खरगोन : संरक्षित खेती एक नवीनतम तकनीक है, जिस के माध्यम से फसलों की मांग के अनुसार सूक्ष्म वातावरण को नियंत्रित करते हुए मूल्यवान सब्जियों की खेती का प्राकृतिक प्रकोपों एवं अन्य समस्याओं से बचाव किया जाता है. इस में कम से कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त किया जाता है.

साथ ही, संरक्षित खेती की दिशा में किसानों का रुझान अब बहुत तेज गति से बढ़ रहा है. इस का एक कारण बढ़ते तापमान और वायरस से बचाव कर कृषि में उत्पादन बढ़ाते हुए मुनाफा कमाना है.

इस के लिए मध्य प्रदेश शासन ने संरक्षित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2009-10 में शेडनेट अपर पौलीहाउस के साथ शुरू किया था. इस में मुख्य रूप से सब्जियों से ले कर पौध तैयार करने में रुचि दिखा रहे हैं.

संरक्षित खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य के बाहर प्रशिक्षण कराया जाता है. 16 सितंबर को जिले के 30 किसान एक ऐसा ही प्रशिक्षण पुणे के तलेगांव से ले कर आए हैं.

उद्यानिकी विभाग के एसडीओ पीएस बड़ोले ने बताया कि प्रशिक्षण में शेडनेट व पौलीहाउस के प्रबंधन और उस में उपचार पर केंद्रित था. जिले में वर्ष 2009-10 में 6,000 से 7,000 वर्गमीटर से शुरू हुआ था. आज जिले के किसानों में इस के प्रति ज्यादा जागरूकता आई है.

कपूरचंद ने शासकीय सहयोग से मिले लाभ का अवसर उठाया निजी तौर पर आगे बढ़ाई संरक्षित खेती

महेश्वर के नांदरा गांव के कपूरचंद को उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2012-13 में एक एकड़ में पौलीहाउस प्रदान किया गया. तकरीबन 10 वर्षों तक पौलीहाउस के अच्छे प्रबंधन के बाद आज भी वे पौलीहाउस का उपयोग कर मुनाफा ले रहे हैं.

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