302.8 लाख रुपए की धनराशि का अनुदान

वाराणसी : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परषोत्तम रूपाला वाराणसी में संत रविदास घाट पर राज्यमीन चिताला की एक लाख मत्स्य बीज रिवर रैंचिंग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री, मत्स्य विभाग, डा. संजय कुमार निषाद ने की. कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री स्टांप न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन, महापौर, नगरनिगम, वाराणसी, अशोक कुमार तिवारी, वीरू साहनी, सभापति, उत्तर प्रदेश मत्स्य जीवी सहकारी समिति, विधायक कैंट, सौरभ श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी, वाराणसी, हिमांशु नागपाल भी उपस्थित रहे.

सीआरपीएफ एवं एनडीआरएफ के अधिकारी एवं जवानों द्वारा भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया गया.

कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परषोत्तम रूपाला द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 10 लाभार्थियों को 302.8 लाख रुपए की धनराशि का अनुदान मिला, वहीं मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 10 लाभार्थियों को 12.32 लाख रुपए की धनराशि का अनुदान दिया गया. इतना ही नहीं, कृषि क्रेडिट कार्ड के 10 लाभर्थियों को 18.1 लाख रुपए की धनराशि के ऋण का वितरण किया एवं 10 मछुआ दुर्घटना बीमा योजना के लाभार्थियों को भी पत्रक वितरित किया गया.

कार्यक्रम के प्रारंभ में निदेशक मत्स्य, प्रशांत शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में विस्तार से अवगत करवाया. कार्यक्रम में विभागीय गतिविधियों का वीडियो द्वारा भी प्रदर्शन किया गया एवं कार्यक्रम में प्रदर्शनी का भी आयोजन हुआ, जिस में मत्स्य विभाग के साथसाथ अन्य संस्थाओं के द्वारा अपनीअपनी सेवाओं एवं उत्पादों का भी प्रदर्शन किया.

कार्यक्रम में वाराणसी मंडल के अतिरिक्त मंडल प्रयागराज, मिर्जापुर एवं आजमगढ़ के लगभग 1,000 मत्स्यपालकों द्वारा प्रतिभाग किया गया. कार्यक्रम का संचालन संयुक्त निदेशक, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, एनएस रहमानी द्वारा किया गया.

अंतिम तिथि है नजदीक किसान जल्दी करें पद्म पुरस्कार-2024 के लिए नामांकन

नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस, 2024 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कार 2024 के लिए औनलाइन नामांकन/सिफारिशें पहली मई, 2023 से प्रारंभ की गई थीं. पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2023 है. पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल ( https://awards.gov.in ) के जरीए औनलाइन प्राप्त की जाएंगी.

पद्म पुरस्कार अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं. 1954 में स्थापित इन पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है. यह पुरस्कार ‘विशिष्ट कार्य’ को मान्यता देते हैं और इन्‍हें कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामले, नागरिक सेवा,कृषि, व्यापार और उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किया जाता है. जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं. चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़ कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्यरत सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं.

किसान स्वयं ही भर सकते हैं आवेदन

खेती बाड़ी में विशिष्ट उपलब्धि रखने वाले किसान अपना आवेदन स्वयं भर सकते हैं. इस के लिए उन्हें आवेदन करते समय अपना फोटो, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, आधारकार्ड नंबर के साथ उपलब्धियों को दर्शाने वाले कागजात पीडीएफ में होने चाहिए.

किसानों को आवेदन करते समय आधार आधारित एक ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होता है, जिस के आधार पर किसान को अपनी कुछ बेसिक डिटेल्स भर कर आवेदन पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा.

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक यूजर आईडी और पासवर्ड मिल जाता है, जिस के आधार पर अपने प्रयासों और उपलब्धियों को 800 शब्दों में भरना होगा और कुछ बेसिक जानकारियों के साथ अपने उपलब्धियों के साक्ष्य वाले कागजात को पीडीएफ में अपलोड करना होगा. इसी के साथ आवेदक को अपना पासपोर्ट साइज का फोटो व कुछ अन्य जानकारियों को अपलोड करते हुए आवेदन को सबमिट करना होता है.

किसानों द्वारा किए गए आवेदनों को एक सघन स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है. अगर निर्णायक मंडल द्वारा आवेदन पुरस्कार योग्य पाया जाता है, तो इस की घोषणा गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है.

सब के आवेदन के लिए खुला है पोर्टल

सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपुल्स पद्म” में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सभी नागरिकों से स्वनामांकन सहित नामांकन/सिफारिशें करने का अनुरोध किया जाता है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर तबकों के बीच से समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की उत्कृष्टता और उपलब्धियों की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा सकते हैं.

राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (https://awards.gov.in ) पर उपलब्ध प्रारूप में नामांकन/सिफारिशों में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिस में वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल हों, जो स्पष्ट रूप से संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में अनुशंसित व्यक्ति की विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं को सामने ला सकें.

इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय की वैबसाइट ( https://mha.gov.in ) और पद्म पुरस्कार पोर्टल ( https://padmaawards.gov.in) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत भी उपलब्ध है. इन पुरस्कारों से संबंधित कानून और नियम https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx वैबसाइट पर लिंक के साथ उपलब्ध हैं.

डेरी और मत्स्य उत्पादकों को क्रेडिट कार्ड जरूरी

महाराष्ट्र : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पिछले दिनों महाराष्ट्र में ‘मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेरी के लिए राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन’ की अध्यक्षता की. मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय ने मत्स्यपालन विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन का आयोजन किया था.

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन, भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री डा. भागवत किशनराव कराड, महाराष्ट्र सरकार में मत्स्यपालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, महाराष्ट्र सरकार के राजस्व, पशुपालन एवं डेरी विकास मंत्री राधाकृष्ण एकनाथराव विखे पाटिल, मत्स्यपालन विभाग में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी, पशुपालन व डेरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय, पशुपालन एवं डेरी विभाग में अपर सचिव वर्षा जोशी, मत्स्यपालन विभाग (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) के संयुक्त सचिव सागर मेहरा और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड- एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. एल. नरसिम्हा मूर्ति, एआरएस भी उपस्थित थे.

विशेष अतिथि के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक नीरज निगम और नाबार्ड में पुनर्वित्त विभाग के सीजीएम विवेक सिन्हा ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने महाराष्ट्र सरकार के मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) और पशुपालन एवं डेरी विभाग (डीएएचडी) के सभी अधिकारियों को बधाई दी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालन एवं डेरी और मछली पालने वाले मत्स्य उत्पादकों, दोनों को ही उपलब्ध कराया जाना चाहिए और पहले कदम के रूप में उन के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने आगे यह भी कहा कि इस से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकसित होने की आशा बनी रहेगी. साथ ही, सागर परिक्रमा के दौरान किसान क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला अधिकारियों के साथसाथ विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की.

उन्होंने आगे कहा कि आधारभूत तरीके से इस मुद्दे के समाधान के लिए जिला स्तर पर समीक्षा की जानी चाहिए.

मत्स्यपालन विभाग, पशुपालन एवं डेरी विभाग और किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड पर लघु वीडियो व किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ और पात्रता के साथसाथ लाभार्थियों के प्रशंसापत्र भी साझा किए गए.

परषोत्तम रूपाला ने पात्र मत्स्यपालकों व मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड कार्ड वितरित किए. लाभार्थियों ने वर्चुअल बातचीत के बाद किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठाने के अपने अनुभव भी साझा किए.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन ने पहले राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड सम्मेलन में आने के लिए सभी का स्वागत किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गरीब कल्याण के एक घटक के तौर पर वित्तीय समावेशन शामिल है. और ऐसी स्थिति में यह अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पूरे देश में किसान क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा दे कर स्थानीय ऋणदाताओं द्वारा लगाए गए उच्च ब्याज ऋण को समाप्त कर दिया जाए.

डा. एल. मुरुगन ने सभी बैंकों से आगे आने, प्रशिक्षण देने और क्षमता निर्माण करने का आग्रह किया. महाराष्ट्र सरकार के राजस्व, पशुपालन और डेरी विकास मंत्री राधाकृष्ण एकनाथराव विखे पाटिल ने उपस्थित सभी बैंकरों को मानदंडों में ढील देने की सलाह दी, क्योंकि मत्स्यपालन विभाग और पशुपालन एवं डेरी विभाग दोनों क्षेत्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं और उन्हें जमीनी स्तर पर सस्ते ऋण की आवश्यकता है.

भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री डा. भागवत किशनराव कराड ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसेजैसे भारत तीसरी सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है, वैसेवैसे ही जमीनी स्तर पर परिवर्तन की आवश्यकता है.

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि मत्स्यपालन के सभी आवेदकों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाए, लंबित आवेदनों का यथाशीघ्र निबटारा किया जाए और बैंक या आवेदक से लौटाए गए आवेदनों पर पुनः विचार किया जाए.

उन्होंने आगे बताया कि गुजरात सरकार शून्‍य फीसदी पर लोन देती है और राज्य सरकार की योजना की तरह ही ऐसे प्रावधान को भी कैबिनेट में प्रस्तावित किया जाना चाहिए.

डा. भागवत किशनराव कराड ने यह सुझाव दिया कि कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए छोटे स्तर के विक्रेताओं व महिला दुकानदारों को विक्रेता के रूप में माना जाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को योजना के प्रचारप्रसार में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और किसान क्रेडिट कार्ड के लिए घरघर जा कर प्रचार करना चाहिए.

महाराष्ट्र सरकार में मत्स्यपालन, वन और सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने सागर परिक्रमा कार्यक्रम की सराहना की और इस पहल का नेतृत्व करने के लिए केंद्रीय मंत्री को बधाई दी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड के आवेदकों का प्रबंधन सावधानी से किया जाना चाहिए और विक्रेताओं को भी ऋण दिया जाना चाहिए, ताकि बाजार संयोजन अथवा प्रौद्योगिकी अपनाने आदि की समस्याओं का समाधान किया जा सके.

मुनगंटीवार ने यह भी सुझाव दिया कि आजीविका सृजन के लिए कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के प्रावधानों का पता लगाया जाना चाहिए.

मत्स्यपालन विभाग की सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि मत्स्यपालन के लिए 25,000 करोड़ रुपए का ऋण लक्ष्य निर्धारित है, इसलिए व्यवसाय करने में सहजता होना महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम के दौरान आवेदनों की अस्वीकृति के कारणों की जांच के लिए प्राथमिकता, झींगापालन व अन्य गहन गतिविधियों के लिए वित्त के स्तर की समीक्षा, महिला विक्रेताओं के लिए ऋण, घरघर किसान क्रेडिट कार्ड अभियान में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी को शामिल करना, क्षमता निर्माण, आउटरीच, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संचार आदि के लिए पैसे की आवश्यकताएं जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया.

पशुपालन एवं डेरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने इस तथ्य को उल्लिखित किया कि भारत को ‘दुनिया की डेरी’ के रूप में जाना जाता है और अब भारत को आत्मनिर्भरता से उद्यमिता व मूल्य संवर्धन की तरफ आगे बढ़ने की जरूरत है. उन्होंने बड़े लाभार्थी आधार के कवरेज के लिए जिला और ब्लौक स्तर पर किसान क्रेडिट कार्ड आउटरीच की आवश्यकता और डीएफएस के सहयोग से निगरानी की जरूरत पर जोर दिया.

मत्स्यपालन विभाग के संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) सागर मेहरा के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान वहां उपस्थित सभी हितधारकों से किसान क्रेडिट कार्ड योजना के कार्यान्वयन में विशिष्ट कारणों एवं अंतरालों की पहचान करने के लिए अपने विचार, मुद्दे, चुनौतियां, सुझाव व फीडबैक साझा करने का अनुरोध किया.

सागर मेहरा ने इस बात पर भी बल दिया कि कुछ मानदंडों में ढील देने की जरूरत है और कुछ में सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि किसान क्रेडिट कार्ड देशभर के सभी पात्र किसानों तक पहुंच सके.

पशुपालन एवं डेरी विभाग की अपर सचिव वर्षा जोशी ने मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी में किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धियों और इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया. उन्होंने आग्रहपूर्वक कहा कि हितधारकों को कुछ मानदंडों में ढील देनी चाहिए और जरूरत के मुताबिक उत्पादकों को जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक नीरज निगम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्तीय समावेशन प्राप्त करने के लिए छोटे ऋणों को बढ़ाना आवश्यक है. उन्होंने विचारविमर्श के निष्कर्ष के रूप में कहा कि बैंकों को आरबीआई केसीसी दिशानिर्देशों का पालन करने की जरूरत है. इस के अलावा बैंक कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता में अधिक प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और पूरे वर्ष अभियान चलाया जाना चाहिए.

नीरज निगम ने यह भी कहा कि संपूर्ण प्रकिया के लिए समयसीमा का पालन किया जाना चाहिए और बैंकों द्वारा सही स्थिति को प्रासंगिक रूप से सूचित किया जाना चाहिए.

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि निगरानी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और राज्य स्तर पर मुद्दों को उजागर करने के लिए निचले स्तर यानी ब्लौक व जिला स्तर पर लिया जाना चाहिए.

नाबार्ड में पुनर्वित्त विभाग के सीजीएम वीके सिन्हा ने इस बात का उल्लेख किया कि कृषि के संबद्ध क्षेत्र भी मूल क्षेत्र के समान ही महत्वपूर्ण हो गए हैं और वास्तविक क्षमता को सही आकार प्रदान करने के लिए प्रत्येक मूल्य श्रृंखला नोड पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

उन्होंने इस बात पर ध्यान आकृष्ट कराया कि नाबार्ड नियमित रूप से आरआरबी की समीक्षा कर रहा है और जमीनी स्तर पर जानकारी प्राप्त करने के लिए ऐसा करना जारी रखेगा.

वीके सिन्हा ने सुझाव देते हुए कहा कि दस्तावेजीकरण से संबंधित मुद्दों पर सही नियमों का पालन करने के उद्देश्य से बैंकरों के लिए समान दिशानिर्देश उपलब्ध कराए जाने चाहिए.

भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक एबीयू और जीएसएस शांतनु पेंडसे ने अपने बैंक द्वारा किसानों को पेश किए जाने वाले उत्पादों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी, जिस में मूल्य श्रृंखला के लिए मूल्यवर्धन/प्रसंस्करण का सहयोग करने के लक्ष्य के साथ नए विकसित उत्पाद शामिल किए गए हैं.

उन्होंने आगे बताया कि चर्चा के दौरान उजागर की गई चुनौतियों को विधिवत नोट किया गया है और इस सिलसिले में एक तत्काल उपाय के रूप में एक परामर्श जारी किया जाएगा.

शांतनु पेंडसे ने केसीसी दिशानिर्देशों के अनुपालन और स्वामित्व कागजात व सिविल स्कोर की कड़ाई में ढील देने के लिए आवश्यकता जताई.

उन्होंने कहा कि 1.6 लाख रुपए तक कोई संपार्श्विक नहीं और गारंटर जैसे मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री के नेतृत्व में सागर परिक्रमा कार्यक्रम की सराहना की. उन्होंने आग्रह किया कि छोटे लैंडिंग सेंटर आदि जैसी गतिविधियों के लिए सीएसआर को शामिल करने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

इस आयोजन में कुल 80,000 लोग वहां उपस्थित हो कर और वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए. 35 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 370 अलगअलग स्थानों से 21,000 मछुआरों एवं मत्स्यपालकों के साथ जुड़े. 9,000 प्रतिभागी उपस्थित हो कर और वर्चुअल माध्यम से जुड़े, जबकि 50,000 एएचडी किसान 1,000 सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से जुड़े. आउटडोर अभियान के हिस्से के रूप में डिजिटल, इलैक्ट्रानिक, प्रिंट मीडिया के माध्यम से लगभग 22 लाख लोगों तक पहुंचा गया और दिशानिर्देशों/एसओपी पर 7 स्थानीय भाषाओं में प्रचार सामग्री वितरित की गई. मत्स्यपालन के लिए केसीसी सुविधा पर वीडियो जारी किया गया. राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड- एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. एल. नरसिम्हा मूर्ति के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ.

किसानों की होगी फेशियल ई-केवाईसी

बस्ती : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के पात्र किसानों को लाभ दिलाने के लिए फेशियल ई-केवाईसी कराया जाएगा. शासन के इस निर्णय की जानकारी देते हुए बस्ती मंडल के संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चंद्र तिवारी ने बताया कि ई-केवाईसी से अवशेष किसानों का फेशियल ई-केवाईसी करा कर उन्हें किसान सम्मान निधि का लाभ दिलाया जाए गा. मंडल के तीनों जिलों के उपकृषि निदेशकों को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि भारत सरकार द्वारा लैंड सीडिंग से वंचित किसानों की नई सूची उपलब्ध कराई गई है.

उन्होंने आगे बताया कि इस सूची में भूलेख सत्यापन, ई-केवाईसी एवं आधारकार्ड से लिंक से वंचित किसानों की अलगअलग सूची ग्रामवार तैयार कर क्षेत्रीय कर्मचारियों को उपलब्ध कराएं. इस के साथ ही मृतक किसानों, भूमिहीन एवं अपात्र किसानों की अलग सूची तैयार कर सत्यापन कराएं.

उन्होंने निर्देश दिया है कि पात्र किसानों का पंजीकरण करा कर फेशियल ई-केवाईसी आधार को एनपीसीआई से लिंक कराएं.।

दो बार आंख की पलक झपकाने पर आएगी ओटीपी

संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चंद्र तिवारी ने बताया कि फेशियल ई-केवाईसी के अंतर्गत क्षेत्रीय कर्मचारी अपने एंड्रायड फोन से पात्र किसान का फोटो लेगा. ओटीपी प्राप्त होने पर ही पंजीकरण पूरा होगा.

उन्होंने यह भी बताया कि फोटो लेने के पूर्व लाभार्थी को कम से कम दो बार अपनी आंख की पलक झपकाना होगा, इस के बाद फोटो लेने पर ओटीपी प्राप्त होगा.

उन्होंने आगे कहा कि सभी उपनिदेशक प्रत्येक सप्ताह प्रगति की समीक्षा करें और लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करें.

अभी भी कई ऐसे पात्र किसान हैं, जिन का कई कारणों से सत्यापन या ई-केवाईसी नहीं हो पाया है, जिस से ऐसे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि फेशियल ई-केवाईसी से ऐसे किसानों को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.

कृषि से जुड़े लोगों के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन

जयपुर : 26 अगस्त, 2023. राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने बताया कि बोर्ड द्वारा कृषि व्यवसाय प्रसंस्करण एवं निर्यात से जुड़े प्रगतिशील, पुरस्कृत एवं नवाचारी कृषक तकनीकी विशेषज्ञों के साथ संवाद के लिए 28 अगस्त को जयपुर के कृषि प्रबंध संस्थान, दुर्गापुरा में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में राज्य के प्रत्येक जिले से प्रगतिशील, नवाचारी एवं पुरस्कृत श्रेणी के किसानों को संवाद के लिए आमंत्रित किया गया था.

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 500 से अधिक किसानों को कृषि क्षेत्र की नवीनतम विधाओं, नवाचारों एवं जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई.

रामेश्वर डूडी ने बताया कि किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड का जनवरी, 2022 में गठन किया गया. बोर्ड द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए ठोस एवं प्रभावी नीतियां बनाई गई हैं. इस से किसानों की माली हालत में सुधार हो रहा है और किसान तबका कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति – 2019 के तहत राज्य सरकार से अनुदान पा कर अपनी फसल को खेत के निकट ही प्रसंस्करित कर आय में वृद्धि कर रहे हैं.

बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा कि किसानों को राज्य में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए नीति के तहत 2 करोड़, 60 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा नीति के तहत अब तक 1,110 इकाइयों के लिए 399 करोड़, 40 लाख रुपए का अनुदान दिया गया है. इन इकाइयों के माध्यम से राज्य में 2,582 करोड़, 61 लाख रुपए का निवेश हुआ है.

बोर्ड द्वारा राज्य में उत्पादित कृषि जिंस जैसे जीरा, धनिया, लहसुन, इसबगोल, अनार, खजूर के निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही, इन को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है.

प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने पर 75 फीसदी तक सब्सिडी

योजना के तहत 5 करोड़ रुपए तक की पूंजीगत लागत से नवीन कृषि प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के लिए किसान या उन के संगठन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए लागत का 75 फीसदी या अधिकतम एक करोड़, 50 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है. साथ ही, अन्य पात्र उद्यमियों के लिए लागत का 50 फीसदी या अधिकतम एक करोड़, 50 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है.

प्रोत्साहन के तौर पर राज्य सरकार द्वारा विद्युत प्रभार पर 5 साल तक 2 लाख रुपए हर साल देने का प्रावधान किया गया है. इस के अतिरिक्त सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है.

पूंजीगत अनुदान के अतिरिक्त ऋण पर एक करोड़ रुपए का ब्याज अनुदान

प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने पर किसानों को पूंजीगत अनुदान के अतिरिक्त ऋण पर ब्याज अनुदान दे कर लाभान्वित किया जा रहा है, जिस में किसानों को 6 फीसदी की दर से अधिकतम एक करोड़ रुपए तक का ब्याज अनुदान अनुदान देय है, वहीं अन्य को 5 फीसदी की दर से अधिकतम 50 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है.

सोयाबीन किसान करें ये काम

देवास : मध्य प्रदेश के देवास के उपसंचालक कृषि आरपी कनेरिया ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन फसल लगभग 50 से 65 दिनों की है एवं फूल आने/फलियों में दाने भरने की स्थिति में है.

प्राप्त जानकारी अनुसार, पिछले सप्ताह इंदौर जिले के कुछ क्षेत्रों में नकली फफूंदनाशकों का विक्रय करने के लिए किसी विशेष फफूंदीनाशक के खाली डब्बे क्रय किए जा रहे हैं. अतः ऐसी नकली दवाओं से सावधान रहें एवं फफूंदीनाशक का क्रय करते समय विक्रेता से पक्का बिल लें, जिस पर बैच नंबर और एक्सपायरी तारीख अवश्य अंकित हो.

फसल सुरक्षा का बताया उपाय

उपसंचालक कृषि आरपी कनेरिया ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि बारिश की खेंच होने एवं भूमि में दरार पड़ने से सोयाबीन की द्वितीयक जड़ों को नुकसान पहुंचता है, इसलिए भूमि में दरार पड़ने के पूर्व ही फसल में सिंचाई अवश्य करें. साथ ही, नमी संरक्षण के लिए वैकल्पिक उपाय जैसे 5 टन प्रति हेक्टेयर भूसे की पलवार बिछाएं. कम समय में पकने वाली किस्मों में चूहों द्वारा दाने खाने के लिए फलियों को काटा जा रहा है. अतः चूहों के नियंत्रण के लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005 फीसदी कैमिकल से निर्मित ब्लौक बेट बना कर 15 से 20 बेट प्रति हेक्टेयर चूहों के बिलों के पास रख दें. खेत में जा कर 3-4 स्थानों पर पौधों को हिला कर देखें कि कहीं खेत में इल्ली अथवा कीट का प्रकोप तो नहीं है. बिहारी हेयरी केटरपिलर का प्रकोप होने पर प्रारंभिक अवस्था में झुंड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधों सहित खेत से निकाल करें. फली भेदक इल्लियां विशेषकर चने की इल्ली अथवा पत्ती खाने वाली इल्लियां जैसे सेमीलूपर/तंबाकू की इल्ली इत्यादि का प्रकोप होने पर निम्न में से किसी एक कैमिकल का छिड़काव करें. जैसे इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी 333 एमएल प्रति हेक्टेयर या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एससी 150 एमएल प्रति हेक्टेयर या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर अनुसार छिड़काव करें.

जहां पर पीले मोजक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं, वहां इस के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड कर निकाल दें एवं इन रोगों को फैलाने वाले रसचूसक कीट जैसे सफेद मक्खी/जैसिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रेप लगाएं.

सोयाबीन फसल के घने होने पर चक्रभृंग का प्रकोप अधिक होने की संभावना होती है. ऐसी स्थिति में प्रारंभिक अवस्था में ही दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़ कर नष्ट कर दें. तंबाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के नियंत्रण के लिए बाजार में उपलब्ध कीट विशेष फैरोमौन ट्रेप और अन्य हानिकारक कीटों के नियंत्रण के लिए रात में प्रकाश प्रपंच का उपयोग करें.

उन्होंने आगे बताया कि कीट भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों के नियंत्रण के लिए उन के बैठने हेतु खेत में ‘टी’ आकार की लकडी की खूटियां लगाएं.

कोदो यानी कुटकी का बढ़ेगा व्यापार

अनुपपुर : जिला प्रशासन द्वारा ‘एक जिला एक उत्पाद’ के रूप में चयनित कोदो, कुटकी के साथसाथ अन्य मोटे अनाज के उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलक्टर आशीष वशिष्ठ के मार्गदर्शन में एकदिवसीय क्रेताविक्रेता संगोष्ठी का आयोजन जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम कोहका पूर्व के आजीविका भवन में हुआ. संगोष्ठी में जिला प्रशासन से संबंधित विभागीय प्रतिनिधि व प्रदेश व जिले के विभिन्न भागों से क्रेताओं ने भागीदारी की.

उल्लेखनीय है कि जिले में मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वसहायता समूहों व सृजन संस्था के अंतर्गत अमरकंटक हौर्टिकल्चर प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा कोदो, कुटकी के प्रसंस्करण व कोदो के बिसकुट बनाने का काम किया जा रहा है. समूहों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को गति देने के उद्देश्य से कलक्टर आशीष वशिष्ठ एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा की पहल पर यह संगोष्ठी आयोजित की गई, जिस में क्रेताविक्रेता, दोनों पक्षों द्वारा सकारात्मक रूप से बाजार की मांग के अनुरूप बनाए जा रहे उत्पादों, उन की गुणवत्ता व मात्रा के अनुरूप बाजार उपलब्ध कराए जाने पर सकारात्मक चर्चा की गई. कलक्टर द्वारा क्रेताओं से सीधे संवाद करते हुए क्रेताओं की सलाह व बाजार की मांग के अनुसार कार्ययोजना बनाए जाने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया.

कार्यक्रम के प्रारंभ में सृजन संस्था के समन्वयक आशीष त्रिपाठी द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा का विस्तृत प्रस्तुतीकरण पावर पोइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से किया गया.

उपसंचालक कृषि एनडी गुप्ता द्वारा जिले में मोटे अनाज के उत्पादन की वर्तमान स्थिति व भविष्य की संभावनाओं पर जानकारी प्रदान की गई. आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक शशांक प्रताप सिंह ने स्वसहायता समूहों द्वारा संचालित प्रसंस्करण इकाई व बेकरी इकाई के बारे में जानकारी प्रदान की.

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक संदीप ने जिले में मोटे अनाज की विभिन्न प्रजातियों के बारे में अवगत कराया और इन के न्यूट्रीशन वैल्यूज के बारे में सभी को जानकारी प्रदान की.

डीडीएम नाबार्ड रविंद्र जोल्हे ने बनाए जा रहे उत्पादों की गुणवत्ता व वैल्यू चैन विकसित करने पर जोर दिया, ताकि बाजार में उचित दाम मिल सके.

कार्यक्रम में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पुष्पराजगढ़ दीपक पांडेय ने वर्तमान परिस्थितियों में कोदो, कुटकी के महत्व को रेखांकित करते हुए इस के औषधीय गुणों से अवगत कराया और स्थानीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए क्रेताओं से सहयोग की अपेक्षा व्यक्त की.

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आरपी त्रिपाठी, सृजन टीम से सरिता त्रिपाठी, रज्जन पटेल, विकास पोरते, दीपशिखा, विवेक, मकरम, प्रतीक्षा, शिवानी एवं जिला प्रबंधक आजीविका मिशन के दशरथ झारिया व ब्लौक मिशन टीम से अश्विनी सिंह, संदीप शर्मा, रश्मि खान व जीवनदायिनी संकुल संगठन की अध्यक्ष उर्मिला परस्ते के साथ अमरकंटक हौर्टिकल्चर प्रोड्यूसर कंपनी के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे.

राजस्थान में जौ की खेती की असीम संभावनाएं

उदयपुर : 29 अगस्त,2023. गेहूं की मानिंद जौ भी फसलोत्पादन में अपनी अलहदा गुण व पहचान रखता है. एल्कोहल इंडस्ट्री व अन्य खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल के कारण जौ की काफी मांग रहती है. न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एसएसपी बढ़ाने से किसान इसे उगाने में ज्यादा रुचि लेगें खासकर राजस्थान में जौ की खेती की असीम संभावनाएं हैं.

उदयपुर में आयोजित 62वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यशाला के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में यह बातें मुखर हो कर आईं.

डा. जेएस संधु, भूतपूर्व उपमहानिदेशक, फसल विज्ञान ने जौ के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में डा. ओमवीर सिंह, डा. आरपीएस वर्मा, डा. लक्ष्मीकांत ने जौ की उपादेयता, पहाड़ी क्षेत्रों में जौ की स्थिति व संभावनाएं, नई किस्मों पर काम करने पर जोर दिया.

इस मौके पर विभिन्न शहरों से प्रगतिशील किसानों ने जौ की खेती पर अपने अनुभव साझा किए.

Farmingकृषि वैज्ञानिक डा. आलोक के. श्रीवास्तव ने ’अनाज फसलों में तनाव को कम करने के लिए माइक्रोबियल फार्मूलेशन’ विषय पर शोध पत्र पढ़ा. वहीं डा. ओपी अहलावत ने फसल सुधार, डा. एससी त्रिपाठी ने संसाधन प्रबंधन, डा. पूनम जसतोरिया ने फसल सुरक्षा जैसे विषयों पर विस्तृत व्याख्यान दिया.

इस से पूर्व डा. अनिल खिप्पाल, प्रधान वैज्ञानिक भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने प्राकृतिक खेती पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बढ़ते वायु, मृदा व जल प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य आदि समस्याओं के समाधान में प्राकृतिक खेती का अपना अहम योगदान है. उन्होंने प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों व घटकों के बारे मेें विस्तार से बताया.

प्राकृतिक खेती के लिए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल मेें किए जा रहे विभिन्न शोध कार्यों जैसे पोषण प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, मृदा की भौतिक व रासायनिक संरचना में बदलाव और विभिन्न सूक्ष्म जीवों के योगदान व बदलाव के बारे में बताया.

प्रो. अरुण के. जोशी ने दक्षिण एशिया में उन्नत गेहूं अनुसंधान, डा. मारिया ने स्वस्थ प्रसंस्कृत, अनाज आधारित खाद्य प्रदार्थ विषय पर शोध पत्र पढ़ा. जौर्डन के कृषि वैज्ञानिक डा. माइकल बूम ने गेहूं एवं जौ में आईसीएआर व आईसीएआरडीए के सहयोग को रेखांकित किया.

डा. गोलम फारूख ने बंगलादेश की रिपोर्ट पढ़ी, वहीं डा. आकाश चावड़े ने गेहूं के प्रजनन के लिए नई किफायती विधियों के बारे में बताया.

इस अवसर पर डा. रूनी काफमैन, डा. पवन सिंह, मैक्सिको के डा. वेलू ने गेहूं व जौ की विभिन्न खूबियों, गेहूं में आनुवांशिक लाभ बढ़ाने के लिए त्वरित प्रजनन पर शोध पत्र प्रस्तुत किया. डा. परमिंद डा. सुनील कुमार, डा. मनोज सिंह आदि ने भी विचार रखे.

डा. टीआर शर्मा, उपमहानिदेशक, फसल विज्ञान ने डा. ज्ञानेंद्र सिंह की अगुआई में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए उल्लेखनिय शोध कार्यों की सराहना की और भविष्य में भी इसी तन्यमता से काम करने के लिए प्रेरित किया.

लंपी रोग नियंत्रण के लिए 5 सितंबर से ले कर 12 सितंबर तक अभियान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने प्रदेश के कतिपय जनपदों में पशुओं के लंपी रोग से प्रभावित होने पर रोग के प्रभावी नियंत्रण एवं बचाव के लिए टीम-09 का पुनः गठन करते हुए 5 सितंबर से 12 सितंबर तक पूरे प्रदेश में वृहद रूप से अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा है कि लंपी रोग से प्रभावित क्षेत्रों में वैक्सीनेशन प्लान बना कर वैक्सीन लगाई जाए और पशुधन हानि न होने पाए.

मंत्री हुए नाराज अधिकारियों को किया निर्देशित

पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे को अधिकारियों द्वारा लंपी मामलों में लापरवाही पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने पिछले दिनों विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में लंपी रोग के बचाव एवं नियंत्रण के संबंध में उच्च स्तरीय बैठक की.

उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया और कहा कि निर्धारित अवधि में लंपी प्रभावित क्षेत्रों में सभी जरूरी व्यवस्थाएं अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए, अन्यथा उन के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी.

उन्होंने इस संबंध में कुशीनगर, महराजगंज और झांसी के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से स्पष्टीकरण लिए जाने के लिए आदेश भी दिए हैं.

उन्होंने मुख्यालय के संयुक्त निदेशक, ईपीडी एमआई खान को एक सप्ताह के भीतर कार्यप्रणाली में सुधार लाने के भी सख्त निर्देश दिए.

पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि अभी तक 39 जनपदों में 711 पशु लंपी रोग से प्रभावित हुए हैं और 7 की मौत हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि आईवीआरआई और एनआरसी हिसार के सहयोग से 15,000 लंपी प्रो-वैक वैक्सीन निःशुल्क प्राप्त कर उपलब्ध कराई जाए और 15 दिनों के भीतर एक लाख डोज की भी व्यवस्था की जाए.

उन्होंने वैक्सीनेशन के काम, गायों के आश्रय स्थलों, गाय संरक्षण केंद्रों के सैनेटाइजेशन एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए.

उन्होंने अभियान के सुनियोजित और सुव्यवस्थित क्रियान्वयन के लिए गठित टीम-09 को पुनः क्रियाशील कर दिया है.

लंपी रोग पर जागरूकता के लिए चलाएं जागरूकता अभियान

पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि लंपी रोग के त्वरित एवं प्रभावी नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर बीमारी की रोकथाम एवं बचाव की रणनीति तैयार की जाए, इस के अतिरिक्त पशुपालकों, किसानों और आम जनता को जागरूक करने के लिए इस बीमारी से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थलों पर ’’क्या करें, क्या न करें’’ के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग एवं वाल राइटिंग लगवा कर व्यापक प्रचारप्रसार सुनिश्चित कराया जाए. इस के अतिरिक्त जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए.

लंपी रोग की रोकथाम के लिए सघन निगरानी

बैठक में अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह को आश्वस्त किया कि उन से प्राप्त दिशानिर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा.

उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि नियंत्रण कार्य में कोई भी अनुशासनहीनता बरदाश्त नहीं की जाएगी और इस अभियान को मिशन मोड में संपन्न कराया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि जिन जनपदों से लंपी रोग की सूचना प्राप्त हो रही है, वहां इस की रोकथाम के लिए उपचार, टीकाकरण एवं जनजागरूकता काम कराया जा रहा है. संबंधित क्षेत्रों के अपर निदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा सघन निगरानी की जाएगी.

कंट्रोल रूम स्थापित

लंपी रोग के संबंध में पशुपालन निदेशालय में स्थापित कंट्रोल रूम क्रियाशील कर दिया गया है, जिस का फोन नंबर – 0522-3527400 और पशुधन निवारण केंद्र 0522-2741991, 0522-2741992 पर संपर्क किया जा सकता है.

निगरानी, रोकथाम, टीकाकरण और औषधियों के लिए जिम्मेदारियां तय

टीम-09 में अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे द्वारा झांसी मंडल, दुग्ध आयुक्त शशिभूषण लाल सुशील द्वारा गोरखपुर व बस्ती मंडल, विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय द्वारा वाराणसी व मिर्जापुर मंडल, पीसीडीएफ के एमडी आनंद कुमार द्वारा अयोध्या व देवीपाटन मंडल, विशेष सचिव रामसहाय यादव द्वारा प्रयागराज व चित्रकूट मंडल, अपर निदेशक गोधन जयकेश पांडेय द्वारा आजमगढ़ मंडल और निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र द्वारा लखनऊ मंडल के प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे और लंपी रोग की निगरानी, प्रकोप का स्तर, रोकथाम के उपाय, टीकाकरण और औषधियां आदि की व्यवस्था की मौनिटरिंग कर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित कराएंगे.

सागभाजी बीज लाइसेंस लेना जरूरी

बैतूल : सब्जीभाजी के बीज बेचने वाले विक्रेताओं को अब इस के लिए बाकायदा लाइसेंस लेना होगा, इस के बिना वे इन की बिक्री नहीं कर पाएंगे. सरकार ने अब कृषि की तर्ज पर उद्यानिकी फसलों के बीज बेचने के लिए व्यापारियों को भी बीज लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है. इस के लिए विक्रेताओं को नजदीकी लोकसेवा केंद्र में औनलाइन आवेदन करना होगा. लाइसेंस नहीं लेने वाले व्यापारियों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी. उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, भोपाल, मध्य प्रदेश द्वारा इस की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.

लोकसेवा केंद्र में औनलाइन आवेदन करना होगा

Farmingउपसंचालक उद्यानिकी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उद्यानिकी फसलों के लिए लागू अनुज्ञापन का अधिकारियों द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने को ले कर बरती जा रही उदासीनता पर भी विभाग ने कहा है कि अब कोई शिथिलता न बरती जाए और निरीक्षण प्रतिवेदन हर माह की 5 तारीख को संचालनालय भेजना सुनिश्चित करें. उद्यानिकी उत्पादों के बीज विक्रय के लिए विक्रेताओं के लिए अनुज्ञप्ति/लाइसेंस औनलाइन जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. संबंधित दुकानदार को नजदीकी लोकसेवा केंद्र में औनलाइन आवेदन करना होगा. साथ ही, बीजों की बिक्री को मासिक प्रतिवेदन में संबंधित क्षेत्र के वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी को जानकारी देनी होगी.

इस प्रक्रिया के शुरू हो जाने से न केवल व्यवसाय में पारदर्शिता आएगी, बल्कि गुणवत्तायुक्त उद्यानिकी बीजों की बिक्री भी होगी.

मापदंडों के अनुरूप अधिकारी दुकान या फर्म का निरीक्षण करेंगे. निरीक्षण के दौरान यदि कोई व्यापारी बगैर लाइसेंस के उद्यानिकी बीजों की बिक्री करते पाया जाएगा, तो उस के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी.