Horticulture Crops : किसान अपने खेतों में परंपरागत फसलें जैसे गेहूं, चना, मटर, सरसों, जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, धान आदि बो कर उत्पादन करते हैं, पर अगर वे अपने कुछ खेतों में बागबानी (Horticulture Crops) फसलें बोएं तो उन्हें अच्छाखासा लाभ होगा.

उत्तर प्रदेश की विविधतापूर्ण जलवायु सभी प्रकार की बागबानी फसलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है. बागबानी फसलों के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के फलों पपीता, अमरूद, केला, आम, अंगूर, और बेल आदि शाकभाजी में फूलगोभी, बंदगोभी, मटर, टमाटर, शलगम, आलू, प्याज, लौकी, कद्दू, गाजर आदि, मसालों में धनिया, हलदी, सौंफ, जीरा, मिर्च, लहसुन आदि, औषधीय खेती में एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, पिपरमैंट, शतावरी, तुलसी, ब्राह्मी आदि फसलें बो कर किसान अच्छाखासा लाभ प्राप्त कर रहे हैं. बागबानी खेती के लिए सरकार अनुदान भी दे रही है, जिस का लाभ किसानों को मिल रहा है.

उत्तर प्रदेश के कृषि सैक्टर के विकास में लगभग 28 फीसदी औद्यानिक फसलों का योगदान होता है. प्रदेश में अधिकतर छोटे, लघु और मध्यम किसानों द्वारा परंपरागत खेती के स्थान पर बागबानी खेती को अपना कर फसलें उत्पादित कर आर्थिक लाभ लिया जा रहा है.

Horticulture Crops

बागबानी फसलों का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान है. बागबानी फसलें (Horticulture Crops) इकाई क्षेत्र से अधिक आय, रोजगार एवं पोषण उपलब्ध कराने में सक्षम है.

बागबानी फसलें (Horticulture Crops) विविधतापूर्ण होती हैं. बढ़ती मांग तथा कृषि में महत्त्वपूर्ण योगदान, फसलों के व्यावसायीकरण, विविधीकरण से प्रदेश सरकार बागबानी फसलों के क्षेत्रफल में विस्तार करते हुए किसानों को हर तरह की सुविधा दे रही है. प्रदेश सरकार पुराने आम, अमरूद, आंवला आदि के अनुत्पादक बागों का जीर्णाेद्वार करा कर उन के उत्पादन में बढ़ोतरी कर रही है, साथ ही गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन कर पौधों को अधिक से अधिक रोपण हेतु किसानों, उत्पादकों को दे रही है, जिस से संबंधित फसल का वे अधिक से अधिक उत्पादन कर सकें. विभिन्न फलों/शाकभाजी/मसालों/औषधियों की फसलों के तुड़ाई/कटाई के बाद उन के रखरखाव के उचित प्रबंधन, वाजिब मूल्य पर विक्रय करा कर किसानों को उन की फसल का मूल्य दिलाने सहित बागबानी फसलों को बढ़ावा देते हुए सरकार प्राथमिकता से क्रियान्वयन करा रही है.

प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में फल, शाकभाजी, आलू, पुष्प, मसाले, औषधीय एवं सगंधपौधों, पान विकास के साथसाथ सहायक उद्यम के रूप से मौनपालन, मशरूम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, पान की खेती आदि के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं, जिन का लाभ किसानों को दिया जा रहा है. प्रदेश में एकीकृत बागबानी विकास मिशन, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई की स्थापना, औषधीय पौध मिशन, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में बागबानी विकास के माध्यम से कृषकों को अनुदान देते हुए उन के उत्पादन में वृद्धि की जा रही है.

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प्रदेश में विभिन्न फसलों को खाद्य प्रसंस्करण करने के लिए स्थापित इकाइयों में आवश्यक मानव संसाधन की दृष्टि से भी बागबानी फसलों के किसानों, कृषि मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो रहा है.

प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजना के तहत प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नवीन उद्यान रोपण, शाकभाजी बीज, पुष्प, मसाला औषधीय फसलों का विस्तार किया गया है. औफ सीजन हाई वैल्यू सब्जी व पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन हाउस एवं शेडनैट हाउस का निर्माण कराते हुए किसानों को लाभान्वित किया गया.

कृषि कल्याण अभियान के अंतर्गत गांवों में किसानों को तकनीकी जानकारी व पौधे तथा बीज वितरित किएजा रहे हैं. प्रदेश के किसानों को उच्चगुणवत्ता के फल व सब्जी के पौधों की उपलब्धता तथा नवीन तकनीकी हस्तांतरण के उद्देश्य से इजराइल सरकार के तकनीकी सहयोग से जनपद बस्ती में फल एवं कन्नौज में शाकभाजी, कौशांबी में फल तथा चंदौली में सब्जी, सहारनपुर में फल तथा लखनऊ में और्नामैंटल सैंटर औफ ऐक्सीलैंस की स्थापना की गई है. कई जिलों में मिनी सैंटर स्थापित किए जा चुके हैं.

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प्रदेश सरकार बुंदेलखंड तथा विंध्य क्षेत्र में विभिन्न संचालित योजनाओं के लाभार्थी कृषकों को नए बागों को उन के खेतों पर स्थापना हेतु प्रोत्साहित करने के लिए लाभार्थियों को एक हेक्टेयर तक के बाग स्वयं फैंसिंग सुविधा के साथ लगाने पर प्रोत्साहन धनराशि भी उपलब्ध कराती है. बुंदेलखंड विशेष पैकेज के अंतर्गत भी कार्यक्रम संचालित करते हुए किसानों को सुविधा दी जा रही है. विभाग द्वारा उत्पादन इकाइयों पर उत्पादित छोटे पौधे, कलमी, बीज शोभाकर पौधे आदि बिना लाभहानि के लागत मूल्य पर जनसाधारण को सुलभ कराए जाते हैं. विभाग द्वारा मशरूम, पान, मधुमक्खी पालन सहित अन्य बागबानी फसलों की पूर्ण जानकारी के लिए किसानों/उत्पादकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. प्रदेश सरकार द्वारा बागबानी विकास हेतु किसानों की दी जा रही सुविधाओं से किसान फसलों का उत्पादन करते हुए अपनी आय दोगुना कर रहे हैं.

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