Sugarcane Farming : गन्ना में नवाचार पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर, भागलपुर में किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन बिहार सरकार के गन्ना आयुक्त एके झा (I.A.S.) ने किया. अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि गन्ना (Sugarcane ) बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसान आय का प्रमुख आधार है.
समय की मांग है कि हम परंपरागत खेती से आगे बढ़ कर नवाचार अपनाएं, चाहे वह उच्च उपज एवं उच्च रिकवरी वाली किस्मों का प्रयोग हो, सूक्ष्म सिंचाई तकनीक हो, यंत्रीकृत कटाईढुलाई हो या गन्ना आधारित उत्पादों (गुड़, एथनौल, बायोगैस) की दिशा में प्रसंस्करण हो.
भागलपुर जैसे क्षेत्र में, जहां जल संसाधन व उपजाऊ भूमि की अपार क्षमता है, किसानों को चाहिए कि वे कृषि विज्ञान केंद्र और विभागीय योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं. विभाग की गन्ना (Sugarcane ) यंत्रीकरण योजना तथा मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने और लागत घटाने में मदद करेंगे.
आने वाले वर्षों में बिहार गन्ना (Sugarcane) उद्योग एथनौल उत्पादन और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाएगा. इस में भागलपुर को अग्रणी भूमिका निभानी होगी.
कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, डा. डी.आर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि गन्ना (Sugarcane) बिहार के किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक प्रमुख नकदी फसल है. इस के लिए किसानों को उन्नत किस्मों, सूक्ष्म सिंचाई, संतुलित पोषण प्रबंधन और आधुनिक मशीनरी का प्रयोग करना होगा. बिहार कृषि विश्वविद्यालय किसानों को गन्ने की नई किस्में, कीट रोग प्रबंधन तकनीक और प्रसंस्करण संबंधी अनुसंधान उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
इस अवसर पर कहलगांव उपमंडल के 30 प्रशिक्षणार्थी किसानों में से राकेश कुमार एवं अवधेश पोद्दार ने गन्ना (Sugarcane) विकास संबंधी महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन में खास हैं :
कहलगांव फोकस्ड क्लस्टर : उच्च रिकवरी किस्मों का क्लस्टर विस्तार, डैमाे प्लाट और रोगमुक्त रोपण सामग्री (सीड हौब/टिशू कल्चर) की स्थानीय उपलब्धता.
यंत्रीकरण सहायता : कटाईढुलाई लागत घटाने हेतु हार्वेस्टर/लोडर/ट्रैश श्रेडर पर सब्सिडी की प्राथमिक स्वीकृति और औनग्राउंड कैंप.
सिंचाई एवं रैटून प्रबंधन : ड्रिप/स्प्रिंकलर को सार्वभौमिक कवरेज, रैटून रीजुवेनेशन SOP का प्रशिक्षण.
प्रसंस्करण व बाजकर : गुड़/सीरप जैसी लघु इकाइयों को प्रोत्साहन. संभावित एथनौल/CBG इकाइयों से दीर्घकालिक आपूर्ति करार.
क्षमता-विकास : KVK सबौर के साथ प्रशिक्षण कलैंडर-किस्म चयन, कीट रोग प्रबंधन, मृदा जांच शिविर, लागत लेखांकन.
राकेश कुमार ने कहा, “कहलगांव के किसानों को बीज, मशीनरी और सिंचाई पर केंद्रित सहायता मिले तो हम उत्पादन और रिकवरी, दोनों में प्रदेश में मिसाल बन सकते हैं.”
अवधेश पोद्दार ने कहा, “गुड़ व एथनौल लिंक्ड वैल्यू चेन से बाजार जोखिम घटेगा. हमें तौल केंद्र और समय पर भुगतान चाहिए.”
इस अवसर पर डा. आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि भलगपुर क्षेत्र में गन्ने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन जल प्रबंधन, रोग नियंत्रण, समयबद्ध भुगतान और यंत्रीकरण की कमी जैसी चुनौतियां हैं किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियां अपना कर इन चुनौतियों का समाधान करना होगा.
डा. फिजा अहमद, निदेशक बीज ने जोर दिया कि गन्ने में उन्नत एवं रोग मुक्त बीज सामग्री उपलब्ध कराना सब से बड़ी प्राथमिकता है. सीड हब और टिशू कल्चर तकनीक को किसानों तक पहुंचाना विभाग की प्राथमिक योजना है.
डा. आरएन सिंह, सहनिदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फार्मर्स टू फार्मर्स लर्निंग और क्लस्टर आधारित विस्तार मौडल को लागू करना जरूरी है. डा. अभय मंकर, उपनिदेशक प्रशिक्षण ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को केवल सैद्धांतिक जानकारी ही नहीं, बल्कि फील्ड डैमो, प्रैक्टिकल वर्कशौप और फालोअप विजिट भी कराए जाएंगे, ताकि सीखी गई तकनीक की खेतों तक पहुंच हो.
वरिष्ठ एवं प्रधान वैज्ञानिक अनीता कुमारी ने कहा कि गन्ना (Sugarcane) केवल नकदी फसल नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी है. यदि किसान मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक प्रबंधन, रोग नियंत्रण, एवं जैविक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें तो उत्पादन लागत घटा कर अधिक लाभ कमा सकते हैं.
भागलपुर क्षेत्र में युवा किसानों को गन्ना आधारित उद्यमिता (जैसे गुड़, सिरप, एथनौल, बायोगैस) की ओर प्रेरित करना जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र किसानों के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के लिए हमेशा तत्पर हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला में शामिल प्रशिक्षणार्थी किसान आगे चल कर मौडल किसान बनें और अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनें.
इस अवसर पर इंजीनियर पंकज कुमार, डा. ममता कुमारी, डा. एमजेड होदा तथा डा. पवन कुमार साहिर भी उपस्थित रहे.
इन विशेषज्ञों ने किसानों को गन्ना (Sugarcane) उत्पादन की आधुनिक तकनीकों, रोग एवं कीट प्रबंधन तथा प्रसंस्करण एवं विपणन के नवीन आयामों पर मार्गदर्शन दिया.
कार्यशाला में RAWE कार्यक्रम (Rural Agricultural Work Experience) के 60 छात्रछात्राएं भी सम्मिलित हुए. इन छात्रों ने किसानों से प्रत्यक्ष संवाद कर गन्ना खेती की व्यावहारिक चुनौतियों को समझा तथा भविष्य में ‘कृषि विस्तार व उद्यमिता’ में योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई.