मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से घरों पर पशु चिकित्सा सेवा

नई दिल्ली : पशुपालन और डेयरी विभाग ने आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में कौमन सर्विस सेंटर (सीएससी) नेटवर्क के माध्यम से पशुजन्य रोग पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. सीएससी नेटवर्क के माध्यम से जुड़े देशभर के डेढ़ लाख से अधिक किसानों ने जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया.

पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने इस अवसर पर किसानों को संबोधित किया और पशुजन्य बीमारी से जुड़े जोखिमों और पशुधन क्षेत्र और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इस के प्रभाव पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि विभाग राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) लागू कर रहा है, जो दो प्रमुख प्रचलित पशुजन्य रोग के नियंत्रण के लिए सितंबर, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख योजना है. एफएमडी के लिए 100 फीसदी भैंस, भेड़, बकरी और सूअर और 4-8 महीने की 100 फीसदी गोजातीय बछड़ी को खुरपकामुंहपका रोग और ब्रुसेलोसिस का टीका लगा रहा है.

Animal Healthcare
Animal Healthcare

विभाग एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी पशुजन्य बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण और ‘आकस्मिक और विदेशी बीमारियों के नियंत्रण’ के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता भी कर रहा है. सामाजिक व आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए विभाग रोग के निदान, उपचार, छोटी सर्जरी और बीमार जानवरों की देखभाल और प्रबंधन आदि में जागरूकता के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयूएस) के माध्यम से किसानों के दरवाजे पर पशु चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहा है.

पशुपालन और डेयरी सचिव ने दोहराया कि पशुपालन और डेयरी विभाग किसानों के घरों पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने और पशु रोगों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए बेहतर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता/पहुंच बढ़ाने की खातिर सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में जूनोसिस (पशुजन्य) रोगों से जुड़े जोखिम को नियंत्रित करने में ‘वन हेल्थ’ अवधारणा के महत्व पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने पशुजन्य बीमारी, टीकाकरण कार्यक्रम और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बीमारियों और अन्य आकस्मिक और विदेशी बीमारियों के उन्मूलन और नियंत्रण के लिए विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी.

विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से उपस्थित लोगों को ‘जूनोसिस के जोखिम और रोकथाम’ और ‘रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण’ के बारे में पूरी जानकारी दी गई.

खस की खेती : कम लागत में बनाए मालामाल

आजकल सौंदर्य प्रसाधनों से ले कर चिकित्सा व खानपान की वस्तुओं में सुगंधित पदार्थों का प्रयोग बढ़ने लगा है. परफ्यूम, अगरबत्ती, मिठाइयां, गुटखा, सेविंग क्रीम, मसाज क्रीम व ऐरोमा चिकित्सा में सुगंधित बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ खस, पामारोजा, लेमनग्रास, सेट्रेनिला, मेंथा, गुलाब, केवड़ा इत्यादि से निकलने वाला तेल होता है, जिस की मांग को देखते हुए इस की खेती के क्षेत्रफल में हाल के सालों में बडी तेजी से इजाफा हुआ. इन सुगंधित फसलों की खेती कम लागत, कम श्रम व पशुओं से सुरक्षा की दृष्टि से महफूज मानी जाती है. साथ ही, इस का मार्केट में वाजिब मूल्य भी आसानी से मिल जाता है. इस वजह से सुगंधित फसलों की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. इन्हीं सुगंधित फसलों में खस का तेल एक ऐसा कृषि उत्पाद है, जिस का बाजार मूल्य किसानों को अधिक लाभ देने के साथ ही लागत में कमी वाला भी है. इसलिए हमारे किसान खस की खेती को अपना कर अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं.

खस की खेती में किसानों को जोखिम भी कम है.

खस की खेती के लिए किसी भी तरह की मिट्टी अनुकूल होती है. यहां तक कि इस को बंजर मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इस की खेती के लिए सब से पहले उन्नत किस्म की अधिक तेल देने वाली किस्म की नर्सरी की आवश्यकता पड़ती है. इस के पहले से ही एक वर्ष पुरानी पौधों को तैयार कर के रखना चाहिए.

नर्सरी तैयार करने के लिए सीमैप द्वारा विकसित खस यानी वेटिवर की उन्नत किस्मों जैसे केएस-1, केएस -2, धारिणी, केशरी, गुलाबी, सिम-वृद्धि, सीमैप खस-15, सीमैप खस-22, सीमैप खुसनालिका और सीमैप समृद्धि प्रजाति का चयन किया जाना ज्यादा अच्छा होता है. इन प्रजातियों को सीमैप लखनऊ से खरीदा जा सकता है.

एक एकड़ खेत के लिए खस के तकरीबन 20,000 पौधों की आवश्यकता पडती है, जिन को नर्सरी के लिए रोपित कर अगले वर्ष अधिक क्षेत्रफल में खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.

खस को रोपित करने के पहले खेत की तैयारी पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. इस के लिये सर्वप्रथम किसी भी प्रकार की मिट्टी, जिस में पौध रोपण करना हो, रोटावेटर या हैरो से एक जुताई कर के पाटा लगा दें. इस के बाद कल्टीवेटर से 2 जुताई कर के पाटा लगा कर मिट्टी में प्रति एकड 500 किलोग्राम जिप्सम मिलाना जरूरी है. इस के अलावा पौधों को रोपित करने के पहले फसल को दीमक से बचाने के लिए रिजेंट क्लोरोपायरीफास को 60 किलोग्राम डीएपी के साथ प्रति एकड़ खाद में मिला कर मिट्टी में मिला दे. इस से खस की जड़ों को दीमक से नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं होता है.

खेत की तैयारी के बाद खस के पौधो को नर्सरी से एकएक पौधा अलग कर पौधे से पौधे की दूरी 1 फुट व लाइन से लाइन की दूरी डेढ़ फुट पर रखते हुए रोपित कर दें.

खस के पौधों को खेत में रोपित करने का सब से अच्छा समय फरवरी के प्रथम सप्ताह से मार्च के अंतिम सप्ताह का होता है.

खस के पौधों को खेत में रोपित करने के 2 दिन के भीतर खेत की हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. फसल रोपण के 15 दिन बाद पुनः खेत की सिंचाई कर दें. गरमियों में हर 15 दिन पर खस के फसल की सिंचाई करते रहना जरूरी है. वर्षा ऋतु में खस की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. सितंबर माह से पुनः एक माह के अंतराल पर सिंचाई करें. इस दौरान रोपाई के समय 6 किलोग्राम डीएपी, 24 किलोग्राम पोटाश व 30 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में बो दिया जाता है. इस के बाद पुनः 4 माह बाद इसी अनुपात में खाद की बोआई करना जरूरी होता है. खस की खेती में किसी तरह की बीमारी व कीट नहीं लगता है और न ही इसे पशुओं से नुकसान पहुंचने का डर होता है.

फसल की कटाई एवं खुदाई

खस की फसल हर तरह की जमीनों में बड़ी आसानी से उगाई जाती है. यहां तक कि यह जलभराव वाले स्थानों में भी अच्छी उपज देती है. खस की जडों से सब से अधिक तेल लेने का समय जनवरीफरवरी माह का होता है, क्योंकि ठंडियों में खस की जड़ों में तेल अधिक पड़ता है.

खस की खुदाई के पहले जड़ से एक फुट ऊंचाई पर छोड़ कर उसबीके ऊपर के हिस्सों की कटाई कर दें. खस की फसल के ऊपरी हिस्सों के कटाई के बाद तुरंत ही इस की जड़ों की खुदाई करना जरूरी है, क्योंकि कटाई के बाद तुरंत खुदाई न करने से जड़ों में तेल का फीसदी घट जाता है.

जड़ों की खुदाई में अत्यधिक मेहनत की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे जेसीबी से खुदाई करना ज्यादा अच्छा होता है. आमतौर पर एक घंटे में एक एकड़ खेत से खस की खुदाई बड़ी आसानी से हो जाती है.

खुदाई के दौरान खस की जड़ों से खेत से निकालने के लिए 20 मजदूरों की जरूरत पड़ती है, जो जड़ों को साफ कर ट्राली में लादने का काम करते हैं.

प्रोसैसिंग

खस की जड़ों से तेल निकालने के लिए सब से पहले खेत से जड़ों को लाने के बाद पहले से तैयार किए 3 फुट गहरे, 15 फुट लंबे व 8 फुट चौड़े गड्ढे में पानी भर कर उस में डाल कर 24 घंटे के लिए भीगने के लिए छोड देते हैं. इस से खस की जड़ों में स्थित तेल फूल जाता है और यह आसवन टंकी में कम समय में निकलता है. पानी में जड़ों को डालने से उस में लगी मिट्टी भी अलग हो जाती है.

 

FARMING

प्रोसैसिंग प्लांट

खस की जड़ों से तेल निकालने के लिए प्रोसैसिंग प्लांट की आवश्यकता होती है, जिस की लागत अमूमन 1.5 लाख रुपए आती है. प्रोसैसिंग प्लांट तैयार करने के लिए सब से पहले आसवन टंकी की आवश्यकता पड़ती है, जो सीमैप लखनऊ या स्थानीय कृषि यंत्र तैयार करने वालों व बेचने वालों के यहां से खरीदा जा सकती है. इस आसवन टंकी को टंकी की पेदी के अनुसार वर्गाकार या आयताकार भट्टी तैयार कर के रखा जाता है. इस के बाद एक पानी का गड्ढा तैयार कर के टंकी से पाइप निकाल कर गड्ढे में क्वायल लगा कर जोड़ा जाता है, जो तेल को ठंडा करने का काम करती है. इस के अलावा क्वायल से एक सेपोटर लगा कर गड्ढे से बाहर निकाला जाता है, जहां खस का तेल व पानी अलगअलग हो कर विशेष डिजाइन के डब्बे में इकट्ठा होता है.

इस प्रोसैसिंग यूनिट में पानी में भिगोई गई जड़ों को बाहर निकाल कर आसवन टंकी में डालते हैं. इस टंकी से एक बार में 5 क्विंटल (1बीघा) जड़ों से तेल निकाला जा सकता है. इन जड़ों को टंकी में डालने के बाद टंकी के ऊपर के ढक्कन को कस कर बंद कर दिया जाता है. इस के बाद टंकी की भट्ठी को नीचे से गरम करते हैं. लगभग 30 घंटों के बाद इस 5 क्विंटल जड़ों से तेल निकल कर सेपरेटर में इकट्ठा हो जाता है, जो लगभग 4 से 5 लिटर होता है.

इस प्रकार एक एकड़ की फसल को जड़ों से एक आसवन टंकी से तेल निकालने पर लगभग 90 घंटों का समय लगता है और एक एकड़ की फसल से 12 से 15 लिटर तेल प्राप्त होता है.

मार्केटिंग

खस के तेलों की सुगंध लंबे समय तक बनी रहने व अपने औषधीय गुण की वजह से बाजार में मांग अत्यधिक बनी हुई है. खस का तेल चामारोजा, लेमनग्रास, सेट्रेनेला, गेंधा की अपेक्षा काफी महंगा बिकता है. इस का वर्तमान बाजार रेट 12,000 रुपए से 15,000 रुपए प्रति लिटर है, जबकि इस की मांग इतनी अधिक है कि कन्नौज इत्र कारोबारियों के अलावा लखनऊ व दिल्ली के खारी बावली मार्केट के कारोबारी खुद किसानों से संपर्क कर तेल की खरीदारी करते हैं. इसलिए इस की मांग को देखते हुए किसानों को इस की खेती की तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए.

लाभ

खस की खेती में लाभ की अपेक्षा लागत और श्रम बहुत कम है. एक एकड़ खेत के लिए इस की खेती से ले कर प्रोसैसिंग तक मात्र 45,000 रुपए की लागत आती है, जिस में सिंचाई में 10,000 रुपया, खाद में 1,000 रुपया, जबकि तेल को बेच कर एक लाख, 80 हजार रूपया प्राप्त होता है. अगर लागत को निकाल दिया जाए, तो एक लाख, 35 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी होती है.

खस की खेती लागत और श्रम की दृष्टि से तो फायदेमंद है ही, इसे किसी प्रकार बाढ़, कीट, बीमारी या पशुओं से नुकसान पहुंचने का डर भी नहीं होता है. इसलिए खस की खेती को अपना कर हमारे किसान अपने जीवन को भी सुगंधित बना सकते हैं.

मथुरा में आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना

लखनऊ : इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत 3,000 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल, 60,000 लिटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी और लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग ) की स्थापना की जाएगी.

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिपरिषद ने मथुरा जिला में वर्ष 2009 से बंद छाता की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना का निर्णय लिया है. आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत 3 हजार टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल स्थापित की जाएंगी, जिसे 4,900 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता तक विस्तारित किया जा सकेगा.

छाता में इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स स्थापित करते हुए रिफाइंड शुगर उत्पादन के साथ केन जूस/सी हैवी/ बी- हैवी से 60,000 लिटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी और लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग ) की स्थापना भी की जाएगी. चीनी मिल बाईप्रोडक्ट्स शीरा, बैगास और प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्रोत सृजन से मिल लाभ अर्जित करेगी और गन्ना मूल्य भुगतान में आसानी होगी.

इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना एवं छाता चीनी मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि (20 किलोमीटर) में आने वाले क्षेत्र के लगभग 50,000 गन्ना किसान लाभान्वित होंगे. इस से किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए गन्ना किसानों के परिवार से जुड़े लगभग 2 लाख सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी.

छाता के इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स में चीनी मिल आसवनी एवं लाजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग) की स्थापना से क्षेत्रीय जनता को 1,500 प्रत्यक्ष और 6,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. इस से क्षेत्र के लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक भला होगा. साथ ही, मिल क्षेत्र में जलपानगृह, भोजनालय, जनरल स्टोर और ट्रैक्टरट्रक आदि की मरम्मत की वर्कशाप खुलने लगेंगी, जिस से क्षेत्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन हो सकेगा. गन्ना विकास के फलस्वरूप अंगोला एवं पत्ती इत्यादि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगी, जिस से ब्रज क्षेत्र में चारे की समस्या का एक सीमा तक निदान हो सकेगा.

चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 40-50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई होगी, जिस से मिल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान से जीवनस्तर में सुधार होगा.

छाता चीनी मिल दिल्लीमथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एनएच-2 पर मथुरा से 43 किलोमीटर और गुरुग्राम से 100 किलोमीटर पर स्थित है. परियोजना के अंतर्गत आधुनिक तकनीक का बौयलर, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रबंध किए जाने से पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

आसवानी की स्थापना होने से भारत सरकार की नीति के अनुसार एथनाल ब्लैंडिंग कार्यक्रम सुगम होगा. इस से क्रूड औयल न खरीदने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी. आसवनी के बौयलर की राख से पोटाश ग्रेन्यूल बनाए जाएंगें, जिस से भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ेगी.

छाता इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत चीनी मिल तथा आसवनी से उत्पादित होने वाले उत्पादों के विक्रय एवं लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग) के किराए से राज्य सरकार एवं भारत सरकार को लगभग 1,000 लाख रुपए प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त होगा.

कम पानी में अच्छा उत्पादन देने वाली बासमती की प्रजातियां लगाएं किसान

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 20 कृषि विज्ञान केंद्रों पर नवनियुक्त विषय विशेषज्ञों के लिए कृषि विपणन पर प्रेरण कार्यक्रम विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. केके सिंह की अध्यक्षता में हुआ.

कुलपति डा. केके सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि निर्यात के लिए गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के उत्पादन एवं इस के द्वारा आय में वृद्धि विषय पर प्रकाश डालते हुए किसानों को नई तकनीकी अपनाने की सलाह दी.

उन्होंने यह भी कहा कि धान उत्पादन के लिए ऐसी किस्मों का चुनाव करें, जिस में कम पानी लगता हो और विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती हो.

डा. केके सिंह ने आगे कहा कि प्रतिबंधित पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल बासमती खेती में नहीं करना चाहिए.

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि बासमती धान जब बनते थे, तो इस में खुशबू बहुत आती थी, लेकिन अब ऐसे चावल कम देखने को मिलते हैं. किसानों को चाहिए कि आज तकनीकी के युग में खेतीकिसानी काफी आगे पहुंच गई है.

उन्होंने कहा कि खेती करते समय कैमिकल खादों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इन का अधिक प्रयोग करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं, इसलिए कैमिकल खादों से और पेस्टिसाइड से बचना चाहिए.

प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि हर परिवार से कम से कम एक सदस्य ऐसा होना चाहिए, जो एग्रीकल्चर से जुड़ा हो तो निश्चित रूप से हमारा देश काफी आगे बढ़ सकता है.

उन्होंने किसानों से आवाह्न किया कि वे कृषि की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग खेती में करें, जिस से किसानों की आय बढ़ सकेगी.

पद्मश्री वैज्ञानिक डा. बीपी सिंह ने बासमती चावल के उत्पादन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक 100 में से 7 व्यक्ति चावल पर निर्भर रह कर जीविकोपार्जन कर रहा है. यही वजह है कि चावल धन देता है और चावल में चावल यदि कोई है तो वह बासमती है.

उन्होंने आगे बताया कि पूरे विश्व में खुशबू वाली लगभग 1,000 प्रजातियां हैं, लेकिन वे सभी प्रजातियां बासमती नहीं हैं. वर्ष 1970 में बासमती की 370 प्रजाति सब से पहले भारत में तैयार हुई और उस के बाद शोध कर के अनेक बासमती की प्रजातियां विकसित की गईं, जिस में से 1,121 दुनिया में सब से लंबा बासमती के नाम से पहचाना जाने वाला चावल है.

वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान ने उत्पादन तकनीक पर विस्तार से चर्चा की. डा. अनुपम दीक्षित ने बासमती चावल के मानकों की जानकारी दी.

डा. पीके सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों के वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया. किसान ज्ञान प्रतियोगिता में सहारनपुर, संभल, मुरादाबाद एवं मुजफ्फरनगर के प्रगतिशील किसानों ने सवालों के सही जवाब दे कर पुरस्कार जीता.

निदेशक प्रसार डा. पीके सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और धन्यवाद प्रस्ताव निदेशक शोध डा. अनिल सिरोही ने दिया.

कार्यक्रम में प्रो. रामजी सिंह, कुलसचिव, लक्ष्मी मिश्रा, वित्त नियंत्रक निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, प्रो. आरएस सेंगर, अधिष्ठाता कृषि, डा. विवेक धामा, डा. रविंद्र कुमार, डा. कमल खिलाड़ी, डा. विजेंद्र सिंह, डा. लोकेश गंगवार, सत्येंद्र खारी, डा. गोपाल सिंह आदि लोग मौजूद रहे.

भारत दुनिया में अंडा उत्पादन में तीसरे स्थान पर

नई दिल्ली : भारत के पास पशुधन और मुरगीपालन के विशाल संसाधन हैं, जो ग्रामीण जनता की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पशुधन आजीविका कमाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह आय में वृद्धि करता है, रोजगार के अवसर प्रदान करता है. पशुपालन के माध्यम से कृषि में विविधता ग्रामीण आय में वृद्धि के प्रमुख चालकों में से एक है.

केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालन और डेयरी विभाग ने प्रति पशु उत्पादकता में सुधार के लिए पिछले 9 वर्षों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं. उत्पादकता में वृद्धि से घरेलू बाजार और निर्यात बाजार के लिए अधिक दूध, मांस और पशुधन उत्पादों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी.

poultry

उन्होंने आगे कहा कि विभाग प्रमुख पशुधन रोगों के पूरी तरह नियंत्रण, उन्मूलन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम लागू कर रहा है. विभाग पशुधन क्षेत्र के माध्यम से विशेष रूप से किसानों की आय बढ़ाने में मदद करने के सामान्य उद्देश्य से अन्य मंत्रालयों और हितधारकों के साथ मिल कर तालमेल करने के प्रयास कर रहा है.

पशुपालन और डेयरी विभाग सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह किसानों के दरवाजे पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकतम सहायता प्रदान करेगा.

पशुधन का जारी किया आंकड़ा

केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने पशुधन क्षेत्र के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है. यह वर्ष 2014-15 से 2020-21 के दौरान (स्थिर कीमतों पर) 7.93 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है. कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र में पशुधन का योगदान सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) (स्थिर कीमतों पर) 24.38 फीसदी (2014-15) से बढ़ कर 30.87 फीसदी (2020-21) हो गया है. भारत में पशुधन क्षेत्र का योगदान 2020-21 में कुल जीवीए का 6.2 फीसदी है.

पशुधन जनसंख्या पर भी साझा किए आंकड़े

उन्होंने 20वीं पशुधन जनगणना के आंकड़े जारी कर बताया कि देश में लगभग 303.76 मिलियन गोजातीय (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियां, 9.06 मिलियन सूअर और लगभग 851.81 मिलियन मुरगियां हैं, वहीं डेयरी देश की सब से बड़ी कृषि वस्तु है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी योगदान देती है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देती है.

उन्होंने यह भी बताया कि भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में 23 फीसदी का योगदान देता है. पिछले 8 वर्षों में दूध उत्पादन में 51.05 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014-15 के दौरान 146.3 मिलियन टन से बढ़ कर 2021-22 के दौरान 221.06 मिलियन टन पर पहुंच गई. दूध उत्पादन पिछले 8 वर्षों में 6.1 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है, जबकि विश्व दूध उत्पादन प्रति वर्ष केवल 1.2 फीसदी की दर से बढ़ा है. वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 444 ग्राम प्रति दिन है, जबकि वर्ष 2021 के दौरान विश्व औसत 394 ग्राम प्रतिदिन है.

अंडा एवं मांस उत्पादन के उत्पादन पर दी जानकारी

उन्होंने कहा कि फूड एंड एग्रीकल्‍चर और्गनाइजेशन कारपोरेट स्टैटिस्टिकल डेटाबेस (एफएओएसटीएटी) उत्पादन डेटा (2020) के अनुसार, भारत दुनिया में अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर है. देश में अंडा उत्पादन वर्ष 2014-15 में 78.48 बिलियन से बढ़ कर वर्ष 2021-22 में 129.60 बिलियन हो गया है. देश में अंडे का उत्पादन 7.4 फीसदी प्रति वर्ष की दर (सीएजीआर) पर बढ़ रहा है. वर्ष 2021-22 में अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 95अंडे प्रति वर्ष है. देश में मांस उत्पादन वर्ष 2014-15 में 6.69 मिलियन टन से बढ़ कर वर्ष 2021-22 में 9.29 मिलियन टन हो गया.

आस्ट्रेलिया और भारत कृषि क्षेत्र में मिल कर काम करेंगे

नई दिल्ली : 3 जुलाई 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और आस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्यपालन और वानिकी मंत्री, सीनेटर मरे वाट के बीच कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कृषि संबंधों को गहरा करने के अवसरों पर चर्चा की गई.

दोनों देशों के मंत्रियों ने दोनों पक्षों के बाजार पहुंच संबंधी मुद्दों के समाधान में तकनीकी टीमों के विचारविमर्श पर संतोष व्यक्त किया. साथ ही, दोनों मंत्री कृषि सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को तय करने और आगे बढ़ने के लिए वर्ष 2023 में भारतआस्ट्रेलिया संयुक्त कृषि कार्य समूह की अगली बैठक बुलाने पर भी सहमत हुए. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के दृष्टिकोण व नेतृत्व का उल्लेख करते हुए, मंत्रियों ने दोनों देशों के किसानों के लाभ के लिए एकदूसरे से सीख कर कृषि क्षेत्र में मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

आस्ट्रेलियाई मंत्री 2 जुलाई से 5 जुलाई, 2023 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं. प्रारंभ में, आस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आस्ट्रेलिया के साथ मजबूत संबंधों और विशेष रूप से कृषि क्षेत्रों में बढ़ते व्यापार संबंधों का उल्लेख किया.

उन्होंने भारत दौरे के लिए समय निकालने के लिए आ एलस्ट्रेलियाई मंत्री को धन्यवाद दिया, क्योंकि आस्ट्रेलियाई मंत्री अपनी संसदीय प्रतिबद्धताओं के कारण हैदराबाद में जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे.

उन्होंने जी-20 विचारविमर्श के दौरान और विशेष रूप से “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट एवं अन्य प्राचीन अनाज अनुसंधान पहल (महर्षि)” के समर्थन के लिए आस्ट्रेलिया को धन्यवाद दिया.

आस्ट्रेलियाई मंत्री वाट ने जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बधाई दी और जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक में शामिल न हो पाने के लिए खेद व्यक्त किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ते कृषि व्यापार संबंधों की सराहना की और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग का विस्तार करने की इच्छा व्यक्त की.

पूसा संस्थान के 504 बिस्तरों वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास ‘मधुमास’ का शुभारंभ

नई दिल्ली : 3 जुलाई 2023. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास ‘मधुमास’ का शुभारंभ कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने व इन के समाधान के साथ देशदुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में किसानों के साथ ही हमारे कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण है.

समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 504 बिस्तरों वाले छात्रावास के शुभारंभ पर प्रसन्नता जताई और कहा कि देश में शिक्षा के बहुत से आयामों के बीच कृषि शिक्षा को चुनना एवं पूसा संस्थान में प्रवेश लेना यहां के विद्यार्थियों के जीवन की दिशा को सुखद बना देगा. उन्होंने कहा कि आज देश के करोड़ों किसानों की जबां पर भी पूसा संस्थान का नाम है और इस की अपनी ख्याति है. हम सब का प्रयास है कि देश की आजादी के अमृत काल में यह संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में स्थापित हो, जिस की शुरुआत इस आधुनिक छात्रावास के शुभारंभ के साथ हो गई है.

 

farming

उन्होंने कहा कि कृषि का क्षेत्र हम सब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. कृषि क्षेत्र में आज हम जिस सौपान पर खड़े हुए हैं, वहां तक पहुंचने में किसानों के साथ ही वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन बदलते परिवेश और जलवायु परिवर्तन के दौर में और आने वाले कल में बढ़ने वाली मांग के दृष्टिगत व दुनिया की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एक समय था, जब हम दुनिया से सीखना चाहते थे, लेकिन आज बड़ी संख्या में अन्य देश कृषि के मामले में भारत से सीखना चाहते हैं, भारत के रास्ते पर चलना चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में हम सब लोगों की जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं. दूसरे देशों को जब भी जरूरत होगी तो भारत उन की सहायता के लिए खड़ा होगा.

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में आई, जिस का समावेश कृषि शिक्षा में हो, इस के लिए काफी काम किया गया है, जो विद्यार्थियों के भविष्य को निखारने में बहुत मददगार सिद्ध होगा.

उन्होंने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए अलग से सिलेबस तैयार कर कृषि शिक्षा में जोड़ा जा रहा है, जो निश्चित रूप से वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप होगा.

कैमिकल फर्टिलाइजर से बचते हुए, वैकल्पिक रूप से प्राकृतिक खेती व जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस से किसानी के साथ ही देश को भी हर तरह से फायदा ही होगा.

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक व डेयर के सचिव डा. हिमांशु पाठक और आईएआरआई के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह ने भी विचार रखे. कार्यक्रम में अन्य अधिकारी, कर्मचारी व कृषि के विद्यार्थी भी मौजूद थे. मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व कैलाश चौधरी ने छात्रावास प्रांगण में पौधारोपण किया एवं फूड कोर्ट का शुभारंभ भी किया. इस छात्रावास में एकल शैया वाले 400 कमरे, स्नानागार, रसोई सहित एकल शैया वाले 56 कमरे व 48 फैमिली अपार्टमेंट हैं, जिन में 504 छात्रों के रहने की व्यवस्था है. छात्रावास परिसर में व्यायामशाला, रेस्टोरेंट, सौर ऊर्जा प्रणाली, वर्षा जल संचयन प्रणाली, जनरेटर आधारित पावर बैकअप, आरओ प्रणाली आधारित पेयजल, अग्निशामक व्यवस्था, पार्किंग क्षेत्र, लिफ्ट प्रणाली जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं हैं.

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने पशुपालन और डेयरी से जुड़े आंकड़ों किया जारी

नई दिल्ली : पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पशुपालन और डेयरी से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं, जिस में उन्होंने बताया कि किसानों के दरवाजे पर ही कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिस के तहत 5.71करोड़ पशुओं को शामिल किया गया है, 7.10करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3.74 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है. वहीं देश में आईवीएफ प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस के तहत के तहत अब तक 19248 भ्रूण पैदा किए गए और 8661 भ्रूण स्थानांतरित किए गए. साथ ही, 1343 बछड़ों का जन्म हुआ.

सैक्स सौर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करने का आंकड़ा

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि देश में 90 फीसदी तक सटीकता के साथ केवल मादा बछिया के जन्‍म के लिए सैक्स सौर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करना शुरू किया गया है. कार्यक्रम के अंतर्गत सुनिश्चित गर्भावस्था पर किसानों के लिए 750 रुपए या सौर्टेड सीमेन की लागत का 50 फीसदी सब्सिडी उपलब्ध है.

डीएनए आधारित जीनोमिक चयन

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने स्वदेशी नस्लों के विशिष्ट जानवरों के चयन के लिए इंडसचिप विकसित किया है और रेफरल आबादी तैयार करने के लिए चिप का उपयोग कर के 25,000 जानवरों का जीनोटाइप किया है. दुनिया में पहली बार भैंसों के जीनोमिक चयन के लिए बफचिप विकसित किया गया है और अब तक रेफरल आबादी बनाने के लिए 8,000 भैंसों का जीनोटाइप किया गया है.

पशु की पहचान और पता लगाने की क्षमता

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि 53.5 करोड़ जानवरों (मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर) की पहचान और पंजीकरण 12 अंकों के यूआईडी नंबर के साथ पौलीयुरेथेन टैग का उपयोग कर के की जा रही है.

नस्‍ल का चयन

उन्होंने बताया कि गिर, शैवाल देशी नस्ल के मवेशियों और मुर्रा, मेहसाणा देशी नस्ल की भैंसों के लिए संतान परीक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है.

राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने एनडीडीबी के साथ एक डिजिटल मिशन, “राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन” यानी एनडीएलएम शुरू किया है. इस से पशुओं की उर्वरता में सुधार करने, पशुओं और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने, गुणवत्तापूर्ण पशुधन व घरेलू और निर्यात बाजार दोनों के लिए पशुधन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

नस्ल वृद्धि फार्म

उन्होंने नस्ल वृद्धि फार्म योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस योजना के तहत नस्ल वृद्धि फार्म की स्थापना के लिए निजी उद्यमियों को पूंजीगत लागत (भूमि लागत को छोड़ कर) पर 50 फीसदी (प्रति फार्म 2 करोड़ रुपए तक) की सब्सिडी प्रदान की जाती है. अब तक डीएएचडी ने 76 आवेदन स्वीकृत किए हैं और एनडीडीबी को सब्सिडी के रूप में 14.22 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि किसानों को उपभोक्ता से जोड़ने वाले शीत श्रृंखला बुनियादी ढांचे सहित गुणवत्तापूर्ण दूध के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना और उसे मजबूत करना. वर्ष 2014-15 से 2022-23 (20.06.2023) तक 28 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में 3015.35 करोड़ रुपए (केंद्रीय हिस्सेदारी 2297.25 करोड़ रुपए) की कुल लागत के साथ 185 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. योजना के तहत 20 जून, 2023 तक मंजूर नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कुल 1769.29 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. मंजूर परियोजनाओं के अंतर्गत 1314.42 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग किया गया है.

डेयरी के कामों में लगी डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों का सहयोग करना

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि गंभीर प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निबटने के लिए डेयरी के कामों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को आसान कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान कर के सहायता करना है. वर्ष 2020-21 से 30 अप्रैल, 2023 तक एनडीडीबी ने देशभर में 60 दुग्ध संघों के लिए 2 फीसदी प्रति वर्ष की दर से 37,008.89 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी ऋण राशि के विरुद्ध 513.62 करोड़ रुपए की रियायती ब्याज सहायता राशि की मंजूरी दे दी और 373.30 करोड़ रुपए (नियमित रियायती ब्याज दर के रूप में 201.45 करोड़ रुपए और अतिरिक्त ब्याज अनुदान राशि के रूप में 171.85करोड़ रुपए) जारी किए हैं.

डेयरी, प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ)

दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्यवर्धित उत्पाद सुविधाओं आदि घटकों के लिए दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे का निर्माण/आधुनिकीकरण करना. डीआईडीएफ के तहत 31 मई, 2023 तक 6776.86 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 37 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं और 4575.73 करोड़ रुपए के ऋण के मुकाबले 2353.20 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है. रियायती ब्‍याज दर के रूप में नाबार्ड को 88.11 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि इस योजना में मुख्‍य रूप से रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उर्वरता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है. राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत पहली बार केंद्र सरकार व्यक्तियों, एसएचजी, जेएलजी, एफपीओ, सेक्शन 8 कंपनियों, एफसीओ को हैचरी और ब्रूडर मदर इकाइयों के साथ पोल्ट्री फार्म स्थापित करने, भेड़ और बकरी की नस्‍लों की वृद्धि, फार्म, सूअरपालन फार्म और चारा एवं चारा इकाइयों के लिए सीधे 50 फीसदी सब्सिडी प्रदान कर रही है.

अब तक डीएएचडी ने 661 आवेदन स्वीकृत किए हैं और 236 लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में 50.96करोड़ रुपए जारी किए हैं.

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास निधि

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सेक्‍शन 8 कंपनियों द्वारा डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्र मवेशी/भैंस/भेड़/बकरी/सूअर के लिए नस्ल सुधार टैक्‍ नोलौजी और नस्ल वृद्धि फार्म स्थापित करने और तकनीकी रूप से सहायताप्राप्त पोल्ट्री फार्म के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अब तक बैंकों द्वारा 309 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिन की कुल परियोजना लागत 7867.65 करोड़ रुपए है और कुल परियोजना लागत में से 5137.09 करोड़ रुपए सावधि ऋण है. रियायती ब्याज सहायता के रूप में 58.55 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम

उन्होंने बताया कि टीकाकरण द्वारा आर्थिक और जूनोटिक महत्व के पशु रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और रोकथाम के लिए अब तक इयर टैग किए गए पशुओं की कुल संख्या 25.04 करोड़ है. एफएमडी के दूसरे दौर में अब तक 24.18करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है.

उन्होंने यह भी बताया कि एफएमडी टीकाकरण का तीसरा दौर चल रहा है और अब तक 4.66 करोड़ जानवरों को टीका लगाया जा चुका है. अब तक 2.9 करोड़ जानवरों को ब्रुसेला का टीका लगाया जा चुका है. 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1960 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) को हरी झंडी दिखाई गई है. 10 राज्‍यों में 1181 एमवीयू कार्यरत हैं.

ताजी सब्जी का निर्यात लंदन तक

वाराणसी : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में एकीकृत पैक हाउस से निर्यात किए जाने वाले आम और हरी सब्जियों के कंटेनर्स के फ्लैग औफ कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि अन्नदाता किसान समृद्ध होगा तो भारत भी समृद्ध होगा.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश उर्वरा भूमि व प्रचुर जल संसाधन का प्रदेश है. देश के 20 फीसदी खाद्यान्न को उत्तर प्रदेश का किसान उपजाता है. उत्तर प्रदेश दुनिया का पेट भरने की सामर्थ्य रखता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश न केवल खाद्यान्न के क्षेत्र में, बल्कि सब्जी, फल और अन्य कृषि उत्पादों के क्षेत्र में भी विश्व की आपूर्ति श्रृंखला को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंटीग्रेटेड पैक हाउस से आम, ताजी सब्जी व हरी मिर्च के 3 कंटेनर को झंडी दिखा कर रवाना किया.

उन्होंने पैक हाउस के प्राइमरी प्रोसैसिंग एरिया, फ्रूट प्रोसैसिंग एरिया एवं वेजिटेबल प्रोसैसिंग एरिया का निरीक्षण किया और आवश्यक दिशानिर्देश दिए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अन्नदाता किसान द्वारा उपजाए खाद्यान्न, सब्जी, फल इत्यादि को स्थानीय मार्केट के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रदेश में पैक हाउस विकसित किए जा रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि कंटेनर व कार्गो की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. भारत सरकार के सहयोग से जनपद वाराणसी सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान वर्ष 2020 से कार्गो की सुविधा का लाभ कम दाम में प्राप्त कर रहे हैं. कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 15 रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी प्रदान की जा रही है. एपीडा और प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज हमारे कृषि उत्पाद वैश्विक बाजार में स्थान प्राप्त कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि इनलैंड वाटर वे का उपयोग खाद्य पदार्थों के निर्यात में किया जा रहा है. विगत 3-4 वर्षों में प्रदेश से खाद्यान्न, सब्जी व फलों के एक्सपोर्ट में 400 गुना की वृद्धि हुई है. आज उत्तर प्रदेश 19 हजार करोड़ रुपए के कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहा है. आने वाले समय में कृषि उत्पादों के निर्मात को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ प्रदेश सरकार काम कर रही है.

वाराणसी के एकीकृत पैक हाउस से निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मार्च, 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के औद्योगिक क्षेत्र करखियाव में मैंगो एवं वेजीटेबल इंटीग्रेटेड पैक हाउस का लोकार्पण किया था. आज इस पैक हाउस से 3 कंटेनर में 30 टन ताजी सब्जी, फल व हरी मिर्च वैश्विक बाजार को भेजी जा रही है. यह हमारे अन्नदाता किसानों व बागबानों की आमदनी को प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप कई गुना बढ़ाने के अभियान का हिस्सा है.
वाराणसी से यूएई के लिए हरी मिर्च की एक खेप, लखनऊ, रामपुर व मेरठ से आम की 3 खेप, आगरा व फर्रुखाबाद से आलू की 2 खेप यहां से पहले ही भेजी जा चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से वर्ष 2020 से ही ताजी सब्जी का निर्यात नई दिल्ली के रास्ते वाराणसी से लंदन तक हुआ है. बनारसी लंगडा आम का निर्यात लंदन व दुबई को हो रहा है. चंदौली के काला नमक चावल का निर्यात आस्ट्रेलिया को और वाराणसी के क्षेत्रीय चावल का निर्यात कतर को किया जा रहा है. भदोही, मिर्जापुर, बलिया, प्रयागराज व लखनऊ से सब्जी का और अमरोहा, मेरठ, आजमगढ़, बलरामपुर, सहारनपुर से आम का निर्यात किया जा रहा है.

फर्रुखाबाद व आगरा से आलू का, बागपत से शहद का निर्यात किया जा रहा है. कानपुर क्षेत्र से जामुन का निर्यात लंदन व दुबई को हो रहा है. लखनऊ व लखीमपुर खीरी से केला ईरान को भेजा जा रहा है. हाथरस से भैंस के दूध का मक्खन न्यूजीलैंड को भेजा जा रहा है. वहीं सिद्धार्थनगर से काला नमक चावल, बिजनौर से गुड़, कानपुर से मूंगफली का निर्यात लगातार बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप उन के नेतृत्व में देश दिनप्रतिदिन नई ऊंचाइयां छू रहा है. विगत 9 सालों में अन्नदाता किसानों की आय दोगुनी से अधिक हुई है. प्रदेश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है. ‘वन ड्राप मोर क्राप’ अभियान द्वारा अधिक से अधिक भूमि को सिंचाई योग्य बनाया जा रहा है. किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी प्राप्त हो रहा है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ देश के 12 करोड़ किसान प्राप्त कर रहे हैं. इस के अंतर्गत अन्नदाता किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से 6,000 रुपए हर साल भेजे जा रहे हैं. डबल इंजन सरकार ने किसानों की समृद्धि के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में उत्तर प्रदेश अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है.

इस से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडी निदेशक अंजनी कुमार सिंह को प्रमाणपत्र प्रदान किया और प्रगतिशील किसानों को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिह्न दे कर सम्मानित किया. उन्होंने कृषि उत्पादों पर आधारित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि गत वर्ष 550 मीट्रिक टन से अधिक आम और सब्जियों को वाराणसी से विदेशों को भेजा गया. इस वर्ष अब तक 300 मीट्रिक टन कृषि उत्पाद निर्यात किए जा चुके हैं. इस पैक हाउस से 10,000 किसानों को लाभ पहुंच रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि खाड़ी देशों के अलावा यूरोप व अमेरिका तक हमारे कृषि उत्पाद पहुंचे, यह लक्ष्य रखा गया है. इसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा. उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है. मिर्जापुर में शीघ्र ही पैक हाउस बनना शुरू हो जाएगा. प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर बनाए गए हैं. उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने और मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने की बात कही.

कार्यक्रम को उद्यान, कृषि विपणन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह और अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने संबोधित किया. इस अवसर पर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, स्टांप और न्यायालय एवं पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण और शासनप्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्ञातव्य है कि करखियांव औद्योगिक क्षेत्र में प्रदेश का तीसरा और पूर्वांचल का पहला पैक हाउस बन कर तैयार है. इस पैक हाउस ने पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर दिया है. पहली बार पैक हाउस से जीआई टैग मिलने के बाद फलों का राजा बनारसी लंगड़ा आम दुबई भेजा गया. साथ ही, हरी मिर्च व अन्य सब्जियों को भी भेजा गया है. पैक हाउस में बनारसी लंगड़ा आम को वेपर हीटऔर हीट वाटर ट्रीटमेंट प्रक्रिया से गुजारा जाएगा. मानक के तहत एक साइज के आम को मशीन से अलग कर उस की पैकेजिंग की गई है, जबकि हरी मिर्च की छंटाई, ग्रेडिंग समेत अन्य प्रक्रियाओं से गुजार कर पैकिंग की गई है.

प्रत्येक पैकेट में 35 किलोग्राम हरी मिर्च रखी गई है. पैक हाउस से फलसब्जियों को अंतर्राष्ट्रीय मानक का पालन करते हुए अलगअलग देशों की मांग के अनुरूप पैक कर भेजने की प्रक्रिया की जाती है. एक दर्जन से अधिक एफपीओ एपीडा से जुड़ कर अपने उत्पादों को दुबई समेत अन्य देशों में भेज रहे हैं. जल्द और भी एफपीओ जुड़ेंगे और पैक हाउस की सुविधा का लाभ लेंगे. इस व्यवस्था से किसानों की आमदनी बढ़ेगी व बिचौलियों का हस्तक्षेप समाप्त होगा.

बाबतपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वाराणसी से 10 किलोमीटर दूर करखियांव में बना पैक हाउस किसानों के उत्पाद को विदेशों में भेजने के अलावा ट्रेनिंग भी देगा, ताकि किसान अंतर्राष्ट्रीय मानक के तहत अपने उत्पादों को तैयार कर सकें. कुल 4,461 वर्ग फुट में निर्मित इस पैक हाउस पर कुल 15.78 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. वर्तमान में 500 से अधिक किसान एफपीओ के जरीए पैक हाउस से जुड़े हैं.

अभी तक वाराणसी से शारजाह जाने वाले विमान से प्रतिदिन सब्जियां जैसे हरी मिर्च, भिंडी, मुजफ्फरपुर की लीची, बिहार का जरदालू आम समेत अन्य फल, सब्जियां भेजी जा रही हैं. अब इन सभी को पैक हाउस से भेजा जाएगा. पहली बार आम व मिर्च भेजी गई हैं.

पशुपालन व डेयरी फार्मिंग है किन ऊंचाइयों पर और क्या हैं सरकारी योजनाएं

नई दिल्ली : पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पशुपालन और डेयरी से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं, जिस में उन्होंने बताया कि किसानों के दरवाजे पर ही कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिस के तहत 5.71करोड़ पशुओं को शामिल किया गया है, 7.10करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3.74 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है. वहीं देश में आईवीएफ प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस के तहत के तहत अब तक 19248 भ्रूण पैदा किए गए और 8661 भ्रूण स्थानांतरित किए गए. साथ ही, 1343 बछड़ों का जन्म हुआ.

सैक्स सौर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करने का आंकड़ा

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि देश में 90 फीसदी तक सटीकता के साथ केवल मादा बछिया के जन्‍म के लिए सैक्स सौर्टेड सीमेन या लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार करना शुरू किया गया है. कार्यक्रम के अंतर्गत सुनिश्चित गर्भावस्था पर किसानों के लिए 750 रुपए या सौर्टेड सीमेन की लागत का 50 फीसदी सब्सिडी उपलब्ध है.

डीएनए आधारित जीनोमिक चयन

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने स्वदेशी नस्लों के विशिष्ट जानवरों के चयन के लिए इंडसचिप विकसित किया है और रेफरल आबादी तैयार करने के लिए चिप का उपयोग कर के 25,000 जानवरों का जीनोटाइप किया है. दुनिया में पहली बार भैंसों के जीनोमिक चयन के लिए बफचिप विकसित किया गया है और अब तक रेफरल आबादी बनाने के लिए 8,000 भैंसों का जीनोटाइप किया गया है.

पशु की पहचान और पता लगाने की क्षमता

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि 53.5 करोड़ जानवरों (मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर) की पहचान और पंजीकरण 12 अंकों के यूआईडी नंबर के साथ पौलीयुरेथेन टैग का उपयोग कर के की जा रही है.

नस्‍ल का चयन

उन्होंने बताया कि गिर, शैवाल देशी नस्ल के मवेशियों और मुर्रा, मेहसाणा देशी नस्ल की भैंसों के लिए संतान परीक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है.

राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने एनडीडीबी के साथ एक डिजिटल मिशन, “राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन” यानी एनडीएलएम शुरू किया है. इस से पशुओं की उर्वरता में सुधार करने, पशुओं और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने, गुणवत्तापूर्ण पशुधन व घरेलू और निर्यात बाजार दोनों के लिए पशुधन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

नस्ल वृद्धि फार्म

उन्होंने नस्ल वृद्धि फार्म योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस योजना के तहत नस्ल वृद्धि फार्म की स्थापना के लिए निजी उद्यमियों को पूंजीगत लागत (भूमि लागत को छोड़ कर) पर 50 फीसदी (प्रति फार्म 2 करोड़ रुपए तक) की सब्सिडी प्रदान की जाती है. अब तक डीएएचडी ने 76 आवेदन स्वीकृत किए हैं और एनडीडीबी को सब्सिडी के रूप में 14.22 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि किसानों को उपभोक्ता से जोड़ने वाले शीत श्रृंखला बुनियादी ढांचे सहित गुणवत्तापूर्ण दूध के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना और उसे मजबूत करना. वर्ष 2014-15 से 2022-23 (20.06.2023) तक 28 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में 3015.35 करोड़ रुपए (केंद्रीय हिस्सेदारी 2297.25 करोड़ रुपए) की कुल लागत के साथ 185 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. योजना के तहत 20 जून, 2023 तक मंजूर नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कुल 1769.29 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. मंजूर परियोजनाओं के अंतर्गत 1314.42 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग किया गया है.

डेयरी के कामों में लगी डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों का सहयोग करना

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि गंभीर प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निबटने के लिए डेयरी के कामों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को आसान कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान कर के सहायता करना है. वर्ष 2020-21 से 30 अप्रैल, 2023 तक एनडीडीबी ने देशभर में 60 दुग्ध संघों के लिए 2 फीसदी प्रति वर्ष की दर से 37,008.89 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी ऋण राशि के विरुद्ध 513.62 करोड़ रुपए की रियायती ब्याज सहायता राशि की मंजूरी दे दी और 373.30 करोड़ रुपए (नियमित रियायती ब्याज दर के रूप में 201.45 करोड़ रुपए और अतिरिक्त ब्याज अनुदान राशि के रूप में 171.85करोड़ रुपए) जारी किए हैं.

डेयरी, प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ)

दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्यवर्धित उत्पाद सुविधाओं आदि घटकों के लिए दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे का निर्माण/आधुनिकीकरण करना. डीआईडीएफ के तहत 31 मई, 2023 तक 6776.86 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 37 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं और 4575.73 करोड़ रुपए के ऋण के मुकाबले 2353.20 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया है. रियायती ब्‍याज दर के रूप में नाबार्ड को 88.11 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि इस योजना में मुख्‍य रूप से रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उर्वरता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है. राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत पहली बार केंद्र सरकार व्यक्तियों, एसएचजी, जेएलजी, एफपीओ, सेक्शन 8 कंपनियों, एफसीओ को हैचरी और ब्रूडर मदर इकाइयों के साथ पोल्ट्री फार्म स्थापित करने, भेड़ और बकरी की नस्‍लों की वृद्धि, फार्म, सूअरपालन फार्म और चारा एवं चारा इकाइयों के लिए सीधे 50 फीसदी सब्सिडी प्रदान कर रही है.

अब तक डीएएचडी ने 661 आवेदन स्वीकृत किए हैं और 236 लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में 50.96करोड़ रुपए जारी किए हैं.

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास निधि

मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने बताया कि व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सेक्‍शन 8 कंपनियों द्वारा डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्र मवेशी/भैंस/भेड़/बकरी/सूअर के लिए नस्ल सुधार टैक्‍ नोलौजी और नस्ल वृद्धि फार्म स्थापित करने और तकनीकी रूप से सहायताप्राप्त पोल्ट्री फार्म के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अब तक बैंकों द्वारा 309 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिन की कुल परियोजना लागत 7867.65 करोड़ रुपए है और कुल परियोजना लागत में से 5137.09 करोड़ रुपए सावधि ऋण है. रियायती ब्याज सहायता के रूप में 58.55 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है.

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम

उन्होंने बताया कि टीकाकरण द्वारा आर्थिक और जूनोटिक महत्व के पशु रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और रोकथाम के लिए अब तक इयर टैग किए गए पशुओं की कुल संख्या 25.04 करोड़ है. एफएमडी के दूसरे दौर में अब तक 24.18करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है.

उन्होंने यह भी बताया कि एफएमडी टीकाकरण का तीसरा दौर चल रहा है और अब तक 4.66 करोड़ जानवरों को टीका लगाया जा चुका है. अब तक 2.9 करोड़ जानवरों को ब्रुसेला का टीका लगाया जा चुका है. 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1960 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) को हरी झंडी दिखाई गई है. 10 राज्‍यों में 1181 एमवीयू कार्यरत हैं.