काम कर सकते हैं.

बैठक में सभी कृषि विज्ञान केंद्रों ने प्रस्तुत किया प्रगति पतिवेदन

बैठक में बीएयू के अधीन सभी 25 कृषि विज्ञान केंद्रों ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया एवं विशेषज्ञों ने केवीके के कार्यों की समीक्षा की एवं बेहतर क्रियान्वयन हेतु कई सुझाव दिए.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी निदेशक, अधिष्ठाता और प्राचार्य उपस्थित रहे. सभा का संचालन आरजे अन्नू ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन सहनिदेशक प्रसार शिक्षा डा. आर एन सिंह ने किया.

बैठक के मुख्य बिंदु

– छोटे किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक मौडल बनाएं.

– जीआई टैगिंग के लिए उत्पादों या फसलों को वैज्ञानिक चिन्हित करें.

– विश्वविद्यालय के यूट्यूब चैनल के मध्यम से राज्यभर के किसानों के लिए 16 अक्तूबर से “सवालजवाब” कार्यक्रम का सीधा प्रसारण होगा.

– किसानों द्वारा ग्रास रूट टैक्नोलौजी (जुगाड़ टैक्नोलौजी) कर उन्हें वैज्ञानिक परिष्कृत करेंगे.

– सीड पोर्टल होगा लौंच, इस के माध्यम से किसान अपनी मांग दर्ज कर सकेंगे.

– किसानों को वैज्ञानिक उन के अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे.

– पटना सहित सभी महाविद्यालयों में खुलेगा एटिक, यहां सिंगल विंडो के तर्ज पर मिलेगा विश्वविद्यालय का बीज, उत्पाद और प्रकाशन.

कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर में रेडियो स्टेशन, मिलेगी कृषि की जानकारी

गया : बिहार सरकार में कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कृषि विज्ञान केंद्र, गया में सामुदायिक रेडियो स्टेशन का लोकार्पण किया. कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मई, 2023 में एफएम बैंड के 89.6 मेगाहर्ट्ज पर लाइसेंस प्रदान किया है, जिस के उपरांत एक शानदार स्टूडियो का निर्माण बिहार सरकार के वित्तीय सहायता से किया गया है. इस नवनिर्मित सामुदायिक रेडियो स्टेशन में एक प्रसारण कक्ष, एक कार्यक्रम निर्माण कक्ष और एक ट्रांसमिशन कक्ष बनाए गए हैं. लोक कलाकारों के रेकौर्डिंग में सहूलियत को ध्यान में रखते हुए एक कलाकार मंच भी बनाया गया है, समुदाय से आने वाले आगंतुकों के लिए एक स्वागत कक्ष बनाया गया है.

स्टेट औफ आर्ट की तर्ज पर बने इस स्टूडियो में अत्याधुनिक रिकौर्डिंग और प्रसारण यंत्रों से युक्त बनाया गया है. यहां से रोजाना 4 घंटे के प्रसारण की शुरुआत की जा रही है. कार्यक्रम निर्माण में गति आने के उपरांत प्रसारण अवधि को भविष्य में बढ़ाया जाएगा. इस स्टूडियो की क्षमता 24 घंटे प्रसारण की है.

Radio StationRadio StationRadio Station

समुदाय को क्या होगा लाभ

सामुदायिक रेडियो संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है. सामुदायिक रेडियो, सार्वजनिक सेवा और वाणिज्यिक मीडिया से अलग प्रसारण का महत्वपूर्ण तीसरा स्तर है. यह स्थानीय लोगों को उन के जीवन से संबंधित मुद्दों को स्वर देने के लिए एक मंच मुहैया कराता है. ऐसे सामुदायिक रेडियो स्टेशन द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, सामुदायिक विकास, संस्कृति संबंधी कार्यक्रमों के प्रसारण के साथसाथ समुदाय के लिए तात्कालिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा सकता है, ताकि उन की चिंताओं को आवाज देने के लिए सशक्त माध्यम बन सके. इस के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं :

– किसानों को खेती के बारे में त्वरित जानकारी मिलेगी. फसलों में रोग, व्याधि एवं अन्य समस्यों के निराकरण के लिए वैज्ञानिक सलाह का प्रसारण किया जाएगा.

– महिलाओं के स्वास्थ्य, गृहकार्य, शिशु की देखभाल से संबंधित जानकारियों के प्रसारण से स्थानीय महिला समुदाय लाभान्वित होंगे.

– मौसम से संबंधित भविष्यवाणी एवं इस के अनुरूप खेती की त्वरित जानकारियों का प्रसारण होगा.

– लोक कलाकारों को सामुदायिक रेडियो एक मंच प्रदान करेगा एवं यहां से स्वस्थ मनोरंजन पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण होगा.

– पशुपालन में आने वाली समस्यों पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण होगा.

– स्वरोजगार एवं स्टार्टअप को समुचित सलाह पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा.

– प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, तूफान, ठनका एवं भूकंप से बचाव से संबंधित कार्यक्रमों और यथासंभव सटीक भविष्यवाणी का प्रसारण किया जाएगा.

– युवाओं के लिए कैरियर सलाह, रोजगार समाचार और विश्वविद्यालयों में प्रवेश से संबंधित कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा.

– समुदाय में देशप्रेम की भावना जगाए रखने, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करने एवं सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का प्रसारण समुदाय की भागीदारी से किया जाएगा.

– समाज में फैली कुरीतियों जैसे बाल विवाह, बाल श्रम एवं अंधविश्वास को दूर करने के लिए कार्यक्रमों का प्रसारण समुदाय की भागीदारी के साथ किया जाएगा.

– नशामुक्ति को प्रोत्साहित करने पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा.

– पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा.

– कृषि विपणन एवं बाजार में फसलों के सही मूल्य की जानकारी दी जाएगी. साथ ही, खरीदार और किसान के बीच संवादहीनता को दूर किया जाएगा.

उत्तम रोपण सामग्री, अधिक उत्पादन की कुंजी

उदयपुर : 30 सितंबर, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय में संस्थागत विकास कार्यक्रम के अंतर्गत स्नातक विद्यार्थियों के लिए “सब्जियों में पादप प्रवर्धन की तकनीकी” पर 6 दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डा. महेश कोठारी, परियोजना सहप्रभारी एवं निदेशक, आयोजन एवं परिवेक्षण ने कहा कि सब्जियों में प्रवर्धन को विद्यार्थी एक उद्यम के रूप में भी स्थापित कर सकते हैं, जिस से अच्छी गुणवत्ता की रोपण सामग्री किसानों को उपलब्ध करा कर वे अच्छा लाभ कमा सकते हैं. साथ ही, वह और दूसरे छात्रों को भी रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं.

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की हाईटैक हौर्टिकल्चर यूनिट पर सब्जियों के प्रवर्धन पर उत्कृष्ट काम हो रहा है, जिस का लाभ किसानों एवं छात्रछात्राओं को मिलना ही चाहिए. ऐसे में यह प्रशिक्षण सभी के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. एसएस शर्मा, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में कृषि में नवाचारों की आवश्यकता है. ऐसे में सब्जियों में प्रवर्धन एक नवाचार के रूप में उभर कर आ रहा है.

किसानों को कई बार गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती है. ऐसे में निम्न गुणवत्ता के बीज एवं पौध का चयन उत्पादन एवं आय में गिरावट करता है. इसलिए सब्जियों में प्रवर्धन की तकनीकी की जानकारी होने से वे खुद रोपण सामग्री तैयार कर पाएंगे.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान, ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण विद्यार्थियों में नवचेतना का संचार करते हैं एवं पाठ्यक्रम की पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य रुचि के विषयों पर प्रशिक्षण से छात्रों में उद्यमिता का भाव विकसित होता है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में समाज की क्रय क्षमता में काफी वृद्धि हुई है, जिस से कि विदेशी एवं उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की मांग भी बढ़ी है. ऐसे में उन का गुणवत्तायुक्त पादप सामग्री उपलब्ध होना अत्यंत आवश्यक है.

प्रशिक्षण प्रभारी डा. कपिल देव आमेटा, सहआचार्य, ने प्रशिक्षण में आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में देशी एवं विदेशी सब्जियों के प्रवर्धन की संपूर्ण जानकारी प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षार्थियों को दी जाएगी. प्रशिक्षण में कुल 30 छात्र छात्रों ने भाग लिया.

कृषि उद्यमिता, जल प्रबंधन का सशक्त मौडल

वर्धा : बढ़ती हुई आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें खेती की उन्नत तकनीकी का उपयोग करते हुए कृषि और उस से जुड़े उत्पादकता की तरफ पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. इस के लिए जरूरी हो जाता है कि हम खेतीबारी में उन्नतशील और अधिक उपज देने वाले ऐसे बीज की किस्मों के उपयोग को बढ़ावा दें, जो कम पानी, खाद और उर्वरक में अधिक उत्पादन देने वाली हो. साथ ही, हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि सेहत पर कैमिकल खादों और उर्वरकों के पड़ रहे बुरे प्रभाव में कमी लाने के लिए धीरेधीरे ही सही, लेकिन हम फसलों में अंधाधुंध कैमिकलl कीटनाशकों के प्रयोग में कमी लाते हुए उसे शून्य स्तर पर लाते हुए जैविक और प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करें.

खेती की लागत में कमी लाने में जितना मददगार उन्नत तकनीकी को माना जा सकता है, उतना ही जरूरी है खेती में उन्नत यंत्रों का प्रयोग. इस से न केवल खेती की लागत में कमी लाई जा सकती है, बल्कि समय और मेहनत का बेहतर प्रबंधन भी संभव है. खेती में मशीनों का उपयोग जुताई, बोआई, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कटाई, मड़ाई, प्रोसैसिंग सहित ब्रांडिंग और पैकेजिंग जैसे कामों को भी आसान किया जा सकता है.

स्थायी और सतत कृषि के लिए जितना जरूरी है उन्नत तकनीकी, उतना ही जरूरी है प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, जिस से हम खेती में काम आने वाले प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग कर उस का सतत उपयोग कर पाएं. खेती में जो सब से जरूरी है, वह है सिंचाई के द्वारा समुचित जल उपयोग और समुचित ऊर्जा उपयोग.

खेती में सिंचाई प्रबंधन के लिए टपक सिंचाई विधि, जिसे ड्रिप इरिगेशन के नाम से भी जानते हैं, के साथ ही पोर्टेबल स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर, लार्ज वौल्यूम (रेनगन) आदि विधियों का उपयोग कर के पानी के उपयोग में कटौती कर सकते हैं, जिस से हम बेहतर जल प्रबंधन करते हुए संभावित जल समस्या से निबट भी सकते हैं.

इस दिशा में नई दिल्ली स्थित संस्था विश्व युवक केंद्र द्वारा देश के अलगअलग राज्यों में खेती और किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रहे सामाजिक और स्वैच्छिक संगठनों के तकरीबन 16 राज्यों के 70 प्रतिनिधियों को बजाज फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कृषि उद्यमिता, कृषि विकास, जल संरक्षण, सामुदायिक सहभागिता और सामाजिक परिवर्तन के सफल मौडल से रूबरू कराने के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण और सीख आधारित भ्रमण का अवसर उपलब्ध कराया गया.

खेती के सफल मौडल

22 सितंबर से 26 सितंबर तक चले इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था महात्मा गांधी द्वारा स्थापित सेवाग्राम के आवासीय परिसर में की गई थी.

कार्यक्रम की शुरुआत विश्व युवक केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह द्वारा सभी लोगों के स्वागत के साथ की गई. पहले सत्र में अतिथियों ने महाराष्ट्र के वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन द्वारा की गई पहल के चलते किसानों की आय में बढ़ोतरी और जल प्रबंधन के मौडल की सराहना की. प्रतिभागियों को सतत और स्थायी कृषि सहित नैचुरल फार्मिंग, समुचित जल उपयोग व प्रबंधन सहित खेती के सफल मौडल की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वर्धा के विधायक पंकज भोयर ने कहा कि देश में अगर खेती के क्षेत्र में परिवर्तन देखना हो, तो महाराष्ट्र के वर्धा जिले के किसानों के खेतों में आएं.

उन्होंने बजाज फाउंडेशन द्वारा वर्धा में जल प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए कामों के लिए देश के लिए मौडल बताया.

कार्यक्रम में पहुंचे वर्धा जिले के जिलाधिकारी आईएएस राहुल कार्डिले ने बताया कि वर्धा जिले में किसान नैचुरल खेती करते हुए अपनी आमदनी बढ़ाने में कामयाब रहे हैं. जरूरी है कि दूसरे राज्यों के किसान भी इसे अपनाएं.

उन्होंने इस प्रशिक्षण और सीख ऐक्सपोजर विजिट कार्यक्रम के आयोजन की पहल के लिए बजाज फाउंडेशन और विश्व युवक केंद्र के प्रयासों की सराहना की.

कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन

सेवाग्राम में आयोजित इस 5 दिवसीय ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम में “कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन” पर भूजल पुनर्भरण और जल संचयन के लिए दुनियाभर में अपने कामों के लिए विख्यात तमसवाड़ा मौडल के निर्माता माधव कोटस्थाने ने भी अपने अनुभव प्रतिभागियों के साथ साझा किए.

इस मौके पर बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीएसआर प्रमुख हरिभाई मोरी ने बजाज फाउंडेशन द्वारा जल संसाधन प्रबंधन और विकास को बढ़ावा देने के लिए बजाज फाउंडेशन की पहल की सफलता को साझा किया.

कृषि उद्यमिता के सफल मौडल पर जानकारी

प्रतिभागियों को कृषि उद्यमिता के जरीए आय में बढ़ोतरी पर जानकारी देने के लिए सफल कृषि उद्यमिता “नागपुर नैचुरल” के संस्थापक हेमंत सिंह चौहान ने अपनी कृषि उद्यमिता यात्रा साझा की. उन्होंने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती, कृषि उद्यमिता और कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन की इस पहल से सैकड़ों प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की आय में तीन गुना तक बढ़ोतरी हो पाई है.

किसानों ने प्रदर्शित किए प्राकृतिक उत्पादन

प्रशिक्षण के दौरान वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन के मार्गदर्शन में नैचुरल खेती कर रहे किसानों ने अपने कृषि उत्पादों का प्रदर्शन किया.

इस दौरान प्रतिभागियों ने किसानों द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों की जम कर खरीदारी की. किसानों ने अपने स्टाल पर सब्जी बीज, मौसंमी, चना, मूंग, सरसों और मूंगफली का तेल सहित कई खाद्य वस्तुओं का प्रदर्शन किया.

खेतों में भ्रमण कर के ली जानकारी

बजाज फाउंडेशन और विश्व युवक केंद्र द्वारा “कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन” पर आयोजित ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन एक फील्ड विजिट का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रतिभागियों को नैचुरल फार्मिंग करने वाले किसान संजय घुमड़े के फार्म का दौरा कराया गया. यहां उन्हें प्राकृतिक खेती के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ.

इस दौरान किसान संजय घुमड़े ने बताया कि शुरू में जब उन्होंने नैचुरल फार्मिंग की शुरुआत की, तो उन्हें 2 साल तक नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें नैचुरल प्रोडक्ट के खरीदारों के बढ़ने से उन की आय में भी बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि वह नैचुरल फार्मिंग के जरीए गन्ना, कपास, सोयाबीन, सब्जी, पपीता, आदि की फसलें उगा रहे हैं. नैचुरल फार्मिंग के चलते कीट और बीमारियों का प्रकोप भी कुछ कम हुआ है.

स्कूली बच्चों का बनाया चेक डैम

किसान संजय घुमड़े फार्म के दौरे के बाद प्रतिभागी सालेहकला गांव गए, जहां प्रतिभागियों ने स्कूली बच्चों द्वारा बनाए गए चेक डैम साइट को देखा, जिसे बजाज फाउंडेशन की डिजाइन फौर चेंज (डीएफसी) पहल के तहत बनाया गया है.

इस दौरान चेक डैम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली छात्रा राधिका रान्नोरे ने बताया कि वह जब स्कूल आती थी, तो उन के पास पूरे दिन के पीने का पानी तक नहीं होता था. लेकिन उन्होंने बच्चों के साथ समुदाय को जागरूक करते हुए बजाज फाउंडेशन के मार्गदर्शन में वह कर दिखाया, जो सपने के बराबर था.

राधिका ने बताया कि उन की पहल से आज स्कूल के पास ही चेक डैम बना हुआ है, जिस में सालभर पानी रहता है.

अमिताभ बच्चन ने भी की थी सराहना

राधिका ने जानकारी देते हुए बताया कि उन की इस पहल से प्रभावित हो कर अमिताभ बच्चन ने उन्हें टीवी सीरियल ‘आज की रात है जिंदगी में बुलाया था’ और उन के कामों की सराहना करते हुए मुझे ही रियल हीरो का दर्जा दे दिया.

खजूर और ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता

इस के बाद प्रतिभागियों ने मोहगांव में थंगावेल डेट्स फार्म का दौरा किया. इस दौरान खजूर फार्म के संस्थापक एसवी थंगावेल ने बताया कि वह मूल रूप से तमिलनाडु के सेलम जिले के पुदुपालियान नामक एक बहुत छोटे से गांव से हैं. सावी को वर्ष 1974 में नागपुर के एक अस्पताल में काम करने का मौका मिला.
उन्होंने इस दौरान अपने बचाए पैसे से कुछ जमीनें खरीद कर वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त होने के बाद खजूर और ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में सीखा.

उन्होंने बताया कि जिल्पी झील के पास, जिल्पीमोहेगांव पीओ, हिंगना तसील, नागपुर में
थंगावेल का खजूर फार्म तैयार कर एग्रो फारेस्ट्री की शुरुआत की.

उन्होंने कहा कि विदर्भ का अधिक तापमान खजूर की खेती के लिए वरदान है. क्योंकि तापमान जितना अधिक होगा, फल उतना ही मीठा होगा.

थंगावेल ने खजूर की खेती की बारीकियों को सीखने के लिए सऊदी अरब में विभिन्न खजूर फार्मों का दौरा किया. गुजरात में कुछ खजूर किसानों से भी मुलाकात की. फिर उन्होंने 130 टिशू कल्चर खजूर के पौधे खरीदे और उन्हें अपनी 2 एकड़ जमीन में लगाया.

विदर्भ में यह प्रयोग बिलकुल नया था. यह पहली बार था कि कोई यहां खजूर की खेती कर रहा था. पर दुख की बात है कि थंगावेल वहां हंसी का पात्र बन गए. उस समय प्रति पौधे की लागत 6,000 रुपए थी, इसलिए यह एक बड़ा जोखिम वाला निवेश था.

एसवी थंगावेल ने बताया कि आज वह विदर्भ क्षेत्र में एक सफल खजूर उत्पादक के साथ स्ट्राबेरी, ड्रैगन फ्रूट के सफल उत्पादक किसानों में गिने जाते हैं. वह खजूर के पेड़ों के बीच देशी तरीके से रेस्टोरेंट चलाने के साथ ही कैंपिंग की सुविधा भी मुहैया कराते हैं. उन के इस प्रयास से हर साल वह लाखों रुपए का कारोबार करते हैं. उन्हें अपने उत्पाद बाहर नहीं बेचने जाना पड़ता है, बल्कि लोग खुद ही यहां आ कर खरीदारी करते हैं. इस के बाद टीम ने मूंगफली तेल निकालने वाले प्लांट का भी विजिट किया, जिस का संचालन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा किया जाता है.

एक किलोग्राम सीताफल वाली नर्सरी का भ्रमण

इस के बाद टीम कहलाद गांव में सरस्वती नर्सरी और फार्म पहुंची, जहां नर्सरी संचालक सुरेश पाटिल ने बताया कि वह 4 दशक से सरस्वती नर्सरी का संचालन कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि सीताफल की एक किलोग्राम वजन वाली किस्म खोजने में सफलता पाई है. उन्होंने बताया कि उन की नर्सरी के पौधे देशदुनिया के अलगअलग कोनों तक जाते हैं.

उन्होंने बताया कि उन की नर्सरी में सीताफल, आम, अमरूद और चीकू आदि की सैकड़ों किस्में तैयार की जाती हैं, जिस से हर साल वह लाखों रुपए का कारोबार करते हैं. इस दौरान उन्होंने लोगों की बागबानी से जुड़ी जिज्ञासा का समाधान भी किया.

बजाज फाउंडेशन और विश्व युवक केंद्र द्वारा “कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन” पर आयोजित ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण के तीसरे दिन प्रतिभागियों ने वर्धा में ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया.

इस दौरान टीम ने पवनार आश्रम, बछराज ट्रेडिंग कंपनी के कार्यालय, बजाजवाड़ी, बजाज समूह का पहला कार्यालय, बापू कुटीर आदि स्थानों का दौरा किया. इन साइटों पर जाने से प्रतिभागियों को हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम और समृद्ध इतिहास में गांधी, विनोबा भावे और बजाज परिवार के अतुलनीय योगदान को समझने में मदद मिली.

दिन की अंतिम यात्रा बजाज फाउंडेशन के कार्यालय की थी, जिस में प्रतिभागियों को एक वृत्तचित्र के माध्यम से फाउंडेशन के द्वारा क्षेत्र में किए जा रहे अनुकरणीय कार्यों की एक झलक मिली.

दिन का समापन यशोदीप हाईस्कूल, वर्धा के युवा और बेहद प्रतिभाशाली बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक मनमोहक सांस्कृतिक उत्सव के साथ हुआ.

दौरे के अंतिम दिन बजाज फाउंडेशन जहां प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के साथ अपने समग्र अनुभव साझा किए, वहीं कार्यक्रम का समापन प्रमाणपत्र वितरण के साथ हुआ.

आयोजक बोले

बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष-सीएसआर, हरिभाई मोरी ने बताया कि इस ट्रेनिंग और विजिट कराए जाने का मकसद किसानों के साथ काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं को कृषि से जुड़े नवाचारों, नैचुरल फार्मिंग और कृषि उद्यमिता से रूबरू कराना है, जिस से कि संस्थाएं अपनेअपने क्षेत्रों में किसानों के बीच इस मौडल को प्रोत्साहित कर उन की आय में वृद्धि कर पाने में मदद कर पाएं.

विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली के सीईओ यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह ने बताया कि बजाज फाउंडेशन के साथ विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली द्वारा 18-22 अगस्त, 2023 और 22-26 सितंबर, 2023 तक दो बैंचों में कुल मिला कर 150 से अधिक एनजीओ प्रतिनिधियों ने ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण कार्यक्रम के जरीए जल संसाधन प्रबंधन और कृषि एवं कृषि आधारित उद्यमिता की जानकारियां प्रदान की गईं, जहां लोगों ने आपस में अपने अनुभव भी साझा किए.

प्रतिभागियों ने सराहा

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जनपद से आई काव्या सिंह ने बताया कि उन की संस्था किसानों के हित में काम कर रही है. वर्धा भ्रमण के दौरान उन्हें कई ऐसी तकनीकी जानकारी मिली, जिसे अपना कर उत्तर प्रदेश के किसान भी अपनी आय को दो से तीन गुना तक बढ़ा सकते हैं.

युवा प्रशांत पांडेय ने बताया कि इस भ्रमण से सामुदायिक सहभागिता के जरीए जल संरक्षण और प्रबंधन के बारे में बेहतर जानकारी मिली.

मध्य प्रदेश के राम शरण राय ने बताया कि उन के प्रदेश में कपास और सोयाबीन की व्यापक खेती होती है. इस भ्रमण से नैचुरल फार्मिंग के जरीए कपास और सोयाबीन की खेती में लागत और जोखिम को कम करने की जानकारी मिली.

प्रयागराज के सचिन सिंह बताया कि किसानों के सफल प्रयासों को सीखने में ऐक्सपोजर विजिट मील का पत्थर साबित हो सकती है. वहीं दूसरी ओर कानपुर के विजय ने वर्धा में बागबानी के टिप्स सीख अपने जिले के किसानों में साझा करने की बात कही.

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के मनोज सिंह ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान पारंपरिक फसलें ज्यादा लेते हैं. ऐसे में वर्धा भ्रमण से कामर्शियल खेती के गुणों को सीखने का अवसर मिला, जिसे वह अपने जिले के किसानों के बीच साझा करेंगे.

मछुआरा परिवार को मिला 5 लाख

उदयपुर : 2 अक्तूबर, 2023. जयसमंद झील पर कार्यरत मत्स्य उत्पादक सहकारी समिति घाटी के सदस्य गौतम लाल पुत्र शंकर भील की पानी में डुबने से हुई मौत पर उस की पत्नी लक्ष्मी को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना राशि से 5 लाख रुपए का भुगतान किया गया. यह राशि बीमा कंपनी द्वारा डीबीटी के माध्यम से सीधे ही मृतक आश्रित के बैंक खाते में ट्रांसफर की गई.

गौतम लाल की दुर्घटना में मृत्यु होने पर उस के परिवार द्वारा मत्स्य विकास अधिकारी डा. दीपिका पालीवाल, मत्स्य विकास अधिकारी, जयसमंद के निर्देशानुसार मृतक की मृत्यु का प्रमाणपत्र, पुलिस रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित अन्य जरूरी दस्तावेज तैयार करा कर कार्यालय को प्रस्तुत किए गए.

विभाग से क्लेम प्रकरण तैयार कर राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद के माध्यम से ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी को भिजवाया गया.

उल्लेखनीय है कि मत्स्य विभाग द्वारा हर साल सक्रिय मछुआरों का निः शुल्क सामूहिक दुर्घटना बीमा करवाया जाता है, जिस के तहत बीमा प्रीमियम की पूरी राशि विभाग द्वारा वहन की जाती है. लाभार्थी मछुआरों से कोई राशि नहीं ली जाती है.

बता दें कि इस समय मत्स्य विभाग के पास जयसमंद में 900 से अधिक मछुआरे रजिस्टर्ड हैं, जिन का मत्स्य दुर्घटना बीमा करवाया जाता है. दुर्घटना बीमा राशि स्वीकृत होने एवं मृतक आश्रित के बैंक खाते में ट्रांसफर होने की सूचना मत्स्य विकास अधिकारी द्वारा उन के परिवार को दी गई. आर्थिक सहायता प्राप्त होने पर मृतक के परिवार ने विभाग का आभार व्यक्त किया.

फसल विविधीकरण पर किसान प्रशिक्षण

उदयपुर : कार्यक्रम का उद्घाटन अनुसंधान निदेशक डा. अरविंद वर्मा द्वारा किया गया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि फसल विविधीकरण एक मौलिक कृषि पद्धति है, जिस में भूमि के एक ही टुकड़े पर या कृषि प्रणाली के भीतर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाना शामिल है.

फसल विविधीकरण ने अपने कई लाभों के कारण आधुनिक कृषि में बढ़ती मान्यता और महत्व प्राप्त कर लिया है, जिस में आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक पहलू शामिल हैं.

परियोजना प्रभारी डा. हरि सिंह ने कृषि में फसल विविधीकरण की माली अहमियत को समझाते हुए कहा कि फसल विविधीकरण से कृषि कार्यों की आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार हो सकता है. विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती कर के किसान विभिन्न बाजारों तक पहुंच बना सकते हैं, एक ही फसल की कीमत में उतारचढ़ाव पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं और संभावित रूप से अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

डा. जगदीश चौधरी ने फसल विविधीकरण हेतु फसलों के चुनाव व उन की उन्नत उत्पादन तकनीकी की जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न प्रकार की फसलें बोने से यह सुनिश्चित होता है कि एक पर्यावरण या मौसम संबंधी घटना, जैसे सूखा या भारी वर्षा से पूरी फसल के नष्ट होने की संभावना कम होती है.

डा. नारायण लाल मीणा ने किसानों को फसल विविधीकरण के अंतर्गत मशरूम उत्पादन की उन्नत तकनीक की जानकारी दी.

कार्यक्रम में शामिल पादप व्याधि रोग विशेषज्ञ डा. पोकर रावल ने बताया कि फसल विविधता की प्रक्रिया की वजह से कई बीमारियों के जीवनचक्र को तोड़ दिया जाता है, जिस से उन के प्रसारण में अवरोध होता है और कृषि रोगनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है. यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए उपयोगी नैसर्गिक और सतत तरीके से कृषि बीमारियों का प्रबंधन करने का एक प्राकृतिक और सतत तरीका है.

डा. अमित त्रिवेदी ने किसानों को वर्तमान समय में फसल विविधीकरण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी, वहीं डा. रविकांत शर्मा, सहायक निदेशक, ने कार्यक्रम का संचालन किया और अपने संबोधन में कहा कि फसल विविधीकरण केवल एक कृषि तकनीक नहीं है, यह एक बहुआयामी रणनीति है, जो लगातार बदलती दुनिया में टिकाऊ कृषि और खाद्य सुरक्षा की कुंजी रखती है.

इस दौरान परियोजना से जुड़े कनिष्ठ अनुसंधान अध्येता एमएल मरमट, एएस राठौर, आरएल बडसरा, एनएस झाला एवं गोपाल नाई भी उपस्थित थे.

विशाखापत्तनम में समुद्री संग्रहालय

विशाखापत्तनम: मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परशोत्‍तम रूपाला और राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिंह राव ने पिछले दिनों भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण, विशाखापत्तनम में नवनिर्मित समुद्री संग्रहालय का उद्घाटन किया, जहां 250 से अधिक संरक्षित नमूने रखे गए थे. संग्रहालय में सभी नमूने आधुनिक तकनीक (जैसे क्यूआर कोडिंग) के साथ प्रदर्शित किए गए थे, जिस में केवल एक क्लिक के साथ पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती थी और यह विज्ञान के छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं और आम जनता के लिए बहुपयोगी है.

भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण, मुंबई के महानिदेशक डा. आर. जयभास्करन और एफएसआई विशाखापत्तनम के एमएमई/कार्यालय प्रमुख डी. भामी रेड्डी ने भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण के विशाखापत्तनम बेस पर परशोत्तम रूपाला और जीवीएल नरसिम्हा राव का स्वागत किया.

Fisheriesप्रारंभ में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला ने मत्स्यपालन विभाग के अधीनस्थ कार्यालयों अर्थात भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (एफएसआई), केंद्रीय मात्स्यिकी समुद्री और इंजीनियरिंग प्रशिक्षण संस्थान (सीआईएफनेट) और राष्ट्रीय मात्स्यिकी पोस्ट हार्वेस्ट टैक्नोलौजी एंड ट्रेनिंग संस्थान (एनआईएफपीएचटीटी) की गतिविधियों की समीक्षा की. बैठक में तीनों विभागों के प्रमुखों के साथ कार्यालय प्रमुख उपस्थित थे. उन्होंने सभी तीन संस्थानों के अधिकारियों के साथ बात की और चर्चा किए गए मुद्दों को तुरंत मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया.

इस के बाद परशोत्तम रूपाला ने सम्मेलन हाल, एफएसआई, विशाखापत्तनम में मत्‍स्‍यपालन उद्योग, समुद्री खाद्य निर्यातक संघों, हैचरी मालिकों, उद्यमियों के कई प्रतिनिधियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ चर्चा की, जहां 40 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और दुनियाभर में मछली उत्पादों के निर्यात के लिए अपनी कठिनाइयों के बारे में बताया.

सी फूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने उद्योग को निरंतर समर्थन देने के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया. वहीं भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण के महानिदेशक डा. आर. जयभास्करन, विशाखापत्तनम बेस के कार्यालय प्रमुख डी. भामी रेड्डी, सिफनेट, कोच्चि के निदेशक एम. हबीबुल्ला और एनआईएफपीएचटीटी के निदेशक, सीएस, डा. शाइन कुमार ने परशोत्तम रूपाला को सम्‍मानित किया.

बखिरा झील और पक्षी विहार का सौंदर्यीकरण

संत कबीर नगर : जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर की अध्यक्षता में बखिरा झील/पक्षी विहार के सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन विकास के दृष्टिगत कार्य योजना तैयार करने में संबंधित विभागों की भूमिका सहित बखिरा झील के सौंदर्यीकरण एवं विकास की संभावनाओं से संबंधित बैठक कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई. इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी जय प्रकाश एवं पूर्व विधायक राकेश सिंह बघेल उपस्थित रहे.

बैठक में जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने बखिरा में स्थित बखिरा झील एवं बखिरा पक्षी विहार को विभिन्न आयामों से विकसित किए जाने के दृष्टिगत संबंधित विभागों द्वारा पूर्व की कार्य योजनाओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए राजस्व विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, कृषि, उद्यान, मनरेगा, पीडब्लूडी, मत्स्य सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि बखिरा झील एवं पक्षी विहार के सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के लिए उन के विभाग से संबंधित कामों की रूपरेखा और आगणन तैयार कर अगली बैठक में समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए.

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने बखिरा झील एवं पक्षी विहार के विकास एवं सौंदर्यीकरण हेतु स्थानीय लोगों में जागरूकता पैदा करने, बखिरा झील के विकास से होने वाले स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभों से जागरूक करते हुए उन्हें इस से जोड़ने के निर्देश दिए.

बैठक में उपस्थित मेंहदावल के पूर्व विधायक राकेश सिंह बघेल ने बखिरा झील एवं पक्षी विहार के विकसित किए जाने के संबंध में पूर्व में किए गए प्रयासों, कराए गए कामों सहित कई बिंदुओं पर अपने अनुभव से अवगत कराया.

jheelउन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे दर्जनों नालों का पानी, जो बिना उपचारित किए हुए सीधा झील में जाता है, उस का ट्रीटमेंट कर के ही झील में डाला जाए, जरूरत के मुताबिक वाटर मैनेजमेंट के दृष्टिगत बंधों का निर्माण किया जाए और पक्षियों को मारने सहित झील के प्राकृतिक सौंदर्य से छेड़छाड़ करने वाले के अराजक तत्व के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए.

जिलाधिकारी ने इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को अविलंब कार्यवाही के निर्देश दिए.

जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी सदर से बखिरा झील के नक्शे को देखते हुए विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी प्राप्त करते हुए बखिरा झील/पक्षी विहार को इकोटूरिज्म, इकोविलेज, वाटर पार्क, सोलर पार्क, वाटर हार्वेस्टिंग, और्गेनिक फार्मिंग सहित विकास की कई संभावनाओं के साथ काम करने की दिशा में प्रेरित किया.

जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि संबंधित विभाग के अधिकारी संयुक्त टीम बना कर बखिरा झील का भ्रमण करते हुए मूलभूत आवश्यकताओं को शामिल करते हुए अपने विभाग से संबंधित प्रोजैक्ट बनाएं.

इस अवसर पर ई. सुधांशु सिंह, डीएफओ पीके पांडेय, उपजिलाधिकारी सदर, शैलेश दूबे, डीसी मनरेगा प्रभात द्विवेदी, उपकृषि निदेशक राकेश सिंह, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, भूमि संरक्षण अधिकारी शंशाक चौधरी, जिला उद्यान अधिकारी भूषण सिंह, खंड विकास अधिकारी बघौली, ओएसडी बलदाऊ शर्मा, सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज उपस्थित रहे.

उन्नत नस्ल के पशुओं को ले कर हुआ समझौता

अविकानगर : बुंदेलखंड नेचुरल्स एलएलपी (उत्तर प्रदेश) और आईसीएआर-केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर (राजस्थान) के एग्री-बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर (एबीआईसी) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया. निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने बताया कि एमओयू का मुख्य उद्देश्य पशुपालन के क्षेत्र में भेड़बकरियों और खरगोशों के विशिष्ट जर्म प्लाज्म के चयन, प्रसार और विपणन से संबंधित उन्नत तकनीकियों को संबंधित क्षेत्र के किसानों तक पहुंचाना है. बुंदेलखंड क्षेत्र में कम से कम संसाधनों और वहां की भौगोलिक परिस्थिथियो में भेड़बकरी एवं खरगोश का पालन आसानी से किया जा सकता है.

इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से अनुसंधान तकनीकियों को संभावित ग्रामीण युवाओं तक पहुंचा कर उन को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करना है, जिस से बुंदेलखंड एरिया में छोटे पशुओं के पालन को प्रोत्साहन किया जा सके.

अतिथियों ने संस्थान के विभिन्न अनुभागों में किए जाने वाले अनुसंधानों एवं कार्यकलापों की भ्रमण के साथ सराहना की.

एमओयूकर्ता द्वारा संस्थान के एलपीटी डिवीजन, एफटीयू डिवीजन, एबीआईसी और टीएमटीसी डिवीजन, सेक्टर-12, सेक्टर-9 और बकरी यूनिट का भ्रमण कर अपने एरिया के हिसाब से जानकारी ली.

एमओयू के अवसर पर संस्थान निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर, बुंदेलखंड नेचुरल्स एलएलपी (उत्तर प्रदेश) के निदेशक असलम खान, सलीम खान, संस्थान के इंद्रभूषण कुमार ( मुख्य प्रशासनिक अधिकारी), डा. अरविंद सोनी (सहप्रधान अन्वेषक व वैज्ञानिक एबीआईसी) उपस्थित रहे. अविकनगर के मीडिया प्रभारी डा. अमर सिंह मीना ने जानकारी से अवगत कराया.