कृषि विभाग की अनेक योजनाएं लागू

संत कबीर नगर: जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर की अध्यक्षता में कृषि, पशुपालन, उद्यान, सहाकारित, दुग्ध विकास विभाग द्वारा संचालित विकासपरक व लाभार्थीपरक योजनाओं में लक्ष्य के सापेक्ष प्रगति, गुणवत्ता एवं कार्ययोजना से संबंधित समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई. कृषि विभाग के कार्ययोजनाओं की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री डैसबोर्ड पर प्रदर्शित आंकड़ों के सापेक्ष योजनावार समीक्षा की गई.

बिना लाइसेंस की दुकानों के बिक्री ना हो

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने निर्देशित किया कि कोई भी खाद बिना लाइसेंस की दुकानों के बिक्री ना हो. कृषि विभाग के अधिकारी इस का औचक निरीक्षण करें. सभी उर्वरक विक्रेताओं की सूची जनपद के पोर्टल पर डाल दी जाए, जिस से किसान जागरूक बनें.

किसान क्रेडिट कार्ड की समीक्षा

किसान क्रेडिट कार्ड की समीक्षा में पाया गया कि अभी महज 30 फीसदी लक्ष्य के सापेक्ष किसान क्रेडिट कार्ड वितरित हुए हैं, जबकि 30 दिसंबर तक शतप्रतिशत 87,586 किसान क्रेडिट कार्ड जारी हो जाने चाहिए. इस संबंध में अग्रणी जिला बैंक प्रबंधक के लिए निर्देश दिए गए कि सभी जिला समन्वयक से बातचीत कर के प्रगति लाएं.

यंत्रों की औनलाइन बुकिंग शुरू

कृषि यंत्रीकरण योजना के अंतर्गत 30 नवंबर से यंत्रों की औनलाइन बुकिंग शुरू हो चुकी है, जो 14 दिसंबर तक जारी रहेगी. इस के पश्चात ईलौटरी के द्वारा किसानों का चयन किया जाएगा. चयनित किसान यंत्र खरीद कर विक्रेता के माध्यम से ही बिल और उस यंत्र के साथ फोटो नचलंदजतंजतंबापदह पोर्टल पर अपलोड करेंगे, जिस का समय से सत्यापन कर अनुदान राशि किसानों को वितरित कराई जाएगी. किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अवशेष ईकेवाईसी 69,587 किसानों को विकसित ‘भारत संकल्प यात्रा’ अभियान के दौरान कैंप लगाते हुए कर ली जाए. साथ ही, जिन किसानों के आधार सीडिंग बैंक में नहीं हुई है एवं भूलेख अंकन नहीं हुआ है, उन की भी योजना बना कर पूर्ति सुनिश्चित की जाए.

जिले में इस वर्ष पराली जलाए जाने की 32 घटनाएं हुई हैं, जिन में कुल 80,000 पर्यावरण क्षतिपूर्ति किसानों के विरुद्ध कार्यवाही की गई, जिस में से अभी तक महज 15,000 रुपए की वसूली हुई है. सभी उपजिलाधिकारी को अलग से पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली किए जाने के निर्देश दिए गए.

जिलाधिकारी द्वारा उपनिदेशक, कृषि एवं जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया गया कि समय से बीजों को वितरण करते हुए उन की डीबीटी कर अनुदान की धनराशि किसानों को उपलब्ध करा दें. साथ ही, प्रदर्शन इस प्रकार से किए जाएं, जिस से कि किसान प्रोत्साहित हो कर नई तकनीकियों को अपनाएं.

जिलाधिकारी द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि कृषि विभाग के अधिकारी एक मौडल फार्म एवं बखिरा झील के संबंध में अलग से प्रोजैक्ट तैयार कर इस क्षेत्र में विशेष काम करें. साथ ही, जिलाधिकारी द्वारा पशुपालन विभाग की समीक्षा के दौरान गोवंश संरक्षण अभियान की जानकारी ली गई. उन्होंने मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की प्रगति की समीक्षा बैठक में गोवंश संरक्षण की प्रगति पर नाराजगी जाहिर की.

गोआश्रयस्थलवार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट की जानकारी भी जिलाधिकारी द्वारा किस ब्लौक में कितने गोआश्रयस्थल हैं, कितने गोवंश आज की तिथि में संरक्षित हैं और कितने का फंड जेनरेट कर पैसा दिया जा रहा है. सहभागिता योजना के अंतर्गत ब्लौकवार सत्यापन की रिपोर्ट भी जिलाधिकारी द्वारा चाही गई. साथ ही, जिले में कितने कैटल कैचर संचालित हैं, उन की सूची भी मांगी गई. डा. सुरेंद्र कुमार द्वारा बताया गया कि जनपद में 3 कैटल कैचर वर्तमान में हंै.

सहकारिता विभाग की समीक्षा

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा सहकारिता विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया गया कि सभी किसानों को उर्वरक गुणवत्तायुक्त मिले, निर्धारित मूल्य पर उर्वरक की बिक्री की जाए एवं किसानों को पीओएस मशीन से कटी रसीद दी जाए. जिन बिक्री कंेद्रों के द्वारा उर्वरक के निर्धारित मूल्य से अधिक धनराशि ली जाए, तो उन के विरुद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3ध्7 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कराई जाए. साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसान को उन की भूमि की जोत एवं बोई गई फसल के अनुपात में उर्वरक की बिक्री की जाए, किसी भी किसान को जरूरत से ज्यादा मात्रा में उर्वरक की बिक्री न की जाए. जिन के द्वारा उर्वरक बिक्री बिना उर्वरक प्राधिकारपत्र के किया जाए, तो ऐसे विक्रेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाए.

जनपद में सहकारिता विभाग द्वारा निर्धारित इफको उर्वरक लक्ष्य यूरिया 17757 एमटी के सापेक्ष 5567 एमटी, फास्फेटिक लक्ष्य 8041 एमटी के सापेक्ष 7512 एमटी उपलब्धता रही. दिसंबर, 2023 में यूरिया आपूर्ति के लिए रैक प्लान 2600 एमटी का है, जिस के सापेक्ष 6 दिसंबर, 23 को लगभग 1500 एमटी यूरिया प्राप्त होने की सूचना है. इसी प्रकार जिले की समितियों के माध्यम से प्रमाणित गेहंू बीज 770 क्ंिवटल का वितरण किया गया है. विभाग द्वारा सहकार से समृद्धि योजना के अंतर्गत कुल 83 बी-पैक्स के सापेक्ष माइक्रो एटीएम 39 पैक्स, कंप्यूटराइजेशन 11 पैक्स, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र 2 पैक्स एवं सीएससी की सेवा 43 समितियों पर उपलब्ध है.

जनपद में 9 बी-पैक्स समितियों द्वारा सदस्य किसानों को 3 फीसदी के ब्याज दर पर फसली ऋण वितरण के अंतर्गत अब तक 7 किसानों को 4.15 लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया है.

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा उद्यान विभाग के क्रियाकलापों एवं योजनाओं की समीक्षा की गई. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि उद्यान विभाग के अंतर्गत आईजीआरएस के माध्यम से 5 शिकायतें मिली थीं, जिन्हें समय से निस्तारित कर लिया गया. पिछली बैठक के दौरान दिए गए सभी निर्देशों का अनुपालन कर लिया गया था. बखिरा झील के आसपास के क्षेत्र में औद्यानिक फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खलीलाबाद फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा केले की खेती कौंट्रैक्ट के आधार पर करने की इच्छा व्यक्त की गई. यह कंपनी 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केले की खेती करने और केला आधारित उद्योग लगाने की इच्छुक है. इस कंपनी द्वारा महाराष्ट्र की सनरिया एग्रो कंपनी से मिल कर केले का निर्यात किया जाएगा.

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा एकीकृत बागबानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत रबी मौसम के कार्यक्रमों के दिशानिर्देश विलंब से प्राप्त होने के कारण उन कार्यक्रमों को ज्यादा मौसम में करने के लिए अनुमोदन दिया गया. साथ ही, बखिरा झील के आसपास केले की खेती के लिए कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए निर्देशित किया गया.

इसी क्रम में जिलाधिकारी द्वारा दुग्ध विभाग की समीक्षा करते हुए जिला योजना एवं नंद बाबा मिशन दुग्ध समितियां के गठन व पुनर्गठन की पूर्ति कर ली गई. मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालन योजना के लिए प्राप्त आवेदनपत्रों की सत्यापन की कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया गया.

इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी सुरेश चंद्र केसरवानी, उपकृषि निदेशक डा. राकेश कुमार सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी सीपी सिंह, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राकेश तिवारी, एआर कौपरेटिव हरी प्रसाद, जिला उद्यान अधिकारी समुद्र गुप्त मल्ल, जिला कृषि रक्षा अधिकारी शशांक, दुग्ध विकास अधिकारी वीके गुप्ता, सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज आदि उपस्थित रहे.

‘विश्व मृदा दिवस’ मनाया गया

बस्ती: कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती पर ‘विश्व मृदा दिवस’ मनाया गया. इस अवसर पर डा. वीबी सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ‘विश्व मृदा दिवस 2023’ का विषय ‘‘मिट्टी और पानी जीवन का एक स्रोत‘‘ है, जिस का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य की जागरूकता बढ़ाने और समाज को प्रोत्साहित कर के स्वस्थ परिस्थिति की तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में मृदा जागरूकता बढ़ाना व मिट्टी की सेहत में सुधार करना है.

केंद्र के वैज्ञानिक डा. प्रेम शंकर ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए कहा कि पराली जलाने से मिट्टी में उपलब्ध लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिस से हमारा उत्पादन घट जाता है. वहीं केंद्र के वैज्ञानिक हरिओम मिश्र ने बताया कि लगातार बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने व अधिक उत्पादन लेने के लिए अंधाधुंध कृषि रसायनों का प्रयोग करना है और उर्वरकों के प्रयोग से हमारी मिट्टी की सेहत दिनोंदिन खराब होती चली जा रही है. नतीजतन, आने वाले समय में हमारी मिट्टी बंजर होने की कगार पर है.

उन्होंने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि अपनी मिट्टी को बिगड़ने से बचाएं और हमें मिट्टी की सेहत के प्रति ध्यान देते हुए धीरेधीरे रासायनिक उर्वरकों का विकल्प जैसे हरी खाद, गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट व जैविक खाद का प्रयोग करने और साथ ही साथ प्राकृतिक खेती को भी बढ़ाना होगा, तभी हमारी मिट्टी की सेहत बेहतर हो सकती है. वैज्ञानिक डा. अंजलि वर्मा ने पराली के घरेलू उपयोग के बारे में बताया. इस अवसर पर जितेंद्र प्रताप शुक्ला, अहमद अली आदि उपस्थित रहे.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में ढेरों लाभ

नई दिल्ली: मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय 5 वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) नाम की एक प्रमुख योजना लागू कर रहा है. देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक प्रभावी रहेगी. इस योजना के तहत पिछले 3 वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2022-23) और चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के दौरान विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों की मत्स्यपालन विकास परियोजनाएं देश में मछलीपालन और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 17118.62 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, फसल के बाद की अवसंरचना एवं प्रबंधन और मूल्य श्रृंखला के आधुनिकीकरण और मजबूती, पता लगाने की क्षमता और गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण अंतराल को पाटने के लिए डिजाइन की गई है और इसे कार्यान्वित किया गया है.

मत्स्यपालन मूल्य श्रृंखला को आधुनिक और मजबूत करने के लिए पीएमएमएसवाई फसल कटाई के बाद की अवसंरचना जैसे मछली पकड़ने के बंदरगाह व मछली लैंडिंग केंद्र, कोल्ड स्टोरेज और बर्फ संयंत्र, रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड वाहनों सहित मछली परिवहन वाहनों, बर्फ तोड़ने और बर्फ कुचलने वाली इकाइयों, बर्फ व मछली होल्डिंग बक्सों के निर्माण, मोटरसाइकिल, साइकिल और आटोरिकशा, मूल्य संवर्धन उद्यम इकाइयों के साथसाथ सुपरमार्केट, खुदरा मछली बाजार और आउटलेट, मोबाइल मछली और जीवित मछली बाजारों सहित आधुनिक स्वच्छ बाजारों का समर्थन करती है. पिछले 3 वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23) और चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के दौरान उपरोक्त गतिविधियों के लिए अब तक पीएमएमएसवाई निवेश के अंतर्गत 4005.96 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं.

पीएमएमएसवाई एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे की स्थापना की व्यवस्था करती है और मत्स्य प्रबंधन योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यकता आधारित सहायता प्रदान करती है. इस के अतिरिक्त पीएमएमएसवाई जलीय कृषि, समुद्री कृषि और फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और मत्स्यपालन में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है, जिस का उद्देश्य आय बढ़ाना और मछुआरों और मत्स्यपालन क्षेत्र से जुड़े अन्य हितधारकों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार करना है.

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मछली पकड़ने पर प्रतिबंध की अवधि के दौरान पारंपरिक और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े, पात्र सक्रिय समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरा परिवारों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता के लिए सालाना 60 लाख वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जबकि पीएमएमएसवाई 3320 लाख मछुआरों के बीमा कवरेज का समर्थन करती है और मछली पकड़ने के जहाजों के लिए ब्याज सहायता योजना का भी समर्थन करती है.

इस के अतिरिक्त पीएमएमएसवाई के तहत जलीय कृषि प्रणाली, मैरीकल्चर और पोस्टहार्वेस्ट मैनेजमेंट गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्देशीय जलीय कृषि के लिए 20823.40 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 3942 बायोफ्लौक इकाइयां, 11927 पुनःसंचार जलीय कृषि प्रणाली (आरएएस), जलाशयों में 44,408 जलाशय पिंजरे और 543.7 हेक्टेयर पेन, समुद्री शैवाल राफ्ट और मोनोलाइन इकाइयों की 1,11,110 इकाइयां, 1489 बाईवाल्व खेती इकाइयां, 562 कोल्ड स्टोरेज, 6542 मछली भंडारण इकाइयों को मंजूरी दी गई है.

दालों से मिलेगी अधिक उपज

नई दिल्ली: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने दालों सहित विभिन्न फसलों की क्षेत्र विशिष्ट, उच्च उपज देने वाली और जलवायु के अनुकूल किस्में विकसित की हैं.

वर्ष 2014 के बाद से, देश में 14 दलहनी फसलों की कुल 369 किस्में जारी और अधिसूचित की गई हैं, जिन में सितंबर, 2023 तक बिहार के लिए 7 दलहनी फसलों की 24 किस्में शामिल हैं, जैसे काबुली चना की 6 किस्में, फील्डपी की 6 किस्में, अरहर की 6 किस्में, फैबाबीन की 3 किस्में, मूंग की 2 किस्में, उड़द की एक और मसूर की एक किस्में शामिल हैं.

किसानों को खेती के लिए नई उन्नत किस्मों के बीज जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिन में उन्नत किस्मों के ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति. पिछले 5 वर्षों के दौरान, आईसीएआर द्वारा आधार और प्रमाणित बीज के डाउनस्ट्रीम गुणन के लिए विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीज उत्पादक एजेंसियों को 15.60 लाख क्विंटल दालों के ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति की गई.

इस के अलावा वर्ष 2016 में ब्रीडर बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए 150 दलहन बीज हब और 12 केंद्रों की स्थापना की गई, जिन्होंने वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान 7.09 लाख गुणवत्ता वाले बीज और 21713 क्विंटल ब्रीडर बीज का उत्पादन और आपूर्ति की है. इसी के साथ 6.39 लाख गांवों को मिला कर कुल 1587.74 लाख क्विंटल गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन किया गया.

ग्राम स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज ग्राम योजना के तहत वर्ष 2014-23 के दौरान 98.07 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया और वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान दालों के 6000 फ्रंट लाइन प्रदर्शनों और 1,51,873 क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शनों के माध्यम से नई उच्च उपज वाली किस्मों के बीजों का वितरण किया गया.

गांवगांव पहुंचेगी गारंटी वाली गाड़ी

नई दिल्ली: 6 दिसंबर 2023. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है. इस दिशा में विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 68 आदिवासी जिलों से शुरू हुई विकसित भारत संकल्प यात्रा का देशभर में प्रसार हो रहा है. प्रधानमंत्री ने इसे ‘मोदी की गारंटी वाली गाड़ी’ नाम दिया है, जिस से गांवों, कसबों और शहरों में रोज लाखों लोग जुड़ रहे हैं.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विकसित भारत संकल्प यात्रा के सुचारु संचालन के लिए प्रतिदिन मानीटरिंग करते हुए राज्यों के साथ बैठकें कर रहे हैं. वे बैठकों के जरीए राज्यों के नोडल अधिकारियों व अन्य आला अधिकारियों से विकसित भारत संकल्प यात्रा की प्रगति की जानकारी ले रहे हैं.

उन का कहना है कि केंद्र सरकार यात्रा के जरीए 26 जनवरी, 2024 तक 2.6 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के साथ दूसरे क्षेत्रों को कवर करने का प्रयास कर रही है.

2 दिन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दादरानगर हवेली, दमनदीव, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार की बैठकें ले कर कहा कि यात्रा के माध्यम से योग्य लाभार्थियों को निश्चित रूप से लाभ मिलना चाहिए व योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार, देश में किसान, महिला, युवा व गरीब 4 जातियां हैं, जिन्हें आगे बढ़ाते हुए देश का समग्र विकास ही लक्ष्य है. यात्रा के दौरान देशभर में समाज के हर तबके को विकसित भारत के संकल्प से जोड़ें और हर तबके का विकास हो, इन्हें सशक्त बनाएं और जीडीपी बढ़े, ताकि हमारा देश वर्ष 2047 तक सभी माने में पूरी तरह से विकसित बनाया जा सके.

विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर, 2023 को खूंटी, झारखंड से किया. अभी 26 राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों में यात्रा चल रही है. अभी तक तकरीबन 30,000 ग्राम पंचायतों को कवर किया जा चुका है, जहां तकरीबन 80 लाख लोगों ने हिस्सा ले कर विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया.

यात्रा में डिजिटल रूप से सक्षम सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) वैन तैनात की गई, जो सतत दौरा कर 17 से अधिक ग्रामीण योजनाओं व 5 आदिवासी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा कर रही हैं. नगरीय निकायों में भी वैन 17 शहरी योजनाओं के बारे में जागरूकता का प्रसार कर रही हैं.

कार्यक्रमों के दौरान विभिन्न गतिविधियां व सेवाएं, जैसे सामान्य स्वास्थ्य शिविर, टीबी स्क्रीनिंग, स्किल सेल स्क्रीनिंग शिविर आदि भी की जा रही हैं. इन में भी लाखों लोग उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रमों के दौरान पीएम उज्ज्वला नामांकन, माय भारत स्वयंसेवक पंजीकरण, आयुष्मान कार्ड का वितरण जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं. पोर्टल (विकसित भारत संकल्प वैबसाइट) विकसित की गई है, जो डैशबोर्ड व रिपोर्ट से कार्यक्रम के दौरान कैप्चर विभिन्न डेटा व फोटो और वीडियो प्रदर्शित करता है.

नैनो उर्वरक पेश करने वाला भारत पहला देश

नई दिल्ली: भारतीय उर्वरक क्षेत्र ने हमारे 14 करोड़ किसान परिवारों को समय पर उर्वरक प्रदान कर के कृषि संबंधी सेवाएं दे कर और एक मजबूत शक्ति के रूप में उभर कर सहायता प्रदान करने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त किया है. इस प्रकार भारतीय उर्वरक क्षेत्र वैश्विक बाजार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

यह बात केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली में भारतीय उर्वरक संघ के 59वें वार्षिक सेमिनार 2023 के उद्घाटन भाषण के दौरान कही. संगोष्ठी का विषय ‘‘उर्वरक और कृषि क्षेत्रों में नवाचार‘‘ था. उन्होंने उर्वरक क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला.

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने कहा, “सरकार छोटे और सीमांत किसानों के लिए अपनी सहायता बढ़ा रही है, उन के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है और इस तरह देश के खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों को पूरा कर रही है.

भारत सरकार ने पिछले 2-3 वर्षों के दौरान, वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की ऊंची कीमतों के प्रभाव को हावी नहीं होने दिया है और स्थिर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की है. इस के परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर खपत में गिरावट की तुलना में इन वर्षों के दौरान उर्वरक की खपत स्थिर रही और रिकौर्ड कृषि उत्पादन हुआ.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि घरेलू उत्पादन को मजबूत करने और लीकेज और डायवर्जन को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई सक्रिय उपाय किए गए हैं, जिन के संयुक्त प्रयासों से रिकौर्ड उत्पादकता प्राप्त हुई है.

 

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मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने सरकार द्वारा आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों के बारे में कहा, “3 मिलियन टन से अधिक यूरिया क्षमता को पुनर्जीवित किया गया है और अगले कुछ वर्षों में अतिरिक्त क्षमता के चालू होने की आशा है.”

उन्होंने जोर दे कर कहा कि सरकार फास्फेटिक और पोटाशिक क्षेत्रों में कच्चे माल की सुरक्षा की दिशा में काम कर रही है और भारतीय कंपनियों को विदेशी उद्यमों, दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी और खनन में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्होंने एकीकृत फसल प्रबंधन को प्रोत्साहन प्रदान करने, संतुलित पोषण के माध्यम से मिट्टी की सेहत में सुधार करने, तकनीकी रूप से बेहतर उत्पाद विकसित करने और टिकाऊ कृषि प्रणालियों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए प्रयोगशालाओं से किसानों के खेत तक प्रौद्योगिकी पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

डा. मनसुख मांडविया ने बताया कि पीएम प्रणाम पहल के अंतर्गत उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को प्रोत्साहन देने, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू कर के धरती की सेहत को बचाने के लिए एक जनआंदोलन शुरू हो गया है.
केंद्रीय मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने कृषि क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए हालिया तकनीकी हस्तक्षेपों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय अनुसंधान ईकोसिस्टम के माध्यम से नैनो डीएपी और नैनो यूरिया जैसे नैनो उर्वरकों को पेश करने वाला भारत पहला देश है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया में अपनी तरह की अनूठी तकनीक में से एक है और पृथ्वी पर पोषक तत्व अनुप्रयोग प्रथाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.‘‘

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘‘नमो ड्रोन दीदी‘‘ योजना, ड्रोन छिड़काव सेवाओं को किफायती कीमतों पर किसानों को उपलब्ध कराएगी. भारतीय उद्योगों को धीमी गति से निकलने वाले, लेपित और तरल उर्वरकों जैसे स्मार्ट पोषक तत्वों को बढ़ाने और विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सरकार लागत प्रभावी समाधान विकसित करने और प्रौद्योगिकी पहुंच में सुधार करने के लिए ड्रोन निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और कृषि कंपनियों के साथ मिल कर काम कर रही है. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र सरकार ने तकरीबन 2 लाख मौडल रिटेल आउटलेट स्थापित किए हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के नाम से जाना जाता है, जो सभी कृषि गतिविधियों के लिए वन स्टाप शाप के रूप में काम कर रहे हैं.

मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने उर्वरक बिरादरी से उर्वरक निर्माण के हरित तरीकों की ओर बढ़ने और वैश्विक खाद्य संकट को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उचित रूप से संलग्न होने का आग्रह करते हुए अपने भाषण का समापन किया. उन्होंने किसानों, सरकार और उद्योग के बीच संचार और समन्वय को और मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार के समर्थन का आश्वासन दिया.

 

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समारोह के दौरान कंपनियों, वैज्ञानिकों और दूसरे व्यक्तियों को सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैव उर्वरकों आदि के उत्पादन, पर्यावरण प्रदर्शन, सुरक्षा, विपणन और प्रचार में उत्कृष्टता को मान्यता देने और अनुसंधान और विकास में उन के योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कार वितरित किए गए. इस अवसर पर भारतीय उर्वरक संघ द्वारा प्रकाशित 3 प्रकाशनों, अर्थात फर्टिलाइजर (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश, 1985 व उर्वरक सांख्यिकी 2022-23 और विशेष उर्वरक और सूक्ष्म पोषक सांख्यिकी 2022-23 को भी जारी किया गया.

केंद्रीय मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जहां भारत और विदेश के कुल 56 प्रदर्शकों ने उर्वरक और कृषि क्षेत्रों को प्रदान किए गए अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन किया.

विश्व मृदा दिवस पर जागरूकता: स्वस्थ धरा खेत हराभरा

उदयपुर: राजस्थान कृषि महाविद्यालय में ‘‘विश्व मृदा दिवस‘‘ कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस मौके पर डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बताया कि कृषि रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से खाद्य पदार्थों में रसायनों के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं.

अतः उपभोक्ताओं द्वारा ‘‘पेस्टीसाइड रेजीड्यू फ्री भोजन‘‘ या ग्रीन फूड की मांग बढ़ती जा रही है, इस के लिए जैविक खेती पर जोर देने की आवश्यकता है, ताकि रसायनमुक्त खाद्यान्न प्राप्त किया जा सके. साथ ही, मिट्टी का जैविक कार्बन स्तर को भी बढ़ाया जा सके.

देश में 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है, जिन में अलगअलग प्रकार के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुण होते हैं, जिन के अनुसार उन का उपयोग करना चाहिए. मिट्टी में जैविक कार्बन स्तर 0.2-0.4 फीसदी से बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है, ताकि मिट्टी की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में अनुकूल प्रभाव पड़े एवं मिट्टी की उत्पादक क्षमता बढ़ाई जा सके.

डा. एसके बेहरा, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, मृदा रसायन एवं उर्वरता विभाग, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल (मध्य प्रदेश) ने अपने उद्बोधन में बताया कि देश में विभिन्न वैज्ञानिकों को मिल कर मृदा स्वास्थ्य के उत्तम प्रबंधन पर मिल कर काम करना होगा.

 World Soil Dayयदि हम सही प्रबंधन करते हैं, तो ये जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी कम करती है. साथ ही, उन्होंने बताया कि मृदा के कार्बन स्तर पर बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की उचित मात्रा व सूक्ष्म जीवों की संख्या बनी रह सके, जिस से मिट्टी की उर्वरता एवं उत्पादकता क्षमता बनी रह सके.

डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान ने अपने उद्बोधन में कहा कि मृदा एक सजीव संघटक है, जिस में असंख्य सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता हमेशा बनी रहती है. साथ ही, उन्होंने बताया कि मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा 0.75 फीसदी से अधिक एवं सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या प्रति ग्राम मिट्टी में कम से कम 10 लाख से ऊपर होनी चाहिए.

कार्यक्रम में सीटीएई, अधिष्ठाता, डा. पीके सिंह ने अपने उद्बोधन में मृदा स्वास्थ्य को सहेज कर रखने की अपील की. साथ ही, उन्होंने बताया कि भारत में विभिन्न तरह की मिट्टियां पाई जाती हैं, जिस का प्रयोग उन की गुणवत्ता के आधार पर करने की आवश्यकता है एवं मिट्टी के क्षरण को रोकना काफी जरूरी है.

कृषि प्रौद्योगिकी में भारत का खास प्रदर्शन

नई दिल्ली: 6 दिसंबर 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व सूरीनाम के विदेश मामले, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री अल्बर्ट आर. रामदीन के बीच पिछले दिनों कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक हुई. बैठक में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत ड्रोन और एग्रीस्टैक जैसी कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और हमें सूरीनाम के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने में खुशी होगी.

उन्होंने सूरीनाम के मंत्री अल्बर्ट आर. रामदीन व उन के साथ आए प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए इस बात पर प्रसन्नता जताई कि कृषि व संबद्ध क्षेत्रों पर संयुक्त कार्य समूह की बैठक 15 नवंबर, 2023 को आयोजित की गई. यह देखना उत्साहजनक है कि हम वर्ष 2023 से 2027 की अवधि के लिए कार्ययोजना के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान शुरू किए “खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए डेक्कन उच्चस्तरीय सिद्धांत” और “मिलेटस (श्रीअन्न) और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि)” जैसे प्रयास खाद्य असुरक्षा, भूख और कुपोषण से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

उन्होंने सूरीनाम को महर्षि, जिस का सचिवालय भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में स्थित है, का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत सूरीनाम दुनिया में मिलेट्स (श्रीअन्न) को लोकप्रिय बनाने के लिए मिल कर काम कर सकते हैं.

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतसूरीनाम द्विपक्षीय संबंध विकास की साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं और हमारे बीच एमओयू और लगातार उच्चस्तरीय बातचीत होती है. उन्होंने श्रीअन्न की खेती और आयुर्वेद के क्षेत्र में सूरीनाम के प्रयासों की सराहना की.

मंत्री अल्बर्ट आर. रामदीन ने कहा कि यह बैठक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगी. उन्होंने इस पर जोर दिया कि खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे निकट भविष्य में प्रमुख चिंता के रूप में उभरेंगे, दोनों देशों के पास इन क्षेत्रों में सहयोग करने की पर्याप्त गुंजाइश है.

सूरीनाम ने मिलेट्स की खेती के लिए परियोजना शुरू की गई है और महर्षि पहल का हिस्सा बनने में रुचि जताई. उन्होंने कहा कि दोनों देश प्रशिक्षण और अध्ययन दौरों, तकनीकी सहायता, जलवायु परिवर्तन से संबंधित क्षेत्रों में ज्ञान साझा करने, जर्मप्लाज्म विनिमय व खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. सूरीनाम आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित कर रहा है और औषधीय पौधे उगाने में भारत के सहयोग की आशा की.

मृदा दिवस पर मिट्टी और पानी पर फोकस

नई दिल्ली: 5 दिसंबर 2023 को मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग, भाकृअप -भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली ने इंडियन सोसाइटी औफ सौयल साइंस के दिल्ली चैप्टर के सहयोग से विश्व मृदा दिवस 2023 को पूरे उत्साह के साथ आयोजित किया.

इस वर्ष एफएओ द्वारा विश्व मृदा दिवस की थीम ‘मृदा और जल, जीवन का स्रोत’ दी गई. थीम के आधार पर संभाग में दिल्ली के विभिन्न स्कूलों से आए छात्रों और संभागीय छात्रों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए.

विश्व मृदा दिवस पर कार्यक्रम की शुरुआत डा. टीजे पुरकायस्थ, प्रोफैसर मृदा विज्ञान संभाग, की प्रस्तुति से हुई, जिन्होंने मिट्टी के महत्व और समाज के विकास में मिट्टी की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही, पर्यावरण को साफसुथरा बनाए जाने के लिए कहा गया.

उन्होंने छात्रों को कृषि के साथसाथ पृथ्वी पर जीवन की स्थिरता के लिए प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर मिट्टी और पानी के रखरखाव के बारे में भी जानकारी दी. थीम के आधार पर, छात्रों को मिट्टी और पानी के महत्व और इन संसाधनों को बचाने के तरीकों को समझाने के लिए वीडियो की स्क्रीनिंग भी की गई. इस के बाद उन्हें मिट्टी की उत्पत्ति और विकास दिखाने के लिए संभाग के मृदा संग्रहालय का दौरा भी करवाया गया. छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व से परिचित कराने और उन के ज्ञान का आकलन करने के लिए

Soilछात्रों के लिए विश्व मृदा दिवस थीम पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
कार्यक्रमों के सफल आयोजन के बाद मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग में समापन समारोह का आयोजन किया गया, जिस में मुख्य अतिथि के रूप में भाकृअप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) और डा. विश्वनाथन चिन्नुसामी उपस्थित रहे.

मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान संभाग के अध्यक्ष डा. देबाशीष मंडल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और विश्व मृदा दिवस 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित की गई संभाग की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी, जिस का उद्देश्य सतत और लचीली कृषि खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने में मिट्टी और पानी के बीच महत्व और संबंध के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.

इस के बाद मुख्य अतिथि डा. विश्वनाथन चिन्नुसामी द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधि को ध्यान में रखते हुए लगातार घटते प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग और सतत प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है.

उन्होंने युवाओं से जलवायु परिवर्तन के मद्देेनजर बढ़ती आबादी की खाद्य मांग को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता बनाए रखने के साथसाथ सतत कृषि उत्पादन और उत्पादकता के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए नवीन तकनीकों का विकास करने और उन का उपयोग बढ़ाने के लिए आगे आने का आह्वान किया.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना में करोडों का घोटाला, ये हैं असली जिम्मेदार

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पीएम किसान सम्मान निधि योजना में करोड़ों का फर्जीवाड़ा हुआ है. देश के एक राज्य के एक जिले में कुछ लोगों ने सरकार को 18 करोड़ की चपत लगा दी, अब सोचिए कि इस तरह के फर्जीवाड़े देशभर के लैवल पर कितने होते होंगे.

ऐसे मामलों में कुछ लोगों को पकड़ कर उन से रकम की उगाही कर ली जाती है, पर फिर लीपापोती कर के ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. मुजफ्फरपुर के फर्जीवाड़े में 11,600 अपात्र लोगों ने इस कांड को अंजाम दिया. नोटिस मिलने के बाद अब तक सिर्फ 22 लाख रुपया ही वापस हुआ है.

दिक्कत यह है कि आम जनता और सरकारी लोगों में भ्रष्टाचार इस कदर जड़ें जमाए हुए है कि वे तिकड़म लगा कर ऐसी करतूतों को आसानी से अंजाम दे कर सरकारी पैसा डकार जाते हैं.

बिहार के ही जहानाबाद जिले के 1,321 फर्जी किसान पीएम किसान योजना का 1.87 करोड़ रुपया डकार गए थे.

आईटीआर दाखिल करने वाले किसान भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे. इन के अलावा, पति के साथ पत्नी व बच्चे भी किसान बन कर योजना का लाभ ले रहे थे, जबकि नियम के मुताबिक किसान परिवार में एक घर से एक ही सदस्य को इस योजना का लाभ दिया जाना है.

यह फर्जीवाड़ा कैसे होता है, इस के लिए सतना का उदाहरण लें, तो वहां की सूची में उन भूमिहीन फर्जी किसानों की संख्या ज्यादा है, जिन्होंने स्वपंजीयन किया है, लेकिन स्वपंजीयन के बाद उन की पहचान को तहसीलदार ने सत्यापित किया है, इस के बाद उन के खातों में किसान सम्मान निधि की राशि मिलने लगी.

सवाल यह है कि इतना बड़ा घोटाला तहसीलदार, पटवारी की जानकारी या उन के शामिल हुए बिना संभव है क्या? सरकार फर्जी किसानों से तो पैसा वापस ले लेती है, पर अगर कोई सरकारी मुलाजिम इस कांड में फंसा हुआ है, तो उस पर क्या सख्त कार्यवाही की गई, इस पर गोलमोल जवाब दे देती है या फिर ऐसे भ्रष्टाचारी लोग कानून में खामियां देख कर घपला करते हैं कि जांच की आंच उन तक नहीं पहुंच पाती है, जबकि सजा के तो वे भी बराबर के हकदार हैं.