बस्ती: आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजनांतर्गत कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की मंडल स्तरीय कार्यशाला आयुक्त सभागार में संपन्न हुई, जिस में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को ‘एक ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था‘ के रूप में स्थापित करने में ‘उत्तर प्रदेश कृषक उत्पादन संगठन नीति 2020‘ एक सशक्त साधन के रूप में स्थापित की गई.

मुख्य अतिथि जेडीसी पीके शुक्ला ने कहा कि इस नीति की मूल अवधारणा प्रदेश के किसान को कृषक उद्यमी के रूप में संगठित करना है. कृषक उत्पादक संगठन का मुख्य उद्देश्य निर्माता के लिए स्वयं के संगठन के माध्यम से बेहतर आय सुनिश्चित करना है.

संयुक्त निदेशक, कृषि, अविनाश चंद्र ने कहा कि एफपीओ का उद्देश्य लघु एवं सीमांत किसानों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे संगठित रूप से काम कर अन्य उत्पादों की तरह लाभ ले सकें.
उन्हांेने आगे कहा कि राज्य सरकार द्वारा एफपीओ के गठन, संचालन और उन के विभिन्न कामों के लिए अनुदान पर माली मदद दी जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि कार्बन से सुरक्षा के लिए तेजी से बढ़ने वाले पेड़ मेंड़ों पर लगाए जा सकते हैं.

उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि एक एफपीओ में कम से कम 150 सदस्य हो सकते हैं. एफपीओ को फार्म मशीनरी बैंक, खादबीज, यंत्र का लाइसैंस दिया जाएगा. एफपीओ द्वारा बीज उत्पादन करने पर 0.1 करोड़ रुपए पर अधिकतम 60 लाख रुपए तक अनुदान दिया जाता है. एफपीओ द्वारा उत्पादित बीज, बीज विकास निगम खरीदता है. एफपीओ धान, गेहूं खरीद केंद्र भी खोल सकते हैं.

लखनऊ कृषि निदेशालय से आए तकनीकी हैड अनिमेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के सभी एफपीओ को शक्ति पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है. पंजीकरण के बाद एफपीओ को कृषि से संबंधित सभी योजनाओं की जानकारी, ई-बाजार, मंडी भाव, इनपुट की जानकारी और एफपीओ की ग्रेडिंग एवं रैंकिंग की जानकारी हो सकेगी.

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