14 से 16 जुलाई तक आम महोत्सव का आयोजन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के आम उत्पादकों का हौसला बढ़ाने के लिए हर साल प्रदेश स्तरीय आम महोत्सव का आयोजन करती रहती है, जिस में उत्तर प्रदेश के अलावा देश के दूसरे राज्यों के किसान भी आम की खास किस्मों का प्रदर्शन इस महोत्सव में करते हैं. इस साल उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय आम महोत्सव 2023 का आयोजन किया जा रहा है.

14 से 16 जुलाई तक होगा आयोजन

उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग द्वारा इस साल तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय आम महोत्सव 2023 का आयोजन किया जा रहा है, जो 14 से 16 जुलाई तक अवध शिल्प ग्राम में आयोजित होगा. इस आम महोत्सव के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे. इस महोत्सव में आम की विविधतापूर्ण उत्पादन एवं विभिन्न प्रजातियों से लोगों को अवगत कराने के लिए लगभग 725 से अधिक प्रजातियों के नमूने प्रदर्शित किए जाएंगे.

इन राज्यों के बागबान होंगे शामिल

लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय आम महोत्सव में उत्तर प्रदेश के बागबानों के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा व अन्य प्रदेशों के उद्यान विभाग के प्रतिनिधि, प्रगतिशील बागबान और निर्यातक शामिल होंगे.

Mango
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आम की 725 से अधिक किस्मों का होगा प्रदर्शन

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डा. आरके तोमर ने बताया कि आम महोत्सव में किसान, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, स्वयंसहायता समूह, पैक हाउस, निर्यातक, व्यापारी, नर्सरी मालिक, एफपीओ, सहकारी समितियां, मशीनरी आपूर्तिकर्ता सहित तमाम लोग शामिल होंगे.

उन्होंने आगे बताया कि तीन दिवसीय आम महोत्सव में 725 से अधिक किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिस में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश आम के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में देश में अग्रणी है. प्रदेश में लगभग 3.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की विभिन्न प्रजातियों की बागबानी की जा रही है, जिस से हर साल लगभग 60 लाख टन आम उत्पादन होता है. यह देश के कुल उत्पादन का 28 फीसदी है.

महोत्सव में भाग लेने के लिए इच्छुक किसान उद्यान विभाग के जिला कार्यालय से कराएं पंजीकरण

लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में 14 से 16 जुलाई तक आयोजित हो रहे आम महोत्सव में हिस्सा लेने के इच्छुक आम उत्पादक अपना आधारकार्ड व मोबाइल नंबर जनपद के कार्यालय में पहुंच कर अपना पंजीकरण करा कर महोत्सव में शामिल हो सकते हैं, जहां उद्यान विभाग की ओर से आम उत्पादकों को मंच उपलब्ध कराए जाने के साथ अन्य व्यवस्थाएं दी जाएंगी.

लखनऊ में आयोजित आम महोत्सव में प्रदेश के कई स्थानों से आए विभिन्न किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. इस आम महोत्सव में किसानों को आम में लगने वाले रोग, प्रबंधन, आम के पेड़ों के आसपास निराईगुड़ाई, सिंचाई, बैरीकेडिंग, आम को बेचने में आ रही समस्याओं आदि के बारे में जानकारी देने के साथ ही अन्य समस्याओं का निराकरण कराया जाएगा. प्रगतिशील आम बागबानों को अपनी तकनीकी समस्याओं के समाधान का अवसर भी मिलेगा.

आम महोत्सव के लिए चलेंगी विशेष बसें

लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में होने वाले तीन दिवसीय आम महोत्सव में आने वालों को कोई असुविधा न हो, इस के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. इस के तहत 6 रूटों पर 54 सिटी बसें चलाई जाएंगी. लोगों को यह सुविधा 14- 16 जुलाई तक सुबह 8 से रात 8 बजे तक मिलेगी.

इन रूटों पर मिलेंगी बसें

तीन दिवसीय आम महोत्सव के लिए चारबाग बसअड्डे से 5 बसें लगाई गई हैं, जो हर आधे घंटे पर अवध शिल्प ग्राम वाया अमौसी के बीच चलेंगी. इस के अलावा मलिहाबाद से शिल्प ग्राम वाया दुबग्गा के बीच 5 बसें हर आधे घंटे पर उपलब्ध रहेंगी. साथ ही, कमता से अवध शिल्प ग्राम के लिए 40 बसें लगाई गई हैं, जो हर 3 मिनट पर चलेंगी. बीकेटी से अवध शिल्प ग्राम वाया हजरतगंज के बीच 2 बसें हर आधे घंटे के अंतराल पर मिलेंगी. मोहनलालगंज से अवध शिल्प ग्राम वाया पीजीआई के बीच 2 बसें हर आधे घंटे के बाद मिलेंगी.

मास्को में आमरस-2023 महोत्सव : रूस के लोगों ने आमों का चखा स्वाद

लखनऊ : रूस के मास्को में स्थित भारतीय दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय आमरस- 2023 महोत्सव का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिस का प्रतिनिधित्व प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने किया.

इस महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न प्रजातियों के आमों को प्रदर्शित किया गया. साथ ही, रूस के ‘ढाबा’ रेस्टोरेंट में आम से अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए गए. इस दौरान उद्यान मंत्री ने रूस के व्यापारियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया.

उन्होंने रूस के लोगों को प्रदेश के आमों की विशिष्ट प्रजातियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी व इस के गुणों से भी परिचित कराया.

Mango Festival
Mango Festival

उन्होंने आगे बताया कि रूस में उत्तर प्रदेश के आमों का बोलबाला रहा और वहां के लोगों ने यहां के आमों को काफी पसंद भी किया. उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने महोत्सव में आए रूस के व्यापारियों को उत्तर प्रदेश में बागबानी एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित भी किया.

मास्को में आयोजित आमरस-2023 महोत्सव में उत्तर प्रदेश के अलगअलग जनपदों से विभिन्न प्रजातियों के आम जैसे दशहरी, लंगड़ा, चौसा, गौरजीत, आम्रपाली, रामकेला सहित अन्य रंगीन प्रजातियों को प्रदर्शित किया गया. इस महोत्सव में लगभग 2,000 लोग सम्मिलित हुए और उन सभी का उत्साह उत्तर प्रदेश के फलों के राजा आम के प्रति चरम पर रहा. सभी ने पूरे उत्साह व उमंग से प्रदेश के आमों के स्वाद को चखा व इस की जम कर तारीफ भी की.

मास्को में उत्तर प्रदेश के आमों के प्रति उत्साह को देखते हुए उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने भरोसा जताया कि उत्तर प्रदेश के बागबानी उत्पाद अपनी गुणवत्ता के कारण पूरे विश्व में मशहूर हो रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि यह उत्साह उत्तर प्रदेश के बागबानों की आय बढ़ाने और प्रदेश के फलों को ग्लोबल ब्रांड के रूप में विकसित करने का एक बड़ा अवसर है.

इस महोत्सव में उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिंदा निर्यातकों ने भी भागीदारी की और उन्होंने आमों के प्रति मास्कोवासियों के उत्साह को बागबानी के लिए शुभ संकेत बताया.

इस अवसर पर प्रदेश के उद्यान निदेशक डा. आरके तोमर, उपनिदेशक उद्यान राजीव वर्मा सहित अनेकों लोग मौजूद रहे.

कृषि विकास के साथ देश को आगे बढ़ाने का लक्ष्य

नई दिल्ली : 7 जुलाई 2023. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा आयोजित कृषि पर चिंतन शिविर का शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में और राज्य मंत्री कैलाश चौधरी एवं शोभा करंदलाजे और नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की विशेष उपस्थिति में हुआ.

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे देश में कृषि की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्थान है. राष्ट्रीय फलक पर देखें, तो वैश्विक मंदी एवं कोरोना के संकटकाल में भी हमारा कृषि क्षेत्र मजबूत बना रहा, इसे सामूहिक प्रयासों से और भी सशक्त बनाया जाए. हमारे कृषि क्षेत्र ने देश का पेट तो भरा ही, हम दुनिया के कई देशों की मदद भी कर सकें. चिंतन शिविर में विचार होना चाहिए कि सरकार की किसान हितैषी योजनाएं और अधिक पारदर्शी कैसे हों, किसान हित में कामकाज और सरल हों, हमारे लक्ष्य कैसे पूरे हों. हमारी कार्यपद्धति प्रशंसा की पात्र हों.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस संबंध में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य वर्ष 2047 तक अमृतकाल में भारत को विकसित भारत के रूप में प्रतिष्ठित करना है, जिस के लिए जरूरी पैरामीटर्स को फुलफिल करना हमारी जिम्मेदारी है. उसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह चिंतन किया जा रहा है कि कृषि क्षेत्र में क्याक्या बढ़ेगा, वर्ष 2047 में हम कहां खड़े होंगे, उत्पादन क्षमता क्या होगी, उत्पादकता क्या होगी, फसलों के प्रकार क्या होंगे, इस बारे में सोच कर किसानों के साथ समन्वय हमारी जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि अमृतकाल में हमें समग्र रूप से विचार करते हुए तय करना पड़ेगा कि सरकार के काम की दिशा व गति क्या होगी. चुनौतियों का आकलन व उन्हें चिन्हित करते हुए लक्ष्यावधि में काम करते आगे बढ़ना होगा.

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हमें आगामी 5 साल के बजाय 25 साल का रोडमैप तैयार करना है. वर्ष 2047 तक देश को आत्मनिर्भर बनाने में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा और तब तक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, इस अमृतकाल में कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के संबंध में यह चिंतन शिविर आयोजित किया गया है.

उन्होंने कृषि क्षेत्र की कमियों को दूर करते हुए नई टैक्नोलौजी के माध्यम से और तेज प्रगति किए जाने पर भी जोर दिया.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के मुताबिक हमें अमृतकाल के लिए ठोस योजना बना कर नई पीढ़ी के लिए कृषि क्षेत्र के विकास की सौगात देना है.

उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर कृषि के लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार आगे बढ़ें. हम देश के लिए मिलजुल कर काम करेंगे, तो लक्ष्य को अवश्य हासिल कर पाएंगे.

नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद, केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा, डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक ने भी शिविर में विचार रखें.

प्रारंभ में कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राकेश रंजन ने कृषि पर 2 दिवसीय चिंतन शिविर की प्रस्तावना रखी. शिविर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, डेयर व आईसीएआर के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं.

शिविर में इन विषयों पर चिंतन किया गया.

i. कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए रणनीतियां विकसित करना.

ii. एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से जुड़े मुद्दों व चुनौतियों का समाधान करना, उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना,  मृदा की उर्वरता को बढ़ाना और एक अनुकूल टिकाऊ कृषि प्रणाली की स्थापना में योगदान देना.

iii. वनस्‍पति संरक्षण के पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण में सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न संगठनों व हितधारकों के बीच तालमेल बनाना.

iv. स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत प्राकृतिक कृषि प्रणालियां.

v. प्रभावशीलता व अधिकाधिक पहुंच बढ़ाने, विस्तार सेवाओं को मजबूत करना व विस्तार प्रणाली के डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करना.

vi. निर्यात को बढ़ावा देने व निर्यातोन्मुख आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए राज्यस्तरीय कार्यनीति तैयार करना.

vii. उत्पादक भागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के हरसंभव हस्तक्षेप में संभावित प्राइवेट प्‍लेयर्स का लाभ उठा कर फोकस को  ‘उत्पादन केंद्रित दृष्टिकोण’ से “विपणन केंद्रित दृष्टिकोण” में परिवर्तित करना.

कृषि विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए आयोजन

मेरठ : सरदार वल्लभभाई भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में जैन इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड, जलगांव, महाराष्ट्र की कंपनी द्वारा छात्रों के प्लेसमेंट हेतु एकदिवसीय इंटरव्यू कार्यक्रम का आयोजन पिछले दिनों किया गया.

इस कंपनी द्वारा प्लेसमेंट में भाग लेने वाले विभिन्न छात्रों की लिखित परीक्षा कराई गई. उस के पश्चात इंटरव्यू और साक्षात्कार के आधार पर छात्रछात्राओं का चयन किया गया.

जैन इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड, जलगांव, महाराष्ट्र से बिजनेस हेड डा. वीके सिंह और कंपनी के कंसलटेंट एक्स डायरेक्टर सीपीआरआई डा. वीर पाल सिंह मौजूद रहे.

कंपनी के प्रतिनिधिमंडल ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केके सिंह से मुलाकात कर कंपनी की उपलब्धियों और छात्रों को दिए जाने वाले रोजगार के संबंध में विस्तार से चर्चा की.

डा. वीके सिंह ने कहा कि एक कंपनी विश्व में सब से ज्यादा टिशु कल्चर से पौधे उगाने का काम कर रही है. देश के विभिन्न प्रदेशों के साथसाथ विभिन्न जिलों में तेजी से कंपनी का विस्तार हो रहा है, जिस के कारण कृषि क्षेत्र में स्नातक डिगरीधारकों को कंपनी अपने यहां प्लेसमेंट देने में विशेष रुचि रख रही है.

उन्होंने आगे कहा कि एक कंपनी द्वारा जल्दी से जल्दी कृषि विश्वविद्यालय के साथ एक एमओयू पर सिग्नेचर किए जाएंगे, जिस से कृषि विश्वविद्यालय के छात्र जैन इरिगेशन कंपनी की प्रयोगशालाओं को देख सकें और वहां पर रह कर प्रशिक्षण ले सकें, इस की व्यवस्था की जाएगी.

आलू अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डा. वीरपाल सिंह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सब्जियों में आलू का एक विशेष स्थान है और आलू उत्पादन व आलू के बीज उत्पादन के क्षेत्र में जैन इरिगेशन कंपनी द्वारा विशेष योगदान दिया जा रहा है.

उन्होंने आलू उत्पादन के बारे में विस्तार से चर्चा की और छात्रछात्राओं के इंटरव्यू लिए.

कुलपति डा. केके सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों की दक्षता विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिस से भविष्य में छात्रों को अधिक से अधिक प्रशिक्षित कर के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट के द्वारा रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.

निदेशक ट्रेनिंग व प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर ने वीरपाल सिंह एवं डा. वीके सिंह का स्वागत किया. संचालन संयुक्त निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रो. सत्य प्रकाश द्वारा किया गया. कार्यक्रम का संचालन सहनिदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डा. डीवी सिंह द्वारा किया गया. इस अवसर पर सहनिदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डा. शालिनी गुप्ता, डा. वैशाली और डा. शैलजा कटोच उपस्थित रहे.

खस की खेती : कम लागत में बनाए मालामाल

आजकल सौंदर्य प्रसाधनों से ले कर चिकित्सा व खानपान की वस्तुओं में सुगंधित पदार्थों का प्रयोग बढ़ने लगा है. परफ्यूम, अगरबत्ती, मिठाइयां, गुटखा, सेविंग क्रीम, मसाज क्रीम व ऐरोमा चिकित्सा में सुगंधित बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ खस, पामारोजा, लेमनग्रास, सेट्रेनिला, मेंथा, गुलाब, केवड़ा इत्यादि से निकलने वाला तेल होता है, जिस की मांग को देखते हुए इस की खेती के क्षेत्रफल में हाल के सालों में बडी तेजी से इजाफा हुआ. इन सुगंधित फसलों की खेती कम लागत, कम श्रम व पशुओं से सुरक्षा की दृष्टि से महफूज मानी जाती है. साथ ही, इस का मार्केट में वाजिब मूल्य भी आसानी से मिल जाता है. इस वजह से सुगंधित फसलों की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. इन्हीं सुगंधित फसलों में खस का तेल एक ऐसा कृषि उत्पाद है, जिस का बाजार मूल्य किसानों को अधिक लाभ देने के साथ ही लागत में कमी वाला भी है. इसलिए हमारे किसान खस की खेती को अपना कर अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं.

खस की खेती में किसानों को जोखिम भी कम है.

खस की खेती के लिए किसी भी तरह की मिट्टी अनुकूल होती है. यहां तक कि इस को बंजर मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इस की खेती के लिए सब से पहले उन्नत किस्म की अधिक तेल देने वाली किस्म की नर्सरी की आवश्यकता पड़ती है. इस के पहले से ही एक वर्ष पुरानी पौधों को तैयार कर के रखना चाहिए.

नर्सरी तैयार करने के लिए सीमैप द्वारा विकसित खस यानी वेटिवर की उन्नत किस्मों जैसे केएस-1, केएस -2, धारिणी, केशरी, गुलाबी, सिम-वृद्धि, सीमैप खस-15, सीमैप खस-22, सीमैप खुसनालिका और सीमैप समृद्धि प्रजाति का चयन किया जाना ज्यादा अच्छा होता है. इन प्रजातियों को सीमैप लखनऊ से खरीदा जा सकता है.

एक एकड़ खेत के लिए खस के तकरीबन 20,000 पौधों की आवश्यकता पडती है, जिन को नर्सरी के लिए रोपित कर अगले वर्ष अधिक क्षेत्रफल में खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.

खस को रोपित करने के पहले खेत की तैयारी पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. इस के लिये सर्वप्रथम किसी भी प्रकार की मिट्टी, जिस में पौध रोपण करना हो, रोटावेटर या हैरो से एक जुताई कर के पाटा लगा दें. इस के बाद कल्टीवेटर से 2 जुताई कर के पाटा लगा कर मिट्टी में प्रति एकड 500 किलोग्राम जिप्सम मिलाना जरूरी है. इस के अलावा पौधों को रोपित करने के पहले फसल को दीमक से बचाने के लिए रिजेंट क्लोरोपायरीफास को 60 किलोग्राम डीएपी के साथ प्रति एकड़ खाद में मिला कर मिट्टी में मिला दे. इस से खस की जड़ों को दीमक से नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं होता है.

खेत की तैयारी के बाद खस के पौधो को नर्सरी से एकएक पौधा अलग कर पौधे से पौधे की दूरी 1 फुट व लाइन से लाइन की दूरी डेढ़ फुट पर रखते हुए रोपित कर दें.

खस के पौधों को खेत में रोपित करने का सब से अच्छा समय फरवरी के प्रथम सप्ताह से मार्च के अंतिम सप्ताह का होता है.

खस के पौधों को खेत में रोपित करने के 2 दिन के भीतर खेत की हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. फसल रोपण के 15 दिन बाद पुनः खेत की सिंचाई कर दें. गरमियों में हर 15 दिन पर खस के फसल की सिंचाई करते रहना जरूरी है. वर्षा ऋतु में खस की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. सितंबर माह से पुनः एक माह के अंतराल पर सिंचाई करें. इस दौरान रोपाई के समय 6 किलोग्राम डीएपी, 24 किलोग्राम पोटाश व 30 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में बो दिया जाता है. इस के बाद पुनः 4 माह बाद इसी अनुपात में खाद की बोआई करना जरूरी होता है. खस की खेती में किसी तरह की बीमारी व कीट नहीं लगता है और न ही इसे पशुओं से नुकसान पहुंचने का डर होता है.

फसल की कटाई एवं खुदाई

खस की फसल हर तरह की जमीनों में बड़ी आसानी से उगाई जाती है. यहां तक कि यह जलभराव वाले स्थानों में भी अच्छी उपज देती है. खस की जडों से सब से अधिक तेल लेने का समय जनवरीफरवरी माह का होता है, क्योंकि ठंडियों में खस की जड़ों में तेल अधिक पड़ता है.

खस की खुदाई के पहले जड़ से एक फुट ऊंचाई पर छोड़ कर उसबीके ऊपर के हिस्सों की कटाई कर दें. खस की फसल के ऊपरी हिस्सों के कटाई के बाद तुरंत ही इस की जड़ों की खुदाई करना जरूरी है, क्योंकि कटाई के बाद तुरंत खुदाई न करने से जड़ों में तेल का फीसदी घट जाता है.

जड़ों की खुदाई में अत्यधिक मेहनत की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे जेसीबी से खुदाई करना ज्यादा अच्छा होता है. आमतौर पर एक घंटे में एक एकड़ खेत से खस की खुदाई बड़ी आसानी से हो जाती है.

खुदाई के दौरान खस की जड़ों से खेत से निकालने के लिए 20 मजदूरों की जरूरत पड़ती है, जो जड़ों को साफ कर ट्राली में लादने का काम करते हैं.

प्रोसैसिंग

खस की जड़ों से तेल निकालने के लिए सब से पहले खेत से जड़ों को लाने के बाद पहले से तैयार किए 3 फुट गहरे, 15 फुट लंबे व 8 फुट चौड़े गड्ढे में पानी भर कर उस में डाल कर 24 घंटे के लिए भीगने के लिए छोड देते हैं. इस से खस की जड़ों में स्थित तेल फूल जाता है और यह आसवन टंकी में कम समय में निकलता है. पानी में जड़ों को डालने से उस में लगी मिट्टी भी अलग हो जाती है.

 

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प्रोसैसिंग प्लांट

खस की जड़ों से तेल निकालने के लिए प्रोसैसिंग प्लांट की आवश्यकता होती है, जिस की लागत अमूमन 1.5 लाख रुपए आती है. प्रोसैसिंग प्लांट तैयार करने के लिए सब से पहले आसवन टंकी की आवश्यकता पड़ती है, जो सीमैप लखनऊ या स्थानीय कृषि यंत्र तैयार करने वालों व बेचने वालों के यहां से खरीदा जा सकती है. इस आसवन टंकी को टंकी की पेदी के अनुसार वर्गाकार या आयताकार भट्टी तैयार कर के रखा जाता है. इस के बाद एक पानी का गड्ढा तैयार कर के टंकी से पाइप निकाल कर गड्ढे में क्वायल लगा कर जोड़ा जाता है, जो तेल को ठंडा करने का काम करती है. इस के अलावा क्वायल से एक सेपोटर लगा कर गड्ढे से बाहर निकाला जाता है, जहां खस का तेल व पानी अलगअलग हो कर विशेष डिजाइन के डब्बे में इकट्ठा होता है.

इस प्रोसैसिंग यूनिट में पानी में भिगोई गई जड़ों को बाहर निकाल कर आसवन टंकी में डालते हैं. इस टंकी से एक बार में 5 क्विंटल (1बीघा) जड़ों से तेल निकाला जा सकता है. इन जड़ों को टंकी में डालने के बाद टंकी के ऊपर के ढक्कन को कस कर बंद कर दिया जाता है. इस के बाद टंकी की भट्ठी को नीचे से गरम करते हैं. लगभग 30 घंटों के बाद इस 5 क्विंटल जड़ों से तेल निकल कर सेपरेटर में इकट्ठा हो जाता है, जो लगभग 4 से 5 लिटर होता है.

इस प्रकार एक एकड़ की फसल को जड़ों से एक आसवन टंकी से तेल निकालने पर लगभग 90 घंटों का समय लगता है और एक एकड़ की फसल से 12 से 15 लिटर तेल प्राप्त होता है.

मार्केटिंग

खस के तेलों की सुगंध लंबे समय तक बनी रहने व अपने औषधीय गुण की वजह से बाजार में मांग अत्यधिक बनी हुई है. खस का तेल चामारोजा, लेमनग्रास, सेट्रेनेला, गेंधा की अपेक्षा काफी महंगा बिकता है. इस का वर्तमान बाजार रेट 12,000 रुपए से 15,000 रुपए प्रति लिटर है, जबकि इस की मांग इतनी अधिक है कि कन्नौज इत्र कारोबारियों के अलावा लखनऊ व दिल्ली के खारी बावली मार्केट के कारोबारी खुद किसानों से संपर्क कर तेल की खरीदारी करते हैं. इसलिए इस की मांग को देखते हुए किसानों को इस की खेती की तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए.

लाभ

खस की खेती में लाभ की अपेक्षा लागत और श्रम बहुत कम है. एक एकड़ खेत के लिए इस की खेती से ले कर प्रोसैसिंग तक मात्र 45,000 रुपए की लागत आती है, जिस में सिंचाई में 10,000 रुपया, खाद में 1,000 रुपया, जबकि तेल को बेच कर एक लाख, 80 हजार रूपया प्राप्त होता है. अगर लागत को निकाल दिया जाए, तो एक लाख, 35 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी होती है.

खस की खेती लागत और श्रम की दृष्टि से तो फायदेमंद है ही, इसे किसी प्रकार बाढ़, कीट, बीमारी या पशुओं से नुकसान पहुंचने का डर भी नहीं होता है. इसलिए खस की खेती को अपना कर हमारे किसान अपने जीवन को भी सुगंधित बना सकते हैं.

आस्ट्रेलिया और भारत कृषि क्षेत्र में मिल कर काम करेंगे

नई दिल्ली : 3 जुलाई 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और आस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्यपालन और वानिकी मंत्री, सीनेटर मरे वाट के बीच कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कृषि संबंधों को गहरा करने के अवसरों पर चर्चा की गई.

दोनों देशों के मंत्रियों ने दोनों पक्षों के बाजार पहुंच संबंधी मुद्दों के समाधान में तकनीकी टीमों के विचारविमर्श पर संतोष व्यक्त किया. साथ ही, दोनों मंत्री कृषि सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को तय करने और आगे बढ़ने के लिए वर्ष 2023 में भारतआस्ट्रेलिया संयुक्त कृषि कार्य समूह की अगली बैठक बुलाने पर भी सहमत हुए. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के दृष्टिकोण व नेतृत्व का उल्लेख करते हुए, मंत्रियों ने दोनों देशों के किसानों के लाभ के लिए एकदूसरे से सीख कर कृषि क्षेत्र में मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

आस्ट्रेलियाई मंत्री 2 जुलाई से 5 जुलाई, 2023 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं. प्रारंभ में, आस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आस्ट्रेलिया के साथ मजबूत संबंधों और विशेष रूप से कृषि क्षेत्रों में बढ़ते व्यापार संबंधों का उल्लेख किया.

उन्होंने भारत दौरे के लिए समय निकालने के लिए आ एलस्ट्रेलियाई मंत्री को धन्यवाद दिया, क्योंकि आस्ट्रेलियाई मंत्री अपनी संसदीय प्रतिबद्धताओं के कारण हैदराबाद में जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे.

उन्होंने जी-20 विचारविमर्श के दौरान और विशेष रूप से “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट एवं अन्य प्राचीन अनाज अनुसंधान पहल (महर्षि)” के समर्थन के लिए आस्ट्रेलिया को धन्यवाद दिया.

आस्ट्रेलियाई मंत्री वाट ने जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बधाई दी और जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक में शामिल न हो पाने के लिए खेद व्यक्त किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ते कृषि व्यापार संबंधों की सराहना की और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग का विस्तार करने की इच्छा व्यक्त की.

पूसा संस्थान के 504 बिस्तरों वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास ‘मधुमास’ का शुभारंभ

नई दिल्ली : 3 जुलाई 2023. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास ‘मधुमास’ का शुभारंभ कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने व इन के समाधान के साथ देशदुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में किसानों के साथ ही हमारे कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण है.

समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 504 बिस्तरों वाले छात्रावास के शुभारंभ पर प्रसन्नता जताई और कहा कि देश में शिक्षा के बहुत से आयामों के बीच कृषि शिक्षा को चुनना एवं पूसा संस्थान में प्रवेश लेना यहां के विद्यार्थियों के जीवन की दिशा को सुखद बना देगा. उन्होंने कहा कि आज देश के करोड़ों किसानों की जबां पर भी पूसा संस्थान का नाम है और इस की अपनी ख्याति है. हम सब का प्रयास है कि देश की आजादी के अमृत काल में यह संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में स्थापित हो, जिस की शुरुआत इस आधुनिक छात्रावास के शुभारंभ के साथ हो गई है.

 

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उन्होंने कहा कि कृषि का क्षेत्र हम सब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. कृषि क्षेत्र में आज हम जिस सौपान पर खड़े हुए हैं, वहां तक पहुंचने में किसानों के साथ ही वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन बदलते परिवेश और जलवायु परिवर्तन के दौर में और आने वाले कल में बढ़ने वाली मांग के दृष्टिगत व दुनिया की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.

उन्होंने यह भी कहा कि एक समय था, जब हम दुनिया से सीखना चाहते थे, लेकिन आज बड़ी संख्या में अन्य देश कृषि के मामले में भारत से सीखना चाहते हैं, भारत के रास्ते पर चलना चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में हम सब लोगों की जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं. दूसरे देशों को जब भी जरूरत होगी तो भारत उन की सहायता के लिए खड़ा होगा.

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में आई, जिस का समावेश कृषि शिक्षा में हो, इस के लिए काफी काम किया गया है, जो विद्यार्थियों के भविष्य को निखारने में बहुत मददगार सिद्ध होगा.

उन्होंने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए अलग से सिलेबस तैयार कर कृषि शिक्षा में जोड़ा जा रहा है, जो निश्चित रूप से वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप होगा.

कैमिकल फर्टिलाइजर से बचते हुए, वैकल्पिक रूप से प्राकृतिक खेती व जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस से किसानी के साथ ही देश को भी हर तरह से फायदा ही होगा.

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक व डेयर के सचिव डा. हिमांशु पाठक और आईएआरआई के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह ने भी विचार रखे. कार्यक्रम में अन्य अधिकारी, कर्मचारी व कृषि के विद्यार्थी भी मौजूद थे. मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व कैलाश चौधरी ने छात्रावास प्रांगण में पौधारोपण किया एवं फूड कोर्ट का शुभारंभ भी किया. इस छात्रावास में एकल शैया वाले 400 कमरे, स्नानागार, रसोई सहित एकल शैया वाले 56 कमरे व 48 फैमिली अपार्टमेंट हैं, जिन में 504 छात्रों के रहने की व्यवस्था है. छात्रावास परिसर में व्यायामशाला, रेस्टोरेंट, सौर ऊर्जा प्रणाली, वर्षा जल संचयन प्रणाली, जनरेटर आधारित पावर बैकअप, आरओ प्रणाली आधारित पेयजल, अग्निशामक व्यवस्था, पार्किंग क्षेत्र, लिफ्ट प्रणाली जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं हैं.

औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रौद्योगिकी पर ट्रेनिंग के लिए करें आवेदन

लखनऊ : सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ द्वारा “आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रौद्योगिकी” विषय पर भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के सहयोग से 23-25 अगस्त, 2023 के मध्य एक प्रशिक्षण-सह-प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से सगंध घास, खस, नीबूघास, रोशाघास, मिंट, तुलसी, जिरेनियम, अश्वगंधा, कालमेघ, पचौली एवं कैमोमिल इत्यादि फसलों की कृषि प्रौद्योगिकियों एवं आसवन विधियों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

इस कार्यक्रम में व्याख्यान के साथ ही साथ उन के रोपण विधियों पर प्रदर्शन भी किया जाएगा.

प्रशिक्षण कार्यक्रम में औषधीय एवं सगंध पौधों की गुणवत्ता की जांच और उन के बाजार की भी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी.

इस कार्यक्रम में कोई भी किसान, प्रसार कार्यकर्ता, उद्यमी एवं अन्य, जो भी इन विषयों की जानकारी प्राप्त करने का इच्छुक हो, भाग ले सकते हैं. इस ट्रेनिंl में भाग लेने के लिए 3,000 रुपए का शुल्क Director, CIMAP, Lucknow को भारतीय स्टेट बैंक, लखनऊ की मुख्य शाखा में खाता संख्या 30267691783, IFSC कोड SBIN0000125, MICR Code 226002002 में 19 जुलाई, 2023 तक भेज कर अपना पंजीकरण सुनिश्चित करा सकते हैं और इस का विस्तृत प्रमाण, आवेदनपत्र एवं एक पहचानपत्र के साथ training@cimap.res.in पर भेजा जा सकता है. इस शुल्क में पंजीकरण सामग्री एवं दोपहर का शाकाहारी भोजन शामिल है. प्रतिभागी को अपने रहने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी. पंजीकरण प्रथम आगत- प्रथम स्वागत के आधार पर किया जाएगा.

अधिक जानकारी के लिए 0822-2718694,606, 598, 637, 699, 596 पर संपर्क कर सकते हैं. इस ट्रेनिंग के लिए सीटों की कुल संख्या 60 प्रतिभागी तक सीमित है. प्रतिभागियों की संख्या के आधार पर पंजीकरण अंतिम तिथि से पहले भी बंद किए जा सकते हैं.

वर्षा जल संरक्षण इकाइयों का उद्घाटन , होगा 1 करोड़ लीटर पानी रिचार्ज

जयपुर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अखिल भारतीय समन्वित कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना द्वारा गोदित गांव गुडली में 10 वर्षा जल संरक्षण इकाई का उद्घाटन डॉ मृदुला देवी, निदेशक, केंद्रीय कृषिरत  महिला संस्थान द्वारा किया गया. यह वर्षा जल संरक्षण इकाइयाँ स्थानीय गांव में प्रदूषित हुए जल को शुद्ध करने के उद्देश्य से परियोजना द्वारा स्थापित की  गई है. इसके साथ ही गांव में बेरोजगार महिलाओं को रोजगार हेतु मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए 50 महिलाओं को चूजे वितरित किए गए, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बने.

प्रत्येक वर्षा जल संरक्षण इकाई से 100000 लीटर वर्षा जल भू जल में रिचार्ज होगा जिसका बाजार मूल्य 20 लाख रूपये होता है . इस तरह इन सभी इकाइयों से होने वाले वर्षा जल जो रिचार्ज होगा उसका बाजार मूल्य एक करोड़ होता है. इससे सभी इकाइयों का भू जल शुद्ध भी होगा जिसकी यह नितांत आवश्यकता है.

यह जानकारी तकनीकी सहायक, नगर के वाटर हीरो डॉ पी सी जैन ने दी है. निदेशक ने महिलाओं को घर पर उद्यम शुरू कर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया व उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए संभावित उद्यम के य द्वारा गत पांच वर्षों में स्थानीय गांव में हुए कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया एवं वर्षा जल संरक्षण इकाई स्थापित करने के उद्देश्य को बताया. साथ ही महिलाओं को मुर्गी पालन के लिए प्रेरित किया. डॉ गायत्री तिवारी ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में डॉ सुधा बाबेल, डॉ हेमू राठौड़, डॉ विशाखा सिंह, डॉ स्नेहा जैन, डॉ सीमा डांगी चारु नागर व प्रियंका भाटी का सफल योगदान रहा.  कार्यक्रम में कुल 50 महिलाओं व 20 बच्चों ने भाग लिया.

संभागीय किसान महोत्सव में एमपीयूएटी :  किसानों के महाकुंभ में बही एमपीयूएटी की ज्ञानगंगा

उदयपुर : 26 जून 2023. उदयपुर के बलीचा स्थित कृषि उपज मंडी सबयार्ड में आयोजित 2 दिवसीय संभाग स्तरीय किसान महोत्सव का आगाज धूमधाम से हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस किसान महोत्सव का उद्घाटन किया. संभाग स्तरीय किसानों के महाकुंभ में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की 20 से अधिक स्टाल लगाई गई, जिन पर विश्वविद्यालय में विकसित नवीनतम कृषि तकनीकों से संभाग भर से आए किसानों को रूबरू करवाया गया.

मेला स्थल पर उपस्थित कृषि विश्वविद्यालय एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों में संचालित कृषि अनुसंधान परियोजनाओं मुख्यतः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय समन्वित कृषि अनुसंधान परियोजनाओं, जिन में मुख्यतः मशरूम उत्पादन एवं अनुसंघान, खरपतवार नियंत्रण, जैविक खाद, जैविक खेती, जैविक कीटनाशक, मोटे अनाजों पर संचालित परियोजना, विभिन्न प्रकार की कंदीय फसलों, गेहूं, जो, मूंगफली, ज्वार, मक्का, बीजीय फसलों, उद्यानिकी फसलों, फूलों की खेती, कृषि अभियांत्रिकी, मृदा एवं जल संरक्षण अभियांत्रिक, रोबोटिक्स, आभासी तकनीकी, इंटरनेट औफ थिंग्स, सेंसर आधारित खेती, समन्वित खेती पद्धति, कृषि यांत्रिकी विभाग एवं परियोजना में विकसित अनेक कृषि यंत्रों का प्रर्दशन, सामुदायिक विज्ञान और कृषक महिला विकास से संबंधित परियोजनाओं, कटाई के उपरांत खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, सोलर ऊर्जा चालित विभिन्न यंत्रों, सोलर चालित पंप, साइकिल, सोलर ड्रायर इत्यादि तकनीकों का विस्तृत प्रर्दशन किया गया.

इस अवसर पर एमपीयूएटी में विकसित विभिन्न पशु नस्लों प्रतापधन मुरगी, बकरी की नस्लें, खरगोश, बटेर व मछलीपालन स्टाल में मछली की विभिन्न खाने योग्य और रंगीन मछलियां की पालन योग्य प्रजातियों का प्रदर्शन किया गया, जिस में विभिन्न उम्र के किसानों ने विशेष रुचि दिखाई.

प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरए कौशिक ने बताया कि किसानों ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों के बीज की किस्में लगाने के लिए अपनी रुचि दिखाई है. अनुसंधान निदेशक अरविंद वर्मा ने बताया कि एमपीयूएटी की विभिन्न अनुसंधान तकनीकों को जानने एवं अपनाने में किसानों की रुचि देखी गई. दिनभर इन स्टालों पर किसानों का रेला लगा रहा. किसानों के विभिन्न सवालों के जवाब कृषि वैज्ञानिकों ने मौके पर ही दिए और इस अवसर पर सवालजवाब के लिए विशेष रुप से आयोजित जाजम चौपाल में विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, बीज उत्पादन, फसल संरक्षण, जैविक खेती, फसल संरक्षण कीट व्याधि नियंत्रण और उद्यानिकी फसलों से संबंधित विभिन्न सवालों के जवाब दे कर किसानों को संतुष्ट किया.