अधिकारियों को मिलेगा एनएसएस स्टेट अवार्ड

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 24 सितंबर को एनएसएस राज्य स्तरीय पारितोषिक वितरण समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिस में बतौर मुख्य अतिथि उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, आईएएस, आनंद मोहन शरण रहेंगे, जबकि उच्चतर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक मीनाक्षी राज विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद होंगी. इस समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज करेंगे.

विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशक डा. अतुल ढींगड़ा ने बताया कि 24 सितंबर को होने वाले एनएसएस राज्य स्तरीय पारितोषिक वितरण समारोह में वर्ष 2020-21 व 2021-22 में एनएसएस की गतिविधियों में भाग ले कर बेहतरीन काम करने वाले कुल 28 एनएसएस कोआर्डिनेटर/एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों सहित एनएसएस स्वयंसेवकों को सम्मानित किया जाएगा.

उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2020-21 में 5 एनएसएस कोआर्डिनेटर/एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा, जिन में भिवानी के चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में एनएसएस कोआर्डिनेटर डा. सुरेश मलिक, फतेहाबाद के स्कूल में कार्यरत जिला एनएसएस कोआर्डिनेटर डा. रोहताश कुमार, हिसार के राजकीय महाविद्यालय में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार, कैथल के चंदाना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सुनील कुमार व दूबलधन के राजकीय महाविद्यालय के डा. कर्मबीर गुलिया शामिल हैं.

इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 4 एनएसएस कोआर्डिनेटर/एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों में सिरसा के चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में एनएसएस कोआर्डिनेटर डा. आरती गौड़, हिसार के राजकीय महिला महाविद्यालय में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डा. प्रवीण रानी, अंबाला छावनी के सनातन धर्म महाविद्यालय में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डा. जीनत मदान व टोहाना के राजकीय महाविद्यालय में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी नेहा गर्ग को सम्मानित किया जाएगा. इस के अलावा 19 एनएसएस स्वयंसेवकों को सम्मान दिया जाएगा.

राष्ट्रीय सेवा योजना अवार्डी डा. भगत सिंह दहिया ने बताया कि एनएसएस कोआर्डिनेटर के पद पर कार्यरत विजेताओं को 51,000 रुपए, प्रशस्तिपत्र व स्मृतिचिह्न प्रदान किए जाएंगे, जबकि विजेता एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों को 31,000 रुपए, प्रशस्तिपत्र व स्मृतिचिह्न भेंट की जाएगी. इस के अलावा विजेता एनएसएस स्वयंसेवकों को 21,000 रुपए, प्रशस्तिपत्र व स्मृतिचिह्न दे कर सम्मानित किया जाएगा.

हमें अपने काम में कौशल विकास का गुण अपनाने की जरूरत

हिसार : यह प्रशिक्षण विश्वविद्यालय सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में कार्यरत लेखाकार एवं तकनीकी कर्मचारियों को वित्तीय संबंधित तमाम कार्यों व उन के कुशल प्रबंधन के तौरतरीकों से अवगत कराने से आयोजित किया गया था.

मुख्य अतिथि प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि सक्षम एवं अच्छा प्रदर्शन करने वाले शिक्षक व कर्मचारी किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण संसाधन होता है. उन्हीं के कारण संस्थान प्रगति की ऊंचाइयों को छू पाता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि कर्मचारियों को अपने कार्य क्षेत्र में सफलता पाने के लिए अपने भीतर नईनई चीजों को सीखने की जिज्ञासा पैदा करनी चाहिए, क्योंकि जब तक हमारे अंदर जिज्ञासा नहीं होगी, तब तक हम कोई भी विषय व कार्य को न तो आसानी से समझ सकते हैं और न ही सही ढंग से कर सकते हैं.

Farmingमुख्य अतिथि बीआर कंबोज ने उपरोक्त प्रशिक्षण के प्रतिभागियों से भी आह्वान किया कि वे अपने कार्य में अभ्यास जरूर करें. साथ ही, अपने कौशल विकास पर खासा ध्यान दें.

उन्होंने कहा कि संस्थान के कायदे, कानूनों का ज्ञान सीधे तौर पर संस्थान के कार्यों व प्रबंधन को भी मजबूती प्रदान करेगा.

विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक नवीन जैन ने प्रशिक्षण की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों एवं तकनीकी कर्मचारियों के लिए लेखा परीक्षा के बारे में बताया.

उन्होंने यह भी कहा कि इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को डीडीओ पद की योग्यता व उस के कार्यों से संबंधित तमाम जानकारियां साझा की गई. उन्हें आयकर, एचसीएस सामान्य नियम, 2016 अध्याय-4, 8 व 9 को छोड क़र, खाता कोड खंड, कानूनी मुद्दों, आरटीआई, एनपीएस, सीसीएस एचएयू अधिनियम व कानूनों के बारे में गहनता से जानकारी दी गई है, जो प्रतिभागियों को बिजनेस व व्यवसाय करने में काफी मददगार होंगी. इस के अलावा प्रशिक्षण में पेंशन स्कीम, सीएसआर, पुरानी पेंशन, औडिट, सैलरी, जनरल रूल, लीगल इश्यू सहित अन्य विषयों के बारे में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी बताया गया.

उन्होंने कहा कि लेखाकार एवं तकनीकी कर्मचारियों को इस प्रशिक्षण में दी गई जानकारियों से लाभ मिलेगा, जबकि मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय की निदेशक डा. मंजु मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

कोर्स समन्यवक डा. जयंती टोकस ने मंच का संचालन किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष सहित शिक्षाविद व कर्मचारी उपस्थित रहे.

हैचरी स्थापित : स्वरोजगार का अवसर

भोपाल: मत्स्य विभाग के अंतर्गत नील क्रांति योजना में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए सर्कुलर हैचरी उच्च गुणवत्ता का मत्स्य बीज उत्पादन किया जाता है और रोजगार का लाभ भी ले सकते हैं.

योजना में सभी तबके के इच्छुक व्यक्ति, जो हैचरी निर्माण कर, मत्स्य बीज उत्पादन से स्वयं का रोजगार स्थापित करना चाहते हों, वे जिले के मत्स्य विभाग के अधिकारी और क्षेत्रीय अधिकारियों को आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं.

भोपाल के मत्स्य अधिकारी ने बताया कि योजना में इकाई लागत राशि 25 लाख रुपए की होती है, जिस में हितग्राही को 50 फीसदी का अनुदान दिया जाता है.

मत्स्य अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि मत्स्य बीज उत्पादन के लिए सर्कुलर हैचरी की स्थापना कर स्वयं का रोजगार प्राप्त करने के लिए हितग्राही के नाम से 2.00 हेक्टेयर से अधिक भूमि दस्तावेज के साथ आवश्यक अनुमति होनी चाहिए. चयनित हितग्राही के लिए योजना निर्माण कार्य के लिए उपर्युक्त स्थल का चयन, भूमि का नक्शा एवं खसरा संबंधित सभी दस्तावेज होना आवश्यक है.

हितग्राही स्वयं के व्यय से राष्ट्रीयकृत बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है. सहायक यंत्री, तकनीकी अधिकारियों द्वारा भूमि के निरीक्षण के उपरांत प्लान और एस्टीमेट बनाया जाएगा. हितग्राही को संबंधित विषय का प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक होगा. निर्माण कार्य तकनीकी अमले के निर्देशन में किया जाएगा.

हितग्राही को शासकीय दर से मत्स्यपालकों को मत्स्य बीज विक्रय करना होगा और हैचरी निर्माण के पश्चात हैचरी में सुधार, मरम्मत व प्रबंधन स्वयं करना होगा. हितग्राही की प्रशिक्षण अवधि 5 दिवस की होगी.

भारतीय कृषि में क्रांतिकारी बदलाव

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कृषि ऋण (केसीसी और एमआईएसएस) और फसल बीमा (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस) पर केंद्रित पहल का अनावरण किया. इस मौके पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 3 पहलें शुरू की हैं, किसान ऋण पोर्टल (केआरपी), मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (विंड्स) पर मैनुअल, केसीसी घरघर अभियान, एक महत्वाकांक्षी अभियान, जिस का लक्ष्य देशभर के प्रत्येक किसान तक किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का लाभ पहुंचाना है. इन पहलों का उद्देश्य कृषि में क्रांति लाना, वित्तीय समावेशन को बढ़ाना, डेटा उपयोग को अनुकूलित करना और देशभर में किसानों के जीवन में सुधार करना है.

इस अवसर पर अपने संबोधन में निर्मला सीतारमन ने घरघर केसीसी अभियान की सफलता के लिए बैंकों को पूरा सहयोग का आश्वासन दिया.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों को आसान अल्पकालिक ऋण सुनिश्चित करने और इस योजना से जुड़ने के लिए केसीसी योजना के तहत पर्याप्त धन आवंटित किया है.

Farmingवित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की पहल और सफल कार्यान्वयन के लिए कृषि मंत्रालय की सराहना की. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक किसानों को 29,000 करोड़ रुपए से अधिक की प्रीमियम राशि के मुकाबले 1,40,000 करोड़ रुपए से अधिक की बीमा राशि वितरित की जा चुकी है.

उन्होंने चावल और गेहूं की फसल के उत्पादन के वास्तविक समय के अनुमान की भी सराहना की और इस अनुमान को दलहन और तिलहन की फसलों तक बढ़ाने का आह्वान किया ताकि जरूरत पड़ने पर उन के आयात के लिए बेहतर योजना बनाई जा सके.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि फसलों के वास्तविक समय आकलन से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी और फसल सीजन के अंत में किसानों के लिए सही कीमतें सुनिश्चित होंगी.

उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के पूर्ण स्वचालन का भी आह्वान किया और वित्तीय सेवा विभाग को इन बैंकों के लिए ऋण मंजूरी और ऋण वितरण के बीच अंतर का अध्ययन करने का निर्देश दिया.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में वर्तमान सरकार द्वारा कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दिए गए महत्व पर प्रकाश डाला. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि कृषि मंत्रालय का बजट वर्ष 2013-14 में 23,000 करोड़ रुपए से बढ़ कर वर्ष 2023-24 में 1,25,000 करोड़ रुपए हो गया है.

विंड्स मैनुअल के बारे में बात करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस का उद्देश्य वास्तविक समय की मौसम की जानकारी सुनिश्चित करना है, ताकि किसान सही समय पर अपनी फसलों के लिए सावधानी बरत सकें.

साथ ही, उन्होंने आगे यह भी कहा कि कृषि के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और इस सरकार ने इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए हैं.

कृषि मंत्री ने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत लगभग 9 करोड़ लाभार्थी हैं और केसीसी घरघर अभियान का उद्देश्य लगभग 1.5 करोड़ लाभार्थियों को जोड़ना है, जो अभी तक केसीसी योजना से नहीं जुड़े हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कोरोना महामारी के दौरान भी किसानों को लगभग 2 करोड़ केसीसी प्रदान करने के लिए वित्त मंत्रालय और बैंकों को धन्यवाद दिया.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जोर दे कर कहा कि यह कृषि और ग्रामीण क्षेत्र ही था, जिस ने कोरोना महामारी के दौरान भी अर्थव्यवस्था को चालू रखा.

जीएस (क्रेडिट) और सीईओ-पीएमएफबीवाई, रितेश चौहान ने पहल पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी. उन्होंने बताया कि तकनीकी हस्तक्षेपों के कारण इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में रिकौर्ड नामांकन हुआ है.

इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे, कृषि सचिव मनोज आहूजा, डीएफएस सचिव विवेक जोशी, ओएसडी (क्रेडिट) अजीत कुमार साहू, सीईओ-पीएमएफबीवाई रितेश चौहान, नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी सहित संबद्ध विभागों व कृषि क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.।

यह लौंच इवेंट भारत सरकार के कृषि के लिए नवाचार और कुशल सेवा वितरण के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जिस का उद्देश्य किसानों की आय को बनाए रखना और दोगुना करना है. किसान ऋण पोर्टल (KRP), घरघर केसीसी अभियान और विंड्स मैनुअल जैसी पहल किसानों की समृद्धि, नवाचार, प्रौद्योगिकी के उपयोग और वस्तुनिष्ठ सेवा वितरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. ये प्रयास पूरे देश में किसान समुदाय के लिए कृषि परिवर्तन और सतत आर्थिक विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे.

Farmingजाने क्या है किसान ऋण पोर्टल (केआरपी)

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग (DFS), पशुपालन और डेरी विभाग (DAH&D), मत्स्य विभाग (DoF), रिजर्व बैंक (RBI) और नाबार्ड द्वारा सहयोगपूर्वक विकसित, KRP किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋण सेवाओं तक पहुंच में क्रांति लाने के लिए तैयार है. यह किसानों को संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस ) के माध्यम से रियायती कृषि ऋण प्राप्त करने में भी सहायता करेगा.

कृषि ऋण पोर्टल (KRP) एक एकीकृत केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो किसान डेटा, ऋण वितरण की विशिष्टताओं, ब्याज अनुदान के दावों और योजना उपयोग की प्रगति का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है. बैंकों के साथ सहज एकीकरण को बढ़ावा दे कर यह अग्रणी पोर्टल सक्रिय नीति हस्तक्षेप, रणनीतिक मार्गदर्शन और अधिक केंद्रित और कुशल कृषि ऋण और ब्याज अनुदान के इष्टतम उपयोग के लिए अनुकूलनीय संवर्द्धन को सक्षम बनाता है.

घरघर केसीसी अभियान

यह कार्यक्रम ‘घरघर केसीसी अभियान’ की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो 1 अक्तूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक आयोजित किया जाएगा. यह अभियान सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक किसान के पास बिना किसी बाधा के क्रेडिट सुविधाओं तक पहुंच हो, जो उन की कृषि गतिविधियों को चलाती है.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मौजूदा केसीसी खाताधारकों के डेटा को पीएम किसान डेटाबेस के साथ सावधानीपूर्वक सत्यापित किया है. उन खाताधारकों की पहचान की है, जो पीएम किसान डेटाबेस से मेल खाते हैं और जो पीएम किसान लाभार्थी होने के बावजूद केसीसी खाते नहीं रखते हैं. यह अभियान गैरकेसीसी खाताधारक पीएम किसान लाभार्थियों तक पहुंचने और पात्र पीएम किसान लाभार्थी किसानों के बीच केसीसी खातों की संतृप्ति को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

विंड्स मैनुअल का आरंभ

मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (विंड्स ) पहल तालुक/ब्लौक और ग्राम पंचायत स्तर पर स्वचालित मौसम स्टेशन और वर्षामापी का नेटवर्क स्थापित करने के लिए एक अग्रणी प्रयास है.

यह पहल मौसम डेटा का एक मजबूत डेटाबेस बनाता है, जो विभिन्न कृषि सेवाओं का समर्थन करता है.

नई दिल्ली से लौंच किया गया यह व्यापक विंड्स मैनुअल हितधारकों को पोर्टल की कार्यक्षमताओं, डेटा व्याख्या और प्रभावी उपयोग की गहन समझ प्रदान करता है. यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विंड्स प्लेटफार्म के साथ स्थापित करने और एकीकृत करने में मार्गदर्शन करता है, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ डेटा अवलोकन और संचरण को बढ़ावा देता है. साथ ही, यह बेहतर फसल प्रबंधन, संसाधन आवंटन और जोखिम शमन के लिए मौसम डेटा का लाभ उठाने के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है.

किसान मार्ट और दुग्ध संकलन केंद्र का आरंभ

विदिशा : विदिशा विकासखंड के ग्राम सलैया में नाबार्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित करीला किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड खेजड़ा सुल्तान के द्वारा ग्राम सलैया में बायफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन का किसान मार्ट और दुग्ध संकलन केंद्र का आरंभ बायफ बीआईएसएलडी संस्था के एडवाइजरी बोर्ड सदस्य शंकर लाल, रमेश सामा के द्वारा किया गया.

इस अवसर पर नाबार्ड की एजीएम जगप्रीत कौर, लीड बैंक प्रबंधक नरेश मेघानी, मुख्य प्रबंधक एसबीआई शाखा, भोपाल वीएस बघेल, शाखा प्रबंधक एसबीआई, खामखेड़ा, प्रवीण दिसोरिया, बीआईएसएलडी संस्था के एडवाइजरी बोर्ड सदस्य एवं रीजनल डायरैक्टर वैस्ट रीजन वाईबी दियासा, डा. जयंत खड़से, कार्यक्रम निदेशक महाराष्ट्र, वामन कुलकर्णी, सीटीपीई एनआरएम, जयंत मोरी, कार्यक्रम निदेशक, गुजरात, पवन पाटीदार, राज्य प्रमुख, मध्य प्रदेश, अभिषेक पांडेय, राज्य प्रमुख, गुजरात, कमलेश कुमार मौजूद थे.

बायफ किसान मार्ट के शुभारंभ के पश्चात महिला डेरी उद्यमियों के साथ परिचर्चा का आयोजन किया गया. उक्त परिचर्चा में डेरी व्यवसाय से जुड़ कर अधिक से अधिक लाभ कैसे लिया जा सकता है के बारे में बोर्ड सदस्यों द्वारा सुझाव दिए गए. सभी बोर्ड सदस्यों और बैंक अधिकारियों के द्वारा करीला किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड के कार्यालय खामखेड़ा में सभी बोर्ड सदस्यों के साथ चर्चा की गई और कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ तक करने के लिए अधिक से अधिक दूध संकलित कर दूध से बने उत्पादों की मार्केटिंग करने के सुझाव दिए गए.

‘नंदबाबा दुग्ध मिशन’ के तहत पशुपालकों को अनुदान

बस्ती : मुख्य विकास अधिकारी जयदेव सीएस की अध्यक्षता में जनपद में ‘नंदबाबा दुग्ध मिशन‘ के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु गठित डिस्ट्रिक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक कलक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुई. बैठक में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना, नंदबाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत स्वदेशी गायों में नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना’ के क्रियान्वयन एवं प्रचारप्रसार के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश देते हुए कहा कि विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के बारे में पशुपालकों को विस्तार से जानकारी देते हुए उन्हें इस योजना का लाभ लेने हेतु प्रेरित करें.

योजना के लाभ पर डाला प्रकाश

बैठक में उपदुग्धशाला विकास अधिकारी कन्हैया यादव द्वारा योजना के उद्देश्य, स्वरूप, प्रोत्साहन, आवेदन प्रक्रिया आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.

उन्होंने यह भी बताया कि योजना का उद्देश्य जनपद में उच्च गुणवत्ता एवं उत्पादकता वाली स्वदेशी नस्ल की गायों को पालने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के साथसाथ पशुपालकों को गायों की नस्ल सुधार, उन की बेहतर देखभाल, गुणवत्तायुक्त पोषण एवं स्वास्थ्य प्रतिरक्षा के लिए प्रेरित करना एवं जनपद में दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि कर के पशुपालकों की आय में वृद्धि करना है.

उन्होंने आगे बताया कि ‘मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत चयनोपरांत प्रगतिशील पशुपालक, जिन्होंने देशी नस्ल की साहीवाल, गिर, थानपारकर गायों का पालन किया है और प्रतिदिन 8 से 12 लिटर तक दूध दे रही हैं, ऐसे पशुपालकों को प्रोत्साहनस्वरूप 10,000 रुपए एवं 12 लिटर से अधिक दूध देने वाली उक्त नस्लों की गायों के पशुपालकों को 15,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा.

इसी प्रकार प्रगतिशील पशुपालक, जिन्होंने हरियाणा एवं गंगातीरी नस्लों की गायों का पालन किया है और प्रतिदिन 7 से 10 लिटर (गंगातीरी की दशा में 7 से 8 लिटर) दूध दे रही हैं, ऐसे पशुपालकों को 10,000 रुपए एवं 10 लिटर से अधिक (गंगातीरी गायों की दशा में 8 लिटर से अधिक) दूध देने वाली गायों के पशुपालकों को 15,000 रुपए प्रोत्साहनस्वरूप दिया जाएगा.

उन्होंने आगे बताया कि उक्त योजना का लाभ लेने के इच्छुक पशुपालक मुख्य विकास अधिकारी, जिला पशु चिकित्साधिकारी, उपदुग्धशाला विकास अधिकारी कार्यालय एवं समस्त खंड पशु चिकित्सा केंद्र से आवेदनपत्र प्राप्त कर जमा कर सकते हैं.

बैठक में नंदबाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत प्रारंभिक दुग्ध सहकारी समितियों के गठन के बारे में अवगत कराया गया कि जनपद के 6 विकास खंडों में समितियों का गठन किया जाना है. इस बारे में सीडीओ ने विकास खंडों का चयन करते हुए निर्धारित समयसीमा में नियमानुसार समिति का गठन कर अवगत कराने का निर्देश दिया.

बैठक में मुख्य कोषाधिकारी अशोक कुमार प्रजापति, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अनिल कुशवाह, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी मो. सादुल्लाह, सामान्य प्रबंधक इंद्रभूषण सिंह, वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक बीके गुप्ता, राजकीय दुग्ध पर्यवेक्षक प्रमोद कुुमार श्रीवास्तव, जावेद अहमद, राकेश कुमार यादव सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे.

प्राकृतिक खेती पर 15 दिवसीय प्रशिक्षिण

उदयपुर : 18 सितंबर, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय में संस्थागत विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ‘‘प्राकृतिक खेती- वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की संभावनाओं’’ पर 15 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण का समापन हुआ.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफैसर एसआर मालू, सदस्य, प्रबंधक मंडल एवं पूर्व अनुसंधान निदेशक, एमपीयूएटी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राकृतिक कृषि की महत्त्वता को देखते हुए, प्राकृतिक खेती पर स्नातक छात्रों के लिए विशेष पाठ्यक्रम के लिए 30 ब्रांड एंबेसडर के लिए तैयार हो चुके हैं.

इस प्रशिक्षण में सभी विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं विषय विशेषज्ञों के लिए 15 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ.

Prakritik Khetiउन्होंने बताया कि किसान के पास उपयोग नहीं की जाने वाली भूमि पर प्राकृतिक खेती कर के इस को बढ़ावा दे सकते हैं, जिस से कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा सके. प्राकृतिक खेती से दूषित पर्यावरण पर नियंत्रण से ओजोन परत को संरक्षित किया जा सकता है.

विदित है कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का प्राकृतिक खेती में वृहद अनुसंधान कार्य एवं अनुभव होने के कारण यह विशेष दायित्व विश्वविद्यालय को दिया गया है.

डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान एवं कोर्स डायरेक्टर ने अतिथियों का स्वागत किया एवं प्रशिक्षण की रूपरेखा सदन के समक्ष प्रस्तुत की.

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में 2 राज्यों से 8 विश्वविद्यालय के 30 प्रतिभागी ने भाग लिया.

डा. अरविंद वर्मा ने बताया कि पूरे प्रशिक्षण में 33 सैद्धांतिक व्याख्यान, 8 प्रयोग प्रशिक्षण एवं 7 प्रशिक्षण भ्रमणों द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया.

उन्होंने प्राकृतिक खेती पर सुदृढ़ साहित्य विकसित करने की आवश्यकता बताई. साथ ही, इस ट्रेनिंग के रिकौर्ड वीडियो यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिस से कि वैज्ञानिक समुदाय एवं जनसामान्य में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़े एवं इस की जानकारी सुलभ हो सके.

उन्होंने कहा कि सभी को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना एवं प्रकृति और पारिस्थितिक कारकों को कृषि में समावेश कर के ही पूरे कृषि तंत्र को ‘‘शुद्ध कृषि’’ में रूपांतरित किया जा सकता है.

डा. अरविंद वर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती को सफल रूप में प्रचारित में प्रसारित करने हेतु सर्वप्रथम आवश्यकता है कि इस के गूढ ज्ञान को स्पष्ट रूप से अर्जित किया जा सके, अन्यथा पूरी जानकारी के अभाव में प्राकृतिक खेती को सफल रूप से लागू करना असंभव होगा.

Prakritik Khetiडा. अरविंद वर्मा ने बताया कि इस प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम के द्वारा स्नातक छात्र तैयार होंगे, जो किसानो तक इसे सही रूप में प्रचारित करेंगे.

डा. अनुपम भटनागर, आचार्य, सीटीआई ने बताया कि प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रतिभागी अपनेअपने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के प्रचार के लिए उपयोग में ले सकेंगे.

कार्यक्रम के समन्वयक डा. रवि कांत शर्मा ने विगत 15 दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
डा. अमित त्रिवेदी, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक, कृषि अनुसंधान केंद्र, उदयपुर ने समस्त अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम का संचालन अनुसंधान निदेशालय के डा. बीजी छीपा ने किया.

कृषि आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल की शुरुआत

नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने आधिकारिक तौर पर कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल (यूपीएजी पोर्टल- www.upag.gov.in) का शुभारंभ किया. यह भारत के कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली जटिल प्रशासनिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक अभूतपूर्व पहल है.

यह अभिनव प्लेटफार्म कृषि क्षेत्र में डेटा प्रबंधन को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल अधिक कुशल एवं उत्तरदायी कृषि आधारित नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

प्रो. रमेश चंद ने कार्यक्रम को संबोधित किया और इस तरह की पहल के लिए टीम की सराहना की. उन्होंने इसे कृषि डेटा प्रबंधन के क्षेत्र में एक निवेश और बड़ा ही “महत्वपूर्ण कदम” बताया.

प्रो. रमेश चंद ने इस तथ्य का उल्लेख भी किया कि इस तरह की पहल का किया जाना लंबे समय से लंबित था और इस में एक “छोटे पौधे” से “विशालकाय वृक्ष” बनने की असीम संभावनाएं निहित हैं.

उन्होंने लोगों से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में अपनी मानसिकता में बदलाव लाने का भी आग्रह करते हुए कहा यह पोर्टल वास्तविक समय, विश्वसनीय एवं मानकीकृत जानकारी के साथ हितधारकों को समर्थ बनाता है, जिस से अधिक प्रतिक्रियाशील और कुशल कृषि नीतियों का मार्ग प्रशस्त होता है.

उन्होंने यह भी कहा कि डेटा की निष्पक्षता जितनी अधिक होगी, नीति निर्माण में गलत फैसलों की गुंजाइश उतनी ही कम होगी, जो स्थिर, पारदर्शी व अधिसूचित निर्णयों में बदल जाएगी.

प्रो. रमेश चंद ने इस तथ्य का उल्लेख भी किया कि शोध से पता चलता है, डेटा में 1 डालर के निवेश से 32 डालर का प्रभाव उत्पन्न हुआ है. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि पोर्टल को डेटा विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी चाहिए.

Farming Portalकृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव मनोज आहूजा ने वर्तमान में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा की जा रही कई अन्य पहल जैसे कि कृषि निर्णय सहायता प्रणाली, किसान रजिस्ट्री और फसल सर्वे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल की परिकल्पना एक सार्वजनिक संपत्ति के रूप में की जा रही है, जिस के बाद उपयोगकर्ताओं को इस पोर्टल के इस्तेमाल से खोज लागत और परेशानी कम होगी, साथ ही उपयोगकर्ताओं को विश्वसनीय, विस्तृत एवं वस्तुनिष्ठ डेटा तक पहुंच सुनिश्चित होगी और उन्हें लाभ होगा.

वरिष्ठ आर्थिक और सांख्यिकीय सलाहकार अरुण कुमार ने लोगों को डेटा की सटीकता बढ़ाने और कृषि में डिजिटल डेटा प्रशासन में सुधार के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित की जा रही प्रमुख गतिविधियों से अवगत कराया.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की सलाहकार रुचिका गुप्ता ने कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल की मुख्य विशेषताओं के बारे में अपने विचार साझा किए.

उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि में डेटा संबंधी प्रशासनिक चुनौतियों जैसे मानकीकृत व सत्यापित डेटा की कमी होना, जिस से नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और हितधारकों हेतु अधिसूचित निर्णय लेना कठिन कार्य हो जाता है, ऐसी स्थिति में कृषि सांख्यिकी आंकड़ों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एकीकृत पोर्टल पर समाधान उपलब्ध कराने के लिए कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल को विकसित किया गया है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल डेटा एकीकरण एवं विश्लेषण हेतु अपने व्यापक दृष्टिकोण के साथ इस परिदृश्य को बदलने के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से तैयार है.

कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के एकीकृत पोर्टल से हल होंगी यह चुनौतियां

मानकीकृत डेटा का अभाव

वर्तमान में कृषि डेटा अनेक स्रोतों में बिखरा हुआ है और अकसर विभिन्न प्रारूपों एवं इकाइयों में प्रस्तुत किया जाता है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल का लक्ष्य इस डेटा को एक मानकीकृत प्रारूप में समेकित करना है, जिस से इसे उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से सुलभ और समझने योग्य बनाया जा सकता है.

सत्यापित डेटा की कमी

सटीक नीतिगत निर्णयों के लिए विश्वसनीय डेटा बहुत ही महत्वपूर्ण है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल यह सुनिश्चित करता है कि एगमार्कनेट जैसे स्रोतों से डेटा की समयसमय पर जांच और अद्यतन होता रहे, जिस से नीति निर्माताओं को कृषि कीमतों पर सटीक जानकारी मिलती रहती है.

बिखरा हुआ डेटा

किसी भी फसल के संबंध में व्यापक दृष्टिकोण बनाने के उद्देश्य से उत्पादन, व्यापार और कीमतों सहित कई बिंदुओं पर विचार करने की आवश्यकता होती है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल विभिन्न स्रोतों से डेटा एकसाथ ले कर आता है, जो कृषि से जुड़ी हुई वस्तुओं का समग्र मूल्यांकन प्रदान करता है.

भिन्नभिन्न प्रायिकता वाले चर

डेटा अलगअलग समय पर अद्यतित होता है, जिस से देरी होती है और कार्यक्षमता में दोष आता है. कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल डेटा स्रोतों के साथ वास्तविक समय वाली कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिस से निगरानी और विश्लेषण के लिए आवश्यक समय एवं प्रयास में कमी आ जाती है.

कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल में हैं ये विशेषताएं

डेटा मानकीकरण

यह पोर्टल कीमतों, उत्पादन, क्षेत्र, उपज व व्यापार पर डेटा का मानकीकरण करता है, जिस से यह एक ही स्थान पर पहुंच योग्य हो जाता है, इस के साथ ही कई स्रोतों से डेटा संकलित करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है.

डेटा विश्लेषण

कृषि सांख्यिकी आंकड़ों के लिए एकीकृत पोर्टल उन्नत तरीके से विश्लेषण करेगा, जिस से उत्पादन के रुझान, व्यापार सहसंबंध एवं उपभोग पैटर्न जैसे विषयों पर अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी और नीति निर्माताओं को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी.

विस्तृत पैमाने पर उत्पादन अनुमान

पोर्टल बढ़ी हुई आवृत्ति के साथ विस्तृत पैमाने पर उत्पादन अनुमान प्रदान करेगा, जिस से सरकार की कृषि संकटों पर तेजी से प्रतिक्रिया देने की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी.

उपयोगी वस्तुओं जैसे जिंस का प्रालेख विवरण

एल्गोरिदम का उपयोग कर के उपयोगी वस्तुओं जैसे जिंस का प्रालेख विवरण तैयार किया जाएगा, इस से व्यक्तिपरकता को कम करना और उपयोगकर्ताओं को व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करना संभव होगा.

प्लग एंड प्ले

उपयोगकर्ताओं को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए पोर्टल के डेटा का उपयोग करने की सुविधा प्राप्त होगी, जिस से डेटा संचालित निर्णय लेने को भी बढ़ावा मिलेगा.

कृषि सांख्यिकी के आंकड़ों से संबंधित एकीकृत पोर्टल कृषि कार्य से जुड़ा हुआ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिस का उद्देश्य कृषि क्षेत्र की विविधता का उपयोग करना और विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में डेटा का इस्तेमाल करना है.

यह कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि क्षेत्र में डेटा प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से की गई एक विशेष पहल है. इस का उद्देश्य कृषि संबंधी उत्पादों पर वास्तविक समय, मानकीकृत और सत्यापित डेटा उपलब्ध कराना और नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं एवं हितधारकों के लिए डेटा संचालित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करना है. यह पहल आज भारत के कृषि क्षेत्र में तीक्ष्णता, पारदर्शिता व दक्षता लाते हुए ई-गवर्नेंस के सिद्धांतों के अनुरूप ही है.

पालन क्षेत्र में महिलाओं को मिलता रहेगा प्रोत्साहन

इंदौर : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन के 3 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर एक अनूठा कार्यक्रम ‘मत्स्य संपदा जागृति अभियान’ शुरू किया. सरकार के मत्स्यपालन विभाग द्वारा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री डा. संजीव कुमार बालियान और डा. एल. मुरुगन भी उपस्थित थे. पूरे भारत में और ‘अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंच’ सुनिश्चित करने के लिए जागृति अभियान सितंबर, 2023 से फरवरी, 2024 तक यानी 6 महीने चलेगा. इस दौरान 108 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

मत्स्य संपदा जागृति अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार की 9 वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी और ज्ञान का प्रसार करना, लाभार्थियों की सफलता की कहानियों को उजागर करना और 2.8 करोड़ मछली किसानों एवं 3477 तटीय गांवों तक पहुंचना है.

प्रमुख परियोजनाओं का केंद्रीय मंत्री ने किया शुभारंभ

देशभर में आगे बढ़ रही विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं का केंद्रीय मंत्री ने शुभारंभ किया. पीएमएमएसवाई के तहत स्वीकृत 239 परियोजनाओं की यह सौगात 103.11 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ 15 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, झारखंड, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए थी. लाभार्थी विभिन्न कार्यों जैसे ट्राउट (एक प्रकार की मछली) कल्‍चर, मोती कल्चर, केज कल्चर, कोल्ड स्टोरेज, बायोफ्लौक्स और आरएएस आदि में लगे हुए हैं. लाभार्थियों ने परषोत्तम रूपाला और गणमान्य व्यक्तियों के साथ बातचीत की और प्रधानमंत्री, परषोत्तम रूपाला व मत्स्यपालन विभाग के प्रति अपना आभार व्यक्त किया, क्‍योंकि इन परियोजनाओं से आय, रोजगार, महिला सशक्तीकरण और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है.

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और कार्यक्रम की मेजबानी के लिए मध्‍य प्रदेश प्रशासन को बधाई दी. उन्होंने विशेष रूप से पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसी सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को प्राप्त लाभों के माध्यम से पीएमएमएसवाई के 3 वर्षों में मछली उत्पादन 1 लाख टन से बढ़ा कर 3 लाख टन तक ले जाने में मध्‍य प्रदेश की प्रगति की सराहना की.

उन्होंने आगे बताया कि भोपाल में एक्वा पार्क की स्थापना के प्रस्ताव को 25 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ मंजूरी दे दी गई है, जिस में अनुसंधान केंद्र, प्रसंस्करण सुविधा, जल पर्यटन सुविधाएं, सजावटी मत्स्यपालन आदि जैसी सुविधाएं शामिल होंगी.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तटीय जल कृषि कानून (सीएए) में संशोधन कर दिया गया है और उन्होंने प्रोत्साहित किया कि भारत को अपनी वैश्विक रैंकिंग लगातार बनाए रखने के लिए झींगापालन को आगे बढ़ाना जारी रखना चाहिए.

Farming Newsमहिलाओं को मोतीपालन में शामिल होने के लिए किया प्रोत्साहित

उन्होंने उपस्थित सभी महिलाओं का विशेष रूप से स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इस क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण जारी रहेगा और महिलाओं को आय बढ़ाने के लिए मोतीपालन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया. इस अवसर पर लाभार्थियों के बीच केसीसी का वितरण भी किया गया.

‘बंजर भूमि को धन भूमि’ में बदलने से झींगापालन को और बढ़ावा मिलेगा

डा. संजीव बालियान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मत्स्यपालन क्षेत्र अत्यंत ही महत्वपूर्ण है और यह इस बात से स्पष्ट है कि वर्ष 2014 के बाद इस क्षेत्र का बजट 300 करोड़ रुपए से बढ़ कर 38 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है.

उन्होंने एनईआर में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में ‘बंजर भूमि को धन भूमि’ में बदलने से झींगापालन को और बढ़ावा मिलेगा.

डा. एल. मुरुगन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और सरकारी पहलों व योजनाओं, विशेषकर पीएमएमएसवाई के माध्यम से भारतीय मत्स्यपालन क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. मछुआरों और मछलीपालकों के लिए उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लाभों पर जोर दिया.

परषोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 9 वर्ष की उपलब्धियों की पुस्तिका जारी की, जो मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और मत्स्यपालन विभाग (भारत सरकार) की उत्पत्ति के बाद से भारतीय मत्स्यपालन क्षेत्र की प्रगति की यात्रा को दर्शाती है. यह बीआर, एफआईडीएफ, पीएमएमएसवाई के तहत प्रमुख उपलब्धियों और सागर परिक्रमा जैसी पहलों पर भी प्रकाश डालती है.

स्टालों में लगी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मत्स्यपालन स्टार्टअप, कालेजों, विश्वविद्यालयों, एफएफपीओ, मत्स्य सहकारी समितियों और मत्स्य संस्थानों के स्टालों में लगी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया. स्टालों में फिशरी सर्वे औफ इंडिया, नेशनल इंस्‍टीट्यूट औफ फिशरीज पोस्‍ट हार्वेस्‍ट टैक्नोलौजी एंड ट्रेनिंग (एनआईएफपीएचएटीटी), सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट औफ फिशरीज नौटिकल एंड इंजीनियरिंग ट्रेनिंग (सीआईएफएनईटी) और बंगाल की खाड़ी से लगे सभी 8 आईसीएआर मत्‍स्‍यपालन संस्‍थानों के कार्यक्रम, अंतरसरकारी संगठन (बीओबीपी-आईजीओ) के कार्यों के साथसाथ विभिन्न उद्यमियों द्वारा बेचे जा रहे जाल, चारा, मूल्यवर्धित उत्पाद आदि उत्पादों को प्रदर्शित किया गया.

Farming Newsइस अवसर पर मध्य प्रदेश के मत्स्यपालन और जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट, मध्य प्रदेश के मत्स्य कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम बाथम, अरुणाचल प्रदेश के कृषि, बागबानी, पशुपालन और पशु चिकित्सा डेरी विकास मत्स्यपालन मंत्री तागे ताकी, इंदौर से सांसद शंकर लालवानी, मत्स्यपालन विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी, मत्स्यपालन विभाग में संयुक्त सचिव सागर मेहरा, डीडीजी, आईसीएआर, डा. जेके जेना और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. एलएन मूर्ति और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

अपने संबोधन में तुलसी राम सिलावट ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और मध्य प्रदेश मत्स्यपालन विभाग को पीएमएमएसवाई की तीसरी वर्षगांठ के महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी करने का अवसर देने के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने देश के और मध्य प्रदेश के मछुआरा समुदाय के योगदान की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि मछुआरा समुदाय का विकास जरूरी है और नेतृत्व उन की प्रगति के लिए समर्पित है.

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मध्य प्रदेश ने पीएमएमएसवाई कार्यान्वयन के इन 3 वर्षों के दौरान प्रगति की है और मछुआरों और मछली किसानों को केसीसी सुविधा से संतृप्त किया है.

डा. अभिलक्ष लिखी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, मछुआरों, प्रतिभागियों का स्वागत किया, जो स्‍वयं और वर्चुअली शामिल हुए. उन्होंने मछली उत्पादन, निर्यात और झींगा उत्पादन क्षेत्र की उपलब्धियों और देशभर के सभी क्षेत्रों में योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला.

उन्होंने यह भी बताया कि मत्स्यपालन विभाग पीएमएमएसवाई के अंतर्गत आजीविका के वैकल्पिक स्रोतों के रूप में समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मत्स्यपालन, मोती की खेती, गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने, प्रजातियों के विविधीकरण, युवाओं की भागीदारी, स्टार्टअप, एफएफपीओ जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से जमीनी जानकारी हासिल करने के लिए पहुंच और विस्तार सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि राज्य और केंद्र मत्स्य संपदा जागृति अभियान को सफल बनाने में सहयोग करना जारी रखेंगे.

एकीकृत एक्वा पार्क

तागे ताकी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री और यूनियन बैंक का आभार व्यक्त किया कि महिला सशक्तीकरण और युवाओं की भागीदारी के लिए पीएमएमएसवाई योजना का लाभ सीमावर्ती गांवों तक पहुंच रहा है. एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना का काम चल रहा है और मार्च, 2024 तक इस के चालू होने की उम्मीद है.

सागर मेहरा ने सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया. उन्होंने सभी प्रयासों में उन के मार्गदर्शन और समर्थन के लिए केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला और राज्य मंत्री को धन्यवाद दिया. साथ ही, उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न पहलों और योजनाओं अर्थात नीली क्रांति योजना, मत्स्यपालन अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के परिणामस्वरूप मत्स्यपालन क्षेत्र की उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डाला, जिस से उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है और प्रौद्योगिकी में जान डाल दी गई है व बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण हुआ है.

इस कार्यक्रम में कुल 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने भाग लिया, जिस में 239 परियोजना लाभार्थियों, मत्स्यपालन सहकारी समितियों, सागर मित्रों, आईसीएआर संस्थानों, राज्य मत्स्यपालन संस्थानों और विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों, डीओएफ (भारत सरकार), एनएफडीबी के अधिकारियों आदि की भागीदारी रही. तकरीबन 75,000 प्रतिभागी उपस्थित थे, जिन में 1,000 प्रतिभागी कार्यक्रम के दौरान स्‍वयं उपस्थित थे. डिजिटल और आउटडोर मीडिया अभियानों के माध्यम से 3 लाख लोगों तक पहुंच भी हासिल की गई.

लाभार्थियों ने सफलता की कहानियों को बताया

लाभार्थियों ने अपनी सफलता की कहानियों के बारे में बात की, मिजोरम के एफ. लालडिंगलियाना, जब प्रति वर्ष केवल 30,000 रुपए कमाते थे, उन्‍होंने जलीय कृषि की ओर रुख किया और अब 19 तालाबों के साथ अपनी 2 हेक्टेयर भूमि पर मछलीपालन करते हैं, गोवा में जैश फार्म्स ने आरएएस में कदम रखा और उच्च गुणवत्ता वाली मछली और बीज के लगातार उत्पादन, रोजगार सृजन, स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में योगदान, क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के साथ बायोफ्लौक मछलीपालन से उन्‍हें 50 लाख रुपए की शुद्ध आय हुई. तमिलनाडु की आर. मुरुगेश्वरी समुद्री शैवाल की खेती करती हैं और पीएमएमएसवाई के अंतर्गत उन्‍हें मिलने वाली सब्सिडी ने उन्हें राफ्ट के रखरखाव, सावधानीपूर्वक जाल की सफाई और स्वच्छ समुद्री शैवाल प्रसंस्करण के लिए सौर ऊर्जा से सुखाने की तकनीक शुरू करने के लिए पैसे देने में मदद की, जिस से उन की वार्षिक आमदनी प्रभावशाली रूप से बढ़ कर प्रति वर्ष 108,000 रुपए हो गई और पारिवार की आय में 40 फीसदी की वृद्धि हुई.

राजस्थान के उद्यमी विनोद कुमार ने मोती की खेती में कदम रखा, आवश्यक ज्ञान प्राप्त किया, मत्स्यपालन विभाग, राजस्थान से मार्गदर्शन लिया और मोती की खेती के लिए तालाबों का निर्माण किया, जिस से उन का वार्षिक कारोबार 39 लाख रुपए तक पहुंच गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कार्यप्रणाली में कुशलतापूर्वक किए गए बहुआयामी सुधारों से भारत का मत्स्यपालन क्षेत्र प्रगति के पथ पर है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय की प्रमुख योजना है और इसे प्रधानमंत्री ने 10 सितंबर, 2020 को शुरू किया था. इस का उद्देश्य विभिन्न योजनाओं और पहलों के समेकित प्रयासों के माध्यम से ‘सनराइज’ मत्स्यपालन क्षेत्र को गति देना है.

नवीनतम प्रजातियों वाली फलसब्जी नर्सरी की उपलब्धता सुनिश्चित हो

बस्ती : मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बंजरिया, बस्ती का भ्रमण किया. भ्रमण के दौरान मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र पर स्थापित विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों, नेट हाउस एवं पौलीहाउस के अंदर उगाई जा रही सब्जियों (टमाटर, बैगन, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, लौकी, तोरई, करेला) की नवीनतम प्रजातियों की नर्सरी एवं रंगीन आम की नवीनतम प्रजातियों जैसे पूसा श्रेष्ठ, पूसा पीतांबर, पूसा लालिमा, पूसा अरुणिका, पूसा अंबिका, टामी एट किंस, संसेशन, गुलाबखस आदि प्रजातियों की पौध नर्सरी का अवलोकन किया.

उन्होंने केंद्र पर लगे आम, अमरूद, लीची, सेब, अनार, कीवी, अंजीर, आडूबुखारा, मौसमी, आंवला आदि के मातृ वृक्षों का अवलोकन कर उस के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त की.

केंद्राध्यक्ष, प्रो. एसएन सिंह ने मंडलायुक्त को बताया कि केवीके, बस्ती को पं. दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

Nurseryउन्होंने बताया कि केंद्र पर आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली से शीघ्र ही रिलीज हुई आम की नई प्रजाति पूसा दीपशिखा एवं पूसा मनोहरी और किन्नू संतरा, मौसमी, कटहल व खजूर के टिशू कल्चर पौध का रोपण कर केंद्र पर मातृ वृक्ष तैयार किया जा रहा है और केंद्र के प्रक्षेत्र पर काला नमक धान की उन्नतशील प्रजातियां पूसा नरेंद्र काला नमक-1 एवं पूसा सीआरडी काला नमक- 2 का बीजोत्पादन किया जा रहा है. इस का क्षेत्रफल आगामी वर्ष में और बढाया जाएगा, जिस से पूर्वांचल के 11 जनपदों के किसानों को काला नमक धान की उन्नतशील प्रजातियों का बीज उपलब्ध हो सके.

मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने केंद्र के वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वे नई तकनीकों का जनपद की एग्रो क्लाईमेट में परीक्षण कर जनपद में संस्तुति देने का कार्य करें और जनपद के किसानों को वर्षभर नवीनतम प्रजातियों की सब्जी नर्सरी की उपलब्धता सुनिश्चित करें.

उन्होंने यह भी कहा कि इस केंद्र को सिर्फ जनपद के लिए मौडल न बन कर देश व प्रदेश के लिए मौडल केंद्र बन कर तकनीकी विस्तार के लिए काम करना चाहिए.

उन्होंने केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ मीटिंग कर सभी वैज्ञानिकों से विषयवार किए जा रहे कार्यों की जानकारी हासिल की. उन्होंने निर्देशित किया कि सभी वैज्ञानिक जनपद के बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोडने के लिए उन्नत तकनीक की व्यवहारिक जानकारी प्रदान करें. कृषि का जीडीपी में 16.38 फीसदी योगदान है और खेती पर निर्भरता लगभग 65 फीसदी है. आप सभी का दायित्व बनता है कि उत्पादकता के साथ ही साथ पोषक तत्वों से भरपूर फसलों की प्रजातियों एवं फलों के उत्पादन हेतु प्रोत्साहित करें और त्वरित गति से नई तकनीक का जनपद में फैलाव करें.

Nurseryमंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने गुड़ प्रसंसकरण इकाई का निरीक्षण किया और वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि आप लोग जनपद के किसानों को प्रेरित करें कि वे ज्यादा से ज्यादा अपना गन्ना ला कर विभिन्न प्रकार की रेसिपी का गुड़ उत्पादन का कार्य करें, जिस से जहां रोजगार का सृजन होगा, वहीं किसानों एवं बच्चों के मालन्यूट्रीशन की कमी की भी पूर्ति हो सकेगी.

केंद्र पर फलों की इतनी प्रजातियों का कलेक्शन बहुत अच्छा है, जिस का लाभ जनपद, प्रदेश एवं देश के किसानों को मिल रहा है. यह एक सराहनीय कार्य है.

मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने कहा कि जिला स्तर से केवीके को सहयोग प्रदान किया जाएगा, जिस में अन्य प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन इकाई जैसे मशरूम उत्पादन एवं किसान महिलाओं के लिए कम्यूनिटी सेंटर की स्थापना हेतु प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया. भ्रमण के दौरान डा. डीके श्रीवास्तव, डा. वीबी सिंह, डा. प्रेम शंकर, निखिल सिंह आदि उपस्थित रहे.