Zinc :  4 जुलाई, 2025 को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक अनुसंधान निदेशालय में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई. यह कार्यशाला एमपीयूएटी, उदयपुर व अंतर्राष्ट्रीय जिंक संस्था एवं हिंदुस्तान जिंक के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई. डा. अरविंद वर्मा, अनुसंधान निदेशक ने बताया कि जिंक फसलों और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है. पौधों में, जिंक एंजाइमों और हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विकास के लिए आवश्यक है.

मानव स्वास्थ्य में, जिंक प्रतिरक्षा प्रणाली, घाव भरने, डीएनए संश्लेषण और कोशिका विभाजन जैसे कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है. डा. सौमित्रा दास, निदेशक, एशिया पैसेफिक, अंतर्राष्ट्रीय जिंक संस्था, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जिंक का फसलों पर उपयोग कर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में अहम योगदान दिया है.

अंतर्राष्ट्रीय जिंक संस्था विश्व के अनेक देशों में जहां पर कुपोषण की समस्या है, वहां पर कार्य कर रही है. जिंक एवं आयरन कुपोषण की समस्या को समाप्त करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं और शरीर को स्वस्थ्य बनाते हैं. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड से सृष्टि अरोड़ा, अंशुल नेगी, प्रोद्युत गोराई, इंद्रा दास भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिंक का फसलों में उपयोग और उस पर किए गए अनुसंधान आने वाले समय में फसलों में जिंक के महत्व और उपयोग के लिए काफी मदद करेगा और  यह कुपोषण की समस्या को कम करने में अपना अहम योगदान देगा.

उन्होंने आगे बताया कि जिंक न केवल फसलों की लिए ही उपयोगी है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत उपयोगी है. इस का सब से अधिक प्रभाव उन बच्चों पर पड़ता है, जो कुपोषण की समस्या से जूझ रहे हैं. डा. अजित कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश की लगभग 48 फीसदी भूमि में जिंक की कमी है. विश्व के लगभग 30 फीसदी बच्चें जिंक की कमी से पीड़ित हैं, इसलिए हमें बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जिंक का उपयोग करना बहुत जरूरी है. जिंक का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है.

इस कार्यशाला में उन्होंने जिंक के फसलों पर उपयोग के फायदों पर अपने अनुभव साझा किए. डा. एसके शर्मा, सहायक महानिदेशक, मानव संसाधन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने जिंक के फसलों के उपयोग पर अपने अनुभवों को औनलाईन साझा किया. डा. देवेंद्र जैन, सहायक आचार्य, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने परियोजना के 3 सालों  के अनुसंधान कार्य को पावर पौइंट प्रैजेंटेशन के माध्यम से बताया. साथ ही, डबोक एवं मदार के किसानों को जैव उर्वरक भी वितरित किया गया.

इस कार्यक्रम का संचालन डा. लतिका शर्मा और धन्यवाद डा. सुभाष मीणा, परियोजना प्रभारी जिंक प्रोजेक्ट ने अदा किया. इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के लगभग 100 अधिकारीगण, वैज्ञानिक, छात्रछात्राओं एवं किसानों ने भाग लिया.

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