Seed : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा संचालित अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के अंतर्गत ‘प्रशिक्षण एवं बीज (Seed) वितरण कार्यक्रम’ का भव्य आयोजन संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र, करनाल (हरियाणा) में किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों, विशेषकर अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, गुणवत्तापूर्ण बीजों, पोषक तत्त्व प्रबंधन, और वैज्ञानिक पद्धतियों की जानकारी एवं सुविधा उपलब्ध कराना था, जिस से वे आत्मनिर्भर और लाभकारी कृषि की दिशा में अग्रसर हो सकें.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे डा. आरएन पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार), आईएआरआई, नई दिल्ली. उन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि अनुसूचित जाति उपयोजना का उद्देश्य केवल प्रशिक्षण प्रदान करना नहीं, बल्कि किसानों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित कर उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है. जब किसान स्वयं तकनीक अपना कर नवाचार करेंगे, तभी वास्तविक कृषि क्रांति संभव होगी.

उन्होंने किसानों को मृदा परीक्षण, सूक्ष्म पोषक तत्त्व प्रबंधन, जैविक एवं एकीकृत पोषण प्रबंधन, जल संरक्षण तकनीकों और पराली प्रबंधन की महत्ता पर बल दिया.

विशिष्ट अतिथि विजय सेतिया, पूर्व अध्यक्ष, अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की कृषि को प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण बीजों, वैज्ञानिक विधियों और फसल विविधीकरण पर ध्यान देना होगा. किसान यदि नवाचार और विपणन की आधुनिक तकनीकें अपनाएं तो उन की आय कई गुना बढ़ सकती है.

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.

डा. संदीप कुमार लाल, नोडल अधिकारी (एस.सी.एस.पी.) ने योजना की रूपरेखा, उद्देश्यों और अब तक हुए कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आईएआरआई के वैज्ञानिक दल लगातार सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के किसानों तक तकनीकी नवाचार और उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स पहुंचाने के लिए कार्यरत हैं.

Seed

डा. शिव कुमार यादव, अध्यक्ष, आईएआरआई क्षेत्रीय स्टेशन, करनाल ने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि बीज (Seed) उत्पादन केवल तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि एक आर्थिक अवसर है, जो किसानों को उद्यमी बना सकता है.

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अधिकाधिक लाभ उठाएं और फील्ड स्तर पर तकनीक के दूत बनें.

डा. संदीप सिहाग ने पर्यावरणीय चुनौतियों के अनुरूप पर्यावरण अनुकूल और जलवायु स्मार्ट कृषि पद्धतियों को अपनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि पराली जलाने के बजाय उस का उपयोग ऊर्जा स्रोत, जैविक खाद और पशु आहार के रूप में किया जा सकता है. यह किसानों की आय के नए अवसर खोलता है और प्रदूषण में भी कमी लाता है.

कार्यक्रम में लगभग 500 किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा चयनित इनपुट सामग्री जैसे गेहूं और सरसों की उन्नत किस्मों के बीज (Seed), वर्मी कंपोस्ट, जिंक सल्फेट, स्प्रे पंप और सब्जी बीज (Seed) किट वितरित किए गए..किसानों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से उन्हें नवीनतम तकनीकों की जानकारी, व्यावहारिक अनुभव और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा मिलती है.

कार्यक्रम के दौरान डा. अश्वनी कुमार, प्रधान वैज्ञानिक सहित उत्कृष्ट कार्य करने वाले तकनीकी, प्रशासनिक, यंग प्रोफैशनल्स, एमटीएस एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को उन के विशिष्ट योगदान के लिए प्रमाणपत्र और मोमैंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया. यह सम्मान समारोह संस्थान के प्रगतिशील और प्रेरक कार्य वातावरण का प्रतीक रहा.

कार्यक्रम का संचालन डा. संगीता यादव, प्रधान वैज्ञानिक, आईएआरआई, करनाल द्वारा किया गया, जिन्होंने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया. अंत में धन्यवाद प्रस्ताव डा. राकेश सेठ, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत किया गया. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन किसानों और वैज्ञानिकों के बीच एक सशक्त संवाद सेतु का कार्य करते हैं, जो कृषि के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है.

इस अवसर पर डा. रेनू सिंह, डा. रुचि बंसल, डा. शशांक पी.आर, डा. चंद्रमणि वाघमरे (आईएआरआई, नई दिल्ली) और डा. रविंदर कुमार (भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल) सहित अनेक वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित रहे.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...