कोदो प्रसंस्करण व बेकरी इकाई का अवलोकन

अनुपपुर : राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी से यूपीएससी से चयनित 14 प्रशिक्षु प्रशासनिक अधिकारियों का दल अनूपपुर जिले के 7 दिवसीय प्रवास पर है. प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम कोहका पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वसहायता समूहों द्वारा संचालित कोदो प्रसंस्करण इकाई व बेकरी इकाई का अवलोकन किया.

इस दौरान जिला परियोजना प्रबंधक शशांक प्रताप सिंह व इकाई का संचालन कर रही समूह की दीदियों ने इकाई संचालन से संबंधित विभिन्न जानकारियों से प्रशिक्षु अधिकारियों को अवगत कराया.

चर्चा के दौरान समूहों द्वारा बनाए जा रहे कोदो के बिसकुट का स्वाद भी प्रशिक्षु अधिकारियों ने लिया व समूह की दीदियों के हाथ की बनी कोदो की स्वादिष्ठ खीर को भी चखा.

इकाई अवलोकन के दौरान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दीपक पांडेय, तहसीलदार अनूपपुर जीएस शर्मा, सीईओ पुष्पराजगढ़ आरपी त्रिपाठी, जिला प्रबंधक आजीविका मिशन दशरथ झारिया व सहायक ब्लौक प्रबंधक संदीप शर्मा के साथ साथ जीवनदायिनी संकुल संगठन की अध्यक्ष उर्मिला सिंह परस्ते व सीएलएफ व समूह की अन्य सदस्य व पदाधिकारी उपस्थित रहे.

समन्वित कृषि प्रणाली से अधिक उत्पादन

उदयपुर : अखिल भारतीय समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में अधिक उत्पादन एवं कम लागत हेतु समन्वित कृषि प्रणालियों पर एकदिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. एसके तिवारी, निदेशक, समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान निदेशालय, मोदीपुरम ने कार्यक्रम के उद्घाटन में कहा कि वर्तमान समय में समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना का बहुत महत्व है. समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत किसानों द्वारा अपने संसाधनों को उपयोग में लेते हुए खेती की लागत को कम कर अधिक उत्पादन ले सकते हैं.

समन्वित कृषि कृषि प्रणाली द्वारा सीमांत एवं छोटे किसान, जिन की जोत कम है, मेंड़ पर फल लगा कर फल उत्पादन एवं मुरगीपालन कर आय और रोजगार में बढ़ोतरी कर सकते हैं. किसान दलहनी हरा चारा उगा कर पशुओं के लिए चारे के साथ खेती की उर्वरता एवं पैदावार में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

डा. एसके तिवारी ने मूल्य संवर्धन पर जोर देते हुए कहा कि किसान अपना उत्पाद सीधे न बेच कर उन का मूल्य संवर्धन कर उस की कीमत बढ़ा सकते हैं.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. एमएल जाट, ग्लोबल अनुसंधान निदेशक ने संबोधन में कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली एक माध्यम है, जिस के द्वारा उत्पादन की लागत को प्राकृतिक खेती अपना कर कम किया जा सकता है. कृषि के विभिन्न घटकों को समन्वित कर लाभ, रोजगार एवं मृदा की दशा को सुधारा जा सकता है एवं कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सकती है. साथ ही, उन्होंने किसानों को विभिन्न उपाय बताए, जिन के द्वारा वर्तमान खेती को सुधारा जा सकता है.

अनुसंधान निदेशक डा. अरविंद वर्मा ने दक्षिणी राजस्थान की समन्वित कृषि प्रणालियों के विभिन्न मौडलों पर प्रकाश डालते हुए आयव्यय का विवरण दिया.

परियोजना प्रभारी डा. हरि सिंह ने भारतीय समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना का परिचय देते हुए समन्वित कृषि प्रणाली में लाभ लागत विषय पर विस्तार से किसानों को बताया.

डा. रविकांत शर्मा, सहायक निदेशक ने कार्यक्रम का संचालन किया और कार्यक्रम को संबोधन किया.

इस अवसर पर डा. एसके तिवारी, निदेशक, समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान निदेशालय, मोदीपुरम द्वारा 2 लघु पुस्तिकाओं जनजातिय क्षेत्रों के सीमांत किसानों के लिए सीमित संसाधनों से कंपोस्ट बनाने की विधि- नाडेप कंपोस्ट एवं समन्वित कृषि प्रणाली में मुरगीपालन द्वारा आय बढ़ाए का विमोचन किया गया इस दौरान परियोजना से जुड़े कनिष्ठ अनुसंधान अध्येता एएस राठौर, आरएल बडसरा, एमएल मरमट, एनएस झाला एवं गोपाल नाई भी उपस्थित थे.

अंतरिक्ष हो या खेत, भारत का वैज्ञानिक श्रेष्ठ

उदयपुर : 30 अगस्त,2023. अंतरिक्ष हो या खेत- भारत के वैज्ञानिकों ने हर जगह देश का गौरव बढ़ाया है. आजादी के बाद आबादी में चौगुनी वृद्धि हुई है, तो कृषि वैज्ञानिकों ने खाद्यान्न उत्पादन में साढ़े 6 गुना बढ़ोतरी कर अपने हुनर का लोहा मनवाया है. अब कृषि वैज्ञानिकों को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना होगा कि आदान की कीमतें घटे व उत्पादन बढ़े. साथ ही, उत्पादन को सीधा बाजार से जोड़ा जाए और यह कमान युवा वैज्ञानिकों को सौंपी जाए.

यह बात पद्मभूषण से सम्मानित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक एवं चेयरमेन ‘टास’ डा. आरएस परोदा ने कही.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय गेहूं व जौ अनुसंधान कार्यशाला के समापन समारोह के मुख्य अतिथि डा. आरएस परोदा ने कहा कि हर बच्चा सपना देखे, लेकिन सोच वैश्विक रखे.

उन्होंने आगे कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में देश प्रतिवर्ष 5-6 मिलियन टन की वृद्धि कर रहा है. साथ ही, 50 से 70 मिलियन टन का बफर स्टाक भी आज हमारे पास है, ताकि कोई भी विपत्ति आए तो देश में अनाज की कमी न रहे.

डा. आरएस परोदा का कहना था कि राजस्थान जैसे मरू प्रदेश में मूंग, मोंठ, बाजरा, मैथी व जीरा आदि की भरपूर पैदावार होती है. पाली में तैयार गेहूं ‘खरचीय-65’ क्षाररोधी है, जिस का भौगोलिक पेटेंट भी करा लिया गया है. हमारे पास भरपूर पानी है, उत्कृष्ट बीज है, श्रेष्ठ उर्वरक है, श्रेष्ठतम कृषि वैज्ञानिक हैं, विशाल सोच है और आईसीएआर है, तो फिर इन सब का उपयोग कर देश को और आगे ले जाने व नए कीर्तिमान स्थापित करने का काम होना चाहिए.

उन्होंने इस बात पर गर्व किया कि वे स्वयं राजस्थान कृषि महाविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं और जो सपने उन्होंने देखे उन्हें मूर्त रूप में साकार होते भी देखा है.

उन्होंने युवा छात्रों और कृषि क्षेत्र में काम कर रहे युवा वैज्ञानिकों से कहा कि अब बारी उन की है. देश के युवा वैज्ञानिकों को चाहिए कि संरक्षित कृषि को बाजार से जोड़ें.

Farmingकार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व उपमहानिदेशक, आईसीएआर एवं पूर्व कुलपति, गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, डा. पीएल गौतम ने कहा कि बच्चों में शुरू से ही शिक्षा के अलावा उद्यमिता पर जोर देना चाहिए. इस से न केवल समग्र विकास होगा, बल्कि वे देश की तरक्की में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे. युवा कृषि वैज्ञानिक इसी रफ्तार से अपने कर्म में जुटे रहेंगे, तो सुपरिणाम मिले हैं और भी सुखद परिस्थितियां बनेंगी.

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने प्रातःस्मरणीय महाराणा प्रताप के त्याग, देशप्रेम को आत्मसात करते हुए युवा वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे सतत शोध अनुसंधान करते हुए खाद्यान्न उत्पादन में देश को नई ऊंचाइयां प्रदान करें. उन का कहना था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में गेहूं का अविस्मरणीय योगदान है. गेहूं से जुडे़ समसामयिक मुद्दे जैसे प्राकृतिक खेती, खाद्य उत्पादों में गेहूं का समावेश, बायोफोर्टिफिकेशन, पारिस्थितिकी तंत्र, स्वास्थ्य, जैविक व अजैविक तनाव आदि पर भी ध्यान देना जरूरी है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को गेहूं व जौ उत्पादन से जुड़े किसानों की समस्याओं का अध्ययन कर उन के समाधान की दिशा में काम करना होगा. देश को वर्ष 2047 तक विकासशील से विकसित देश बनाने का लक्ष्य हमारे सामने है. इसे पूरा करने केे लिए तकनीकी विकास, प्रसार और स्थिरीकरण पर काम करना होगा.

छात्रवैज्ञानिक संवाद

इस से पूर्व एमपीयूएटी के छात्र कल्याण निदेशालय की ओर से छात्रवैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. छात्र कल्याण अधिकारी डा. मनोज महला ने बताया कि इस मौके पर कृषि जगत के नामचीन पद्मभूषण वैज्ञानिक डा. आरएस परोदा व डा. पीएल गौतम एवं कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक उपस्थित थे.

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को ब्रेकफास्ट, लंच एवं डिनर में मोटे अनाज से बने व्यंजनों का परोसा गया, जिसे सभी प्रतिभागियों ने पसंद किया और भूरिभूरि प्रशंसा भी की गई.

कार्यक्रम में डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान, डा. अमित त्रिवेदी, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डा. रवि कांत शर्मा, सहायक निदेशक अनुसंधान, डा. अभय दशोरा, सहकार्यक्रम समन्वयक, डा. जगदीश चौधरी, गेहूं वैज्ञानिक एवं डा. उर्मिला आदि उपस्थित रहे.

मोबाइल जेलर

प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. पीएल गौतम ने कहा कि आधुनिकता के दौर में युवा पीढ़ी के हाथ में मोबाइल जेलर की तरह हो गया है. युवा पीढ़ी कैद में है और मोबाइल जेलर की भूमिका निभा रहा है.

उन का कहना था कि अच्छा हो कि युवा पीढ़ी मोबाइल के दुरुपयोग से बचे व इस यंत्र को अपनी शिक्षा व देशदुनिया की नई तकनीकी जानकारी हासिल करने में लें.

छात्रवैज्ञानिक संवाद में डा. गौतम ने कहा कि उच्च अध्ययनरत बच्चों को विदेश जाने का मौका मिले तो वे जान पाएंगे कि लोग अपने समय का कितना सदुपयोग करते हैं. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित कर पोषण सुरक्षा के प्रति सजग करने पर भी जोर दिया.

62वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यशाला की मुख्य सिफारिशें :

– गेहूं प्रजनन परीक्षणों में सभी प्रविष्टियों को महत्वपूर्ण श्रेष्ठता के आधार पर आगे बढ़ाया जाएगा.

– अग्रिम प्रजनन प्रविष्टियों के परीक्षण जोनल कोर्डिनेटिंग यूनिट अपने वहीं बनाएगी.

– मध्य क्षेत्र में डायकोकम गेहूं पर विशेष परीक्षण शुरू किया जाएगा और एनआईवीटी-4 परीक्षण उत्तरपश्चिमी मैदानी भागों में भी किए जाएंगे.

– गेहूं में गुणवक्ता घटक और जैव संवर्धित नर्सरी की शुरुआत करने की सिफारिश की गई.

– गेहूं में रतुआ, तना रतुआ व हेड स्कैब के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाजोल 50 फीसदी और ट्राईफ्लोक्सिस्ट्राबिन 25 फीसदी दवा के 0.06 फीसदी घोल के छिड़काव की सिफारिश की गई.

– गेहूं में पत्ती झुलसा के नियत्रंण के लिए टेबुकोनाजोल 50 फीसदी व ट्राईफलोक्सीस्ट्राबिन 25 फीसदी का 0.1 फीसदी घोल के छिड़काव की सिफारिश की गई.

– गेहूं और जौ में सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पाईरोक्सासल्फोन या पेडिमेथेलिन 127.05 व 1250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या पाईरोक्सासल्फोन, मैट्रीब्यूजिन 127.05, 280 ग्राम प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की गई.

– अगर जमाव से पहले छिड़काव नहीं किया गया, तो पहली सिंचाई से पहले पाईरोक्सासल्फोन, मेटसल्फयूरोन 127.5, 4 ग्राम प्रति हेक्टेयर की सिफारिश सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए की गई.

– इस कार्यशाला में उत्तरपश्चिमी मैदानी भागों में सिंचित व समय से बोआई के लिए गेहूं की एचडी-3386 और सीमित सिंचाई के लिए डब्ल्यूएच-1402 की पहचान की गई.

– उत्तरपूर्वी मैदानी भागों में सिंचित व समय से बोआई के लिए गेहूं की एचडी-3388 की पहचान की गई.

– मध्य क्षेत्र में सिंचित व समय से बोआई के लिए गेहूं की सीजी-1040 की पहचान की गई और डीबीडब्ल्यू- 327 का उच्च उर्वरता दशा के लिए क्षेत्र विस्तार किया गया.

– प्रायद्वीपीय क्षेत्र में सिंचित व समय से बोआई के लिए गेहूं की एमपी-1378 और सीमित सिंचाई के लिए डीबीडब्ल्यू -359 की पहचान की गई.

– उत्तरपश्चिमी मैदानी भागों में सिंचित व समय से बोआई के लिए जौ की डीडब्ल्यूआरबी- 219 की पहचान की गई.

नवाचारी किसानों को फार्म एन फूड एग्री अवार्ड

भारतनेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिले यानी बहुत ही पिछड़े जनपद सिद्धार्थ नगर में खेतीबारी, बागबानी सहित खेती से जुड़े दूसरे कामों में विशेष उपलब्धियों वाले किसानों के उत्साहवर्धन के लिए राज्य स्तरीय फार्म एन फूड अवार्ड का आयोजन 26 अगस्त, 2023 को सिद्धार्थ नगर जिला मुख्यालय पर स्थित विकास भवन के डा. अंबेडकर सभागार में किया गया. इस अवार्ड के लिए चयन समिति ने ऐसे किसानों का चयन किया, जिन किसानों ने खेती, बागबानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, डेरी, मशरूम, बकरीपालन इत्यादि के जरीए अपनी और अपने परिवार के साथ अन्य लोगों की आय में इजाफा करने में कामयाबी पाई है. उन का चयन विभिन्न मापदंडों के आधार पर पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया, जिस से इन किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले विभिन्न पुरस्कारों के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

इस आयोजन के मुख्य अतिथि सिद्धार्थ नगर जिले के मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार (आईएएस) रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपनिदेशक, कृषि, जिला उद्यान अधिकारी सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

अतिथि बोले

Awardsइस मौके पर जयेंद्र कुमार ने कहा कि देश की आमदनी का बड़ा हिस्सा अन्नदाता किसानों की कड़ी मेहनत से आता है. ऐसे में अगर किसान उन्नत तकनीकी जानकारी, खेती में मशीनों और यंत्रों का प्रयोग करते हुए उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का प्रयोग करें, तो किसानों की आमदनी के साथसाथ देश की आय में भी इजाफा किया जा सकता है.

उपनिदेशक कृषि ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि महकमे से तमाम योजनाएं क्रियान्वित हैं, जिस का लाभ किसान लेबीकर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.

उन्होंने किसानों को यह भी बताया कि इस के लिए विभाग में पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है. ऐसे में जो किसान औनलाइन टोकन जनरेट करने में कामयाब रहते हैं, उन्हें योजनाओं का लाभ सीधे दिया जाता है.

उद्यान अधिकारी ने बताया कि बागबानों और किसानों के लिए सब्जी की खेती, बागबानी सहित पौलीहाउस जैसी आय बढ़ाने वाली तकनीकियों पर सरकारी अनुदान उपलब्ध है. इच्छुक किसान विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं.

‘फार्म एन फूड’ पत्रिका की सराहना

मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार किसानों की प्रिय पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें ‘फार्म एन फूड’ पीडीएफ में पढ़ने को मिली थी, लेकिन पहली बार प्रिंट पत्रिका को पढ़ने का मौका मिला है.

उन्होंने आगे कहा कि इस पत्रिका के लेख किसानों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकते हैं.

आयोजन में ये भी रहे मुख्य सहयोगी

दिल्ली प्रैस की पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय एग्री अवार्ड में आयोजन सहयोगी के रूप में सिद्धार्थ नगर जिले के काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को उत्पाद की मार्केटिंग और निर्यात में सहयोगी एफपीओ कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने आयोजन को सफल बनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी. इस एफपीओ के निदेशक मंडल से जुड़े श्रीधर पांडेय ने आयोजन के लिए सभी जरूरी संसाधनों को मुहैया कराने से ले कर आयोजन को सफल बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई.

ये हैं प्रायोजक

Awardsआटा, मैदा, चोकर सहित तमाम तरह के प्रोडक्ट बनाने वाली अग्रणी कंपनी माधव गोविंद फूड्स प्राइवेट लि., सिद्धार्थ नगर ने इस कार्यक्रम के प्रायोजक के रूप में उच्च स्तरीय संसाधन मुहैया कराया.

इस कंपनी के निदेशक अनूप छापड़िया ने इस मौके पर कंपनी के उत्पादों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन की कंपनी उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त विश्व स्तरीय उत्पाद मुहैया कराने के लिए संकल्पबद्ध है.

उन्होंने आगे कहा कि चूंकि उन की कंपनी के उत्पाद किसानों द्वारा उगाए गए खाद्यान्न से तैयार किए जाते हैं. ऐसे में देश के अन्नदाता किसानों के लिए आयोजित इस सम्मान समारोह में प्रायोजक की भूमिका निभा कर कंपनी गर्व महसूस करती है.

किसानों ने साझा किए अपने अनुभव

Awards‘फार्म एन फूड एग्री अवार्ड’ से पुरस्कृत होने वाले किसानों ने अपनी सफलता से जुड़े अनुभव भी दूसरे किसानों से शेयर किए. नेशनल अवार्डी किसान राम मूर्ति मिश्र ने किसानों को बताया कि पहले उन्हें अपने कृषि उत्पाद थोड़ाथोड़ा औनेपौने दाम पर बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ता था, लेकिन उन्होंने 356 किसानों के साथ मिल कर सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड नाम से किसानों की एक कंपनी बनाई. इस के बाद इस एफपीओ से जुड़े किसान अपने कृषि उत्पाद एक जगह कंपनी को इकठ्ठा बेचते हैं, जिस से उन की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है.

उन्होंने आगे बताया कि एफपीओ बनाने से उन की आमदनी तो बढ़ी ही, उन के साथसाथ दूसरे किसानों की आदमनी में भी इजाफा हुआ है.

सब्जी उत्पादक किसान अहमद अली ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन के पास खुद की जमीन नहीं है, फिर भी वे बीते 20 सालों से किराए की जमीन में लगभग 20 एकड़ केला, टमाटर, लौकी, नेनुआ जैसी फसलें उगा कर हर साल लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं.

इन्हें मिला सम्मान

राज्य स्तरीय फार्म एन फ़ूड अवार्ड 2023 के तहत कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक, राणा प्रताप सिंह और आनंद प्रकाश पाठक को कृषि बागबानी व काला नमक धान की खेती के साथ उत्पादों की बिक्री में बेहतर मूल्य प्रोत्साहन के लिए, अखंड प्रताप सिंह को आम की बागबानी के लिए, राम बरन चौधरी को काला नमक चावल उत्पादन के लिए, सुशीला मिश्रा को कृषि में महिलाओं की भागीदारी के लिए, महीबुल्लाह खान को काला नमक चावल उत्पादन के लिए मुख्य अतिथि के हाथों पुरस्कृत किया गया.

Awardsउत्कृष्ट कृषि पत्रकारिता और लेखन के लिए इंद्रमणि पांडेय, हरिप्रसाद पाठक, विजय श्रीवास्तव, सलमान आमिर, देवेंद्र श्रीवास्तव, एमपी गोस्वामी, सत्यप्रकाश गुप्ता, जीतेंद्र पांडेय, अभिमन्यु चौधरी, राजेश चंद्र शर्मा, अरविंद कुमार मिश्रा, मनोज भगवान को सम्मानित किया गया, जबकि टैक्निकल सपोर्ट यूनिट अरविंद कुमार मिश्रा, कौमन फेसेलिटी सैंटर से अभिषेक सिंह, प्रगतिशील किसान अनिल चौधरी व मो. मुस्लिम को भी सम्मानित किया गया. कृषि महकमे की तरफ से प्राविधिक सहायक अरुण कुमार व मोहर सिंह को सम्मानित किया गया, जबकि उच्च उत्पादकता के लिए प्रगतिशील किसान राम लौट त्रिपाठी और जय प्रकाश सिंह को सम्मानित किया गया.

इस के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र, सिद्धार्थ नगर से कृषि प्रोत्साहन और किसानों की आय बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों का चयन भी पुरस्कार के लिए किया गया था, जिस में कृषि विज्ञान केंद्र, सोहना सिद्धार्थ नगर, वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डा. ओमप्रकाश, फसल सुरक्षा वैज्ञानिक
प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक कृषि प्रसार डा. शेष नारायण सिंह को सम्मानित किया गया. इस के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से नामित किसान जटाशंकर पांडेय को एकीकृत कृषि प्रणाली और विक्रम को जैविक खेती के लिए सम्मानित किया गया.
उद्यान और बागबानी क्षेत्र से प्रभुनाथ राम, राकेश वर्मा और राधेश्याम मौर्या को पुरस्कृत किया गया, वहीं पशुपालन और डेरी के क्षेत्र से पशु चिकित्साधिकारी सिद्धार्थ नगर डा. प्रदीप कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी अरुण कुमार प्रजापति और पशुपालक इंद्रजीत व हरिलाल को सम्मानित किया गया.

मत्स्य क्षेत्र से मत्स्य विभाग से शिव प्रकाश मिश्र व कुलदीप सक्सेना के साथ मत्स्यपालक बिरजू साहनी व राजेश कुमार साहनी को सम्मानित किया गया. सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में अभिलाष चतुर्वेदी के साथ ही विनोद प्रजापति, उमेश श्रीवास्तव, सिद्धार्थ गौतम, व अर्जुन पासवान के साथ ही गौतम बुद्ध जागृति समिति की तरफ से कृषि क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए खरीदन प्रसाद व सुनील कुमार गौतम को सम्मानित किया गया.

इस के अलावा काला नमक धान पर शोध कर रहे कृषि शोध छात्र छितिज पांडेय को भी सम्मानित किया गया.

किसान श्रीधर पांडेय ने की पहल तो बढ़ गई आमदनी

सिद्धार्थ नगर जिले के उस्का बाजार के रहने वाले श्रीधर पांडेय पिछले 30 सालों से खेती में अभिनव प्रयोग करते आ रहे हैं. इसी का परिणाम है कि उन्होंने बीते 30 सालों में खेती से होने वाली आमदनी को चार गुना तक बढ़ाने में सफलता पाई है. वे खेती से न केवल अपनी आय बढ़ाने में कामयाब रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने जैसे लगभग 3,000 परिवारों की आय में भी इजाफा करने में सफलता पाई.

किसान श्रीधर पांडेय ने बताया कि सिद्धार्थ नगर जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है. ऐसे में नेपाल से छोड़े जाने वाले नदियों के पानी से पूरा जिला बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इस दशा में किसानों की न केवल फसल नष्ट हो जाती थी, बल्कि बाढ़ के समय हजारों परिवार बेघर हो जाते थे. ऐसे में फसल को बाढ़ से बचाने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर काम करना शुरू किया. ऐसे हालात को देखते हुए मैं ने एक संस्था ‘गौतम बुद्ध जागृति समिति’ नाम से बनाई और किसानों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण के मसले पर ट्रेनिंग देने के लिए सहयोग मांगना शुरू किया. मेरे प्रयासों को देखते हुए कई एजेंसियां आगे आईं और उन्होंने किसानों के मुद्दे पर सहयोग किया.

Awardsबाढ़ रोधी फसलों के अपनाने से नुकसान में आई कमी

श्रीधर पांडेय की संस्था ‘गौतम बुद्ध जागृति समिति’ ने सिद्धार्थ नगर जिले के हजारों किसानों को बाढ़ के दौरान फसल सुरक्षा उपायों पर सजग किया है, जिस से हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है. अब किसान ऐसी किस्मों का प्रयोग करते हैं, जो लंबे समय तक बाढ़ के पानी में डूबे रहने के बावजूद भी बाढ़ को सहन कर लेती हैं, जिस से फसल नष्ट नहीं होती है.

काला नमक धान की खेती को ले कर पहल

श्रीधर पांडेय ने बताया कि सिद्धार्थ नगर जिले का काला नमक धान अपनी खुशबू और खूबी के चलते पूरी दुनिया में पहचान रखता है. ऐसे में काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों से बिचौलिए औनेपौने दाम पर चावल खरीद कर विदेशों में भारी दाम पर निर्यात कर रहे थे.
उन्होंने काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को वाजिब मूल्य दिलाने के लिए ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ नाम से एफपीओ बनाया और किसानों को काला नमक धान की प्रोसैसिंग और पैकेजिंग पर ट्रेनिंग दे कर उन्हें कुशल बना दिया. उन की इस पहल का परिणाम रहा कि काला नमक धान की खेती करने वाले किसान जिन का चावल महज 60 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता था, वही चावल अब ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ के जरीए 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है.

उन्होंने किसानों द्वारा उगाए जाने वाले जीआई टैग प्राप्त चावल को अब ई-कौमर्स प्लेटफार्म पर भी बेचना शुरू कर दिया है, जिस से किसानों का मुनाफा और भी बढ़ गया है.

मोटे अनाज की खेती और प्रोसैसिंग

श्रीधर पांडेय की कंपनी ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ द्वारा अब किसानों के जरीए मोटे अनाज की खेती करवा कर उन्हें प्रोसैसिंग में भी निपुण किया जा रहा है, जिस से किसान बाजार में बढ़ रहे मोटे अनाज और उस के उत्पादों को तैयार कर अधिक मुनाफा ले पाएं.

श्रीधर पांडेय के इन प्रयासों को देखते एक प्रगतिशील किसान के तौर पर अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए खुद की आमदनी बढ़ाने के साथ ही दूसरे किसानों के आय को बढ़ाने की जो पहल की है, वह दूसरे किसानों के लिए नजीर बन चुका है.

गेहूं की नई उन्नत किस्में

उदयपुर : करनाल में जनमी ’प्रेमा’, ’मंजरी’, ’वैदेही’, ’वृंदा’ एवं ’वरुणा’ इस वर्ष से खेतों में नर्तन करेगी, तो बिलासपुर की ’विद्या’ भी किसानों के खेतों में इठलाएगी.

चौंकिए मत, ये नृत्यांगनाएं नहीं, बल्कि गेहूं की वे किस्में हैं, जौ कृषि वैज्ञानिकों के 8-10 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद किसानों के खेतों तक पहुंचेगी. उन्नत किस्म के ये गेहूं के बीज मौजूदा बदलते जलवायु चक्र को ध्यान में रख कर तैयार किए गए हैं.

आप को जान कर हैरानी होगी कि किस्मों को तैयार करने में कृषि वैज्ञानिकों को 8 से 10 साल शोध करने पर सफलता हासिल होती है. कई मानकों पर खरा उतरने पर ही किस्म को सार्वजनिक किया जाता है.

उदयपुर में चल रही अखिल भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, नई दिल्ली डा. हिमांशु पाठक एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने पिछले वर्ष तक की चिन्हित व अनुमोदित की जा चुकी गेहूं की इन किस्मों को जारी किया और इन्हें ईजाद करने वाले कृषि वैज्ञानिक को प्रतीक चिह्न व प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया.

Wheatइंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, बिलासपुर, रायपुर, छत्तीसगढ़ में डा. अजय प्रकाश अग्रवाल ने सीजी 1036 (विद्या) गेहूं की किस्म तैयार की. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने डीबीडब्ल्यू 316 (करन प्रेमा), डीबीडब्ल्यू 55 (करन मंजरी), डीबीडब्ल्यू 370 (करन वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करन वृंदा), डीबी डब्ल्यू 372 (करन वरुणा) जैसी गेहूं की किस्में तैयार की. इन के ब्रीडर कृषि वैज्ञानिकों व उन की टीम को सम्मानित किया गया.

इसी प्रकार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में तैयार किस्म एचडी 3369 पूसा, एचडी 3406, एचडी 3411, 3407 जैसी किस्मों को भी हरी झंडी दी गई.

इसी प्रकार अघारकर अनुसंधान संस्थान, पुणे ने 2 किस्में एमएसीएस 6768 व 4100 तैयार की, जिन का अनुमोदन किया गया. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की पीबीडब्ल्यू 833, 872, 826 किस्में भी जारी की गईं.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना व आईएआरआई – क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, इंदौर को आल इंडिया कोर्डिनेटर रिसर्च प्रोजैक्ट में सब से बेहतरीन काम करने पर सम्मानित किया गया.

यूरोप में महका मध्य प्रदेश का महुआ

छिंदवाड़ा: यूके की लंदन स्थित कंपनी ओ-फारेस्ट ने महुआ के कई प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैँ. इन में मुख्य रूप से महुआ चाय, महुआ पावडर, महुआ निब-भुना महुआ मुख्य रूप से पसंद किए जा रहे हैं. ओ-फारेस्ट ने मध्य प्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है. इस से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा.

महुआ जनजातीय समाज के लिए यह अमृत फल है. महुआ लड्डू और महुआ से बनी देशी हेरिटेज मदिरा उन के पारंपरिक व्यंजन हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में सब से पहले महुआ और अन्य वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित किया था. इस से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को बिचौलियों से नजात मिल गई है. उन्हें बाजार में भी अच्छे दाम मिलने लगे हैं. महुआ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जाने से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को अच्छी कीमत मिलेगी. महुआ का समर्थन मूल्य 35 रुपए किलोग्राम है, जबकि यूरोप में महुआ की खपत होने से उन्हें 100 से 110 रुपए प्रति किलोग्राम का मूल्य मिलेगा.

महुआ-समृद्ध प्रदेश

प्रदेश में महुआ बहुतायत में होता है. एक मौसम में तकरीबन 7 लाख, 55 हजार क्विंटल तक मिल जाता है. पूरी तरह महुआ फूल से लदा एक पेड़ 100 किलोग्राम तक महुआ देता है. तकरीबन 3 लाख, 77 हजार परिवार महुआ बीन कर अपना घरपरिवार चलाते हैं. एक परिवार कम से कम 3 पेड़ों से महुआ बीनता है. साल में औसतन 2 क्विंटल तक महुआ बीन लेता है. कुल महुआ संग्रहण का 50 फीसदी उमरिया, अलीराजपुर, सीधी, सिंगरौली, डिंडौरी, मंडला, शहडोल और बैतूल जिलों से होता है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर महुआ संग्राहकों को कई सुविधाएं दी गई हैं.

समर्थन मूल्य पर महुआ फूल की खरीदारी

ओ-फारेस्ट कंपनी की सहसंस्थापक मीरा शाह ने बताया कि महुआ फल प्रकृति का उपहार है. मध्य प्रदेश सरकार के साथ काम करते हुए हमें बेहद खुशी है कि हमें महुआ फल की उपज को उत्सव की तरह मनाने और जनजातीय संस्कृति में इस का संरक्षण करने का अवसर मिला.

उन्होंने आगे कहा कि समर्थन मूल्य पर महुआ फूल की खरीदी सरकार का एक बड़ा कदम है. इस से खाद्य पदार्थ के रूप में महुआ का महत्व बढ़ेगा और इस की पहुंच बड़े बाजारों तक होगी. महुआ बीनने वाले परिवारों की आमदनी बढ़ेगी और वे महुआ पेड़ों को सहेजने के लिए प्रेरित होंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिक रूप से एकत्र महुआ फूल का मूल्य कई गुना बढ़ जाता है.

यूरोप के बाजार में महुआ से बने खाद्य पदार्थों की बढ़ती पसंद के बारे में पूछने पर मीरा शाह ने बताया कि लाखों लोग एक देश से दूसरे देश आतेजाते हैं. वे अन्य देशों की खानपान संस्कृति से भी परिचित होना चाहते हैं. इस प्रकार मध्य प्रदेश के महुआ से बने खाद्य पदार्थों के प्रति रु चि बढ़ रही है.

उन्होंने आगे कहा कि यूके में जनसंख्या की विविधता है, इसलिए दुनिया के हर देश का व्यंजन और खाद्य पदार्थ यहां मिल जाता है.

हेरिटेज वाइन

महुआ फूल से बनी मदिरा को हेरिटेज वाइन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार ने नीति बनाई है. जनजातीय क्षेत्र के स्वसहायता समूहों को ही इसे बनाने का लाइसेंस दिया जाएगा. हर स्वसहायता समूह अपने उत्पाद का अलग नाम रख सकता है. जिले में एक से अधिक स्वसहायता समूहों को भी लाइसेंस मिल सकता है. स्वसहायता समूहों के सदस्यों में कम से कम 50 फीसदी महिला सदस्य होनी चाहिए.

समर्थन मूल्य पर हुई मूंग की बंपर खरीद

कटनी : इस साल जिले के 3,348 किसानों से रिकार्ड 6,712 मेट्रिक टन ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 2,728 मीट्रिक टन अधिक है. कलक्टर अवि प्रसाद द्वारा समर्थन मूल्य पर उपार्जित ग्रीष्मकालीन मूंग का किसानों को शतप्रतिशत भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए की जा रही निरंतर समीक्षा और प्रयासों की वजह से अब तक 52.05 करोड़ रुपए के भुगतान के विरुद्ध किसानों को 51.24 करोड़ रुपए का उन के बैंक खातों में औनलाइन भुगतान किया जा चुका है, जो कुल भुगतान योग्य राशि का 98.44 फीसदी है.

जिला विपणन अधिकारी अमित तिवारी ने बताया कि किसानों के शेष औनलाइन भुगतान की प्रक्रिया शासन स्तर से प्रचलित है. 2-4 दिन के भीतर ही शेष सभी किसानों का भी भुगतान हो जाएगा. शासन द्वारा इस साल समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी दर 7,755 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई थी, जबकि पिछले साल यह दर मात्र 7,255 रुपए प्रति क्विंटल ही थी यानी इस साल किसानों को मूंग खरीदी पर शासन द्वारा 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अधिक राशि का भुगतान किया गया है.

उपसंचालक, कृषि, मनीष मिश्रा के मुताबिक, बीते साल की तुलना में जिले में इस साल ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा और उत्पादन दोनों बढ़ा है. पिछले साल जहां 2,488 किसानों ने समर्थन मूल्य पर मूंग की बिक्री की थी, वहीं इस साल किसानों का यह संख्यात्मक आंकड़ा बढ़ कर 3,348 हो गया है यानी कि समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने वाले पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 860 किसान अधिक थे. जिले में उपार्जित शतप्रतिशत मूंग का परिवहन किया जा चुका है.

कृषि क्षेत्र में सहयोग हेतु भारत और न्यूजीलैंड की साझेदारी

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और न्यूजीलैंड के व्यापार एवं निर्यात विकास, कृषि, जैव सुरक्षा, भूमि सूचना व ग्रामीण समुदाय मंत्री डेमियन ओ कौनर के बीच बैठक हुई. बैठक में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच कृषि सहयोग एवं साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

न्यूजीलैंड के मंत्री और उन के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारत व न्यूजीलैंड के बीच संबंधों के महत्व और इस की निरंतर प्रगति के बारे में उल्लेख किया. उन्होंने 14 वर्षों के अंतराल के बाद संयुक्त व्यापार समिति को पुन: आरंभ किए जाने के संबंध में प्रकाश डाला और इस की संरचना के तहत कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच के मुद्दों पर चर्चा की. साथ ही, उन्होंने भारतीय अनार के दानों को बाजार तक पहुंच प्रदान करने और भारत में एमएसएएमबी वीएचटी सुविधा से आम के आयात पर रोक हटाने के लिए न्यूजीलैंड के मंत्री को धन्यवाद दिया.

Farmingमिलेट्स को बढ़ावा देगा न्यूजीलैंड

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने न्यूजीलैंड के मंत्री को वर्ष 2023 अंतर्राष्‍ट्रीय मिलेट्स (श्री अन्‍न) वर्ष के रूप में मनाने की भारत की पहल के बारे में जानकारी देते हुए श्री अन्‍न के स्वास्थ्य और अन्य लाभों को बढ़ावा देने में उन का सहयोग मांगा, जिस पर डेमियन ने सकारात्मक सहयोग की बात कही. दोनों मंत्रियों ने बागबानी के समग्र विकास के लिए, दोनों देशों के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) में परिकल्पित साझेदारी की संभावनाओं पर जोर दिया.

भारत को ग्लोबल रिसर्च एलायंस में शामिल होने का आमंत्रण

दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच व्यापार की जाने वाली कृषि वस्तुओं की गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का एकदूसरे को आश्वासन दिया और फाइटोसैनिटरी उपायों और प्रणालियों पर काम जारी रखने का संकल्प लिया.

मंत्रियों ने सतत व जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली विकसित करने के महत्व पर भी चर्चा की. न्यूजीलैंड के मंत्री ने भारत को ग्लोबल रिसर्च एलायंस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जो कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने पर शोध साझा करने के लिए 67 देशों का गठबंधन है.

रोजगार के रूप में समुद्री सजावटी मछली उत्पादन

विझिंजम : मत्स्यपालन विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने आईसीएआर-सीएमएफआरआई-विझिंजम क्षेत्रीय केंद्र का दौरा किया. उन्होंने तिरुवनंतपुरम में समुद्री मछली हैचरी का भी दौरा किया और वहां वैज्ञानिकों और मछली किसानों के साथ बातचीत की. उन्होंने नैशनल ब्रूड बैंक औफ सिल्वर पोम्पानो, समुद्री सजावटी और लाइव फीड कल्चर यूनिट और बाइवाल्व हैचरी का दौरा किया. डा. अभिलक्ष लिखी ने सागरिका समुद्री अनुसंधान मछलीघर का भी दौरा किया.

उन्होंने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की. उन्होंने मसल्स हैचरी के तटीय जल में स्थायी उत्पादन के प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण काम को शुरू किया जाना है.

Fishingउन्होंने आगे कहा कि समुद्र में हैचरी उत्पादित सीप के अवशेषों की समुद्री खेती के माध्यम से मोती सीपों के प्राकृतिक आवासों को बचाने और संवर्धित करने से संसाधन संरक्षण और आर्थिक स्थायित्व के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से मसल्स और सीपों के प्राकृतिक आवास के फिर से जीवंत होने की उम्मीद है, जो अंततः कई मछुआरा परिवारों की आजीविका में सहयोग करेगा.

सजावटी मछली हैचरी का भी दौरा

सचिव ने सागरिका समुद्री अनुसंधान मछलीघर और सजावटी मछली हैचरी का भी दौरा किया और वहां सजावटी प्रजातियों की क्षमता जानने को उत्सुक थे.

डा. अभिलक्ष लिखी ने आजीविका के विकल्प के रूप में सजावटी मछली के महत्त्व पर प्रकाश डाला और मछली किसानों और उद्यमियों को प्रशिक्षण दे कर सजावटी मछलीपालन तकनीक को लोकप्रिय बनाने के सीएमएफआरआई के प्रयासों पर का भी उल्लेख किया.

उन्होंने मछली किसानों और उद्यमियों के साथ बातचीत की और उन्हें सजावटी मछली उत्पादन इकाइयों में पालने के लिए सजावटी मछली के बीज भी वितरित किए.

मछली बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘लाइव फीड हब’

मत्स्य खेती को पिंजरे में मछलीपालन सहित मछुआरा समुदाय की आजीविका के लिए परिवर्तनकारी श्रोत मानते हुए डीओएफ सचिव ने उल्लेख किया कि सीएमएफआरआई की ‘लाइव फीड हब’ की अवधारणा देशभर में समुद्री फिनफिश और शेलफिश हैचरी के लिए लाइव फीड सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण समाधान है.

Fishingउन्होंने जोर देते हुए कहा कि खाद्य मछलियों और सजावटी मछलियों की खेती में हैचरी बीज एक महत्वपूर्ण बाधा है, जैसे कि कोपपोड्स जैसे लाइव फीड लार्वा के जिंदा रहने के लिए आवश्यक हैं और इस का उपयोग विभिन्न प्रकार की मछली के लार्वा को खिलाने के लिए किया जा सकता है.

डा. अभिलक्ष लिखी ने कई महत्वपूर्ण प्रजातियों की स्टाक संस्कृति को विकसित करने के लिए सीएमएफआरआई के प्रयासों की सराहना की. आईसीएआर-सीएमएफआरआई, विझिंजम केंद्र, जिस में लाइव फीड का सब से बड़ा भंडार है और जो मछली और शेलफिश हैचरी संचालन की उत्पादकता और देश में मछली बीज उत्पादन की दक्षता बढ़ाने के लिए लाइव फीड के मुख्य स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है.

सचिव ने किसानों, सागरमित्रों के साथ बातचीत की और उन की स्थिति के बारे में जानकारी लेते हुए धैर्यपूर्वक उन की शिकायतों को सुना.

डीओएफ के सचिव तटीय समुदायों की आय और आजीविका को बढ़ाने और मत्स्यपालन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं का समर्थन करने के लिए आईसीएआर-सीएमएफआरआई के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Fishingसीएमएफआरआई के निदेशक डा. ए. गोपालकृष्णन और आईसीएआर-सीएमएफआरआई, क्षेत्रीय केंद्र विझिंजम, के प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, डा. बी. संतोष ने केंद्रीय सचिव को वहां की गतिविधियों की अवस्थिति की जानकारी दी. अपनी यात्रा के बाद डीओएफ के सचिव ने आईसीएआर-सीएमएफआरआई, विझिंजम क्षेत्रीय केंद्र में किसानों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और मीडियाकर्मियों को संबोधित किया.

केंद्र सरकार देश के तटीय जल क्षेत्र में बीज उत्पादन और बिवाल्व्स-मोसेल (द्विकपाटीय-सीप), खाद्य सीप एवं मोती सीप के विकास पर गंभीरता से विचार कर रही है.

कृषि यंत्र और कस्टम हायरिंग सैंटर के संबंध में बैठक

संत कबीर नगर : जिलाधिकारी संदीप कुमार की अध्यक्षता में सबमिशन औन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के अंतर्गत वर्ष 2023 -24 के लिए कृषि यंत्र/कृषि रक्षा उपकरण/कस्टम हायरिंग सैंटर की स्थापना एवं हाईटैक हब फौर कस्टम हायरिंग के जनपद स्तरीय कुल लक्ष्य 302 का विकास खंडवार आवंटन कराए जाने हेतु बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई.

बैठक में इस वर्ष के नए शासनादेश के अनुसार किसानों को औनलाइन एग्रीकल्चर पोर्टल पर यंत्र की बुकिंग करनी होगी और लक्ष्य के सापेक्ष अधिक बुकिंग प्राप्त होने पर समिति द्वारा ई-लौटरी के माध्यम से लाभार्थी का चयन किया जाएगा. साथ ही, लक्ष्य के 50 फीसदी तक प्रतीक्षारत सूची भी तैयार होगी. चयनित किसानों को यूपी यंत्र ट्रैकिंग पोर्टल पर पंजीकृत यंत्र विक्रेता से यंत्र क्रय करना होगा और यंत्र विक्रेता द्वारा ही उस के टोकन नंबर, आधारकार्ड नंबर, पैन नंबर इत्यादि पोर्टल पर दर्ज करते हुए बिल का विवरण अपलोड किया जाएगा. बिल अपलोड होने के उपरांत 2 सप्ताह में इस का सत्यापन करते हुए अनुदान की धनराशि लाभार्थी किसानों के खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी.

Farmingजमा करनी होगी टोकन राशि

10,000 रुपए तक के यंत्र पर कोई टोकन धनराशि जमा नहीं करनी होगी. 10,000 से ऊपर और एक लाख रुपए तक के यंत्र के लिए 2,500 रुपए टोकन धनराशि, जबकि एक लाख से अधिक के यंत्र के लिए 5,000 रुपया टोकन धनराशि अपने अथवा रक्त संबंधी के खाते से जमा करनी होगी. यंत्र की कीमत की 50 फीसदी धनराशि लाभार्थी को स्वयं के खाते से विक्रेता के खाते में आरटीजीएस या नेफ्ट के माध्यम से हस्तांतरित करना होगा. ग्राम पंचायत की दशा में यह धनराशि 20 फीसदी होगी.

जिलाधिकारी संदीप कुमार ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि योजना का प्रचारप्रसार कराते हुए कड़ाई से इस का अनुपालन करना सुनिश्चित करें.

बैठक में ये लोग रहे मौजूद

इस बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अनिरुद्ध कुमार सिंह, जिला विकास अधिकारी सुरेश चंद्र केसरवानी, उपजिलाधिकारी सदर शैलेश कुमार दूबे, उपजिलाधिकारी धनघटा उत्कर्ष श्रीवास्तव, उपजिलाधिकारी मेंहदावल अरुण कुमार दूबे, पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर दिपांशी राठौर, उपकृषि निदेशक डा. राकेश कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, कृषि रक्षा अधिकारी शशांक चौधरी, सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज सहित प्रगतिशील किसान अशोक कुमार मौर्य, क्षेत्रभान राय, सुरेंद्र राय, हरि प्रकाश, राम बहादुर मिश्रा, सहायता समूह की ओर से सरदार पटेल महिला स्वयं सहायता समूह एवं शगुन सहायता समूह के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे.